स्विट्जरलैंड में तैयारी कर रहे हैं शरणार्थी देशों के खिलाड़ी

टोक्यो ओलम्पिक की तैयारियां
नई दिल्ली।
पूर्वी अफ्रीकी देश इरिटरियन हिंसाग्रस्त, मानवाधिकार को लेकर भी वहां रिकॉर्ड बेहद खराब है। युद्ध की विभीषका से भी देश जूझता रहा है। इस समय 13 देशों के 55 शरणार्थी खिलाड़ी स्विट्जरलैंड में अपनी ओलम्पिक तैयारियों को अंजाम दे रहे हैं।
उनमें से एक हैं लूना सोनोमोन जो निशानेबाज हैं और उनका लक्ष्य 10 मीटर एयर राइफल में ओलम्पिक में भागीदारी करना है। यहां शरणार्थी शिविर में दर्जनों ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें टोक्यो में भाग लेने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) इनकी एक टीम बनाना चाहती है। 
लूना कहती है, मेरे अपने देश में हाल खराब हैं, वहां बंदूक किसी दूसरे पर गोली चलाने के लिए उठाई जाती रही है। वहां राइफल को खेल से नहीं हिंसा से जोड़कर देखा जाता है। सोलोमोन ने 2015 में अपना देश छोड़कर शरण ले ली थी। अब इटली की ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता निकोलो कैप्रियानी उनकी कोच हैं जो पूर्व विश्व चैम्पियन भी रह चुकी हैं। 
आईओसी ने पहले 2016 रियो डि जेनेरियो में पहली बार शरणार्थी खिलाड़ियों की एक टीम बनाई थी ताकि ऐसे खिलाड़ियों के मुद्दे को सामने लाया जा सके। उस साल मध्यपूर्व, अफ्रीका और मध्य एशिया से लाखों शरणार्थी यूरोप पहुंचे थे। तब सीरिया, कांगो, इथियोपिया और दक्षिणी सूडान के खिलाड़ियों की दस सदस्यीय टीम ने एथलेटिक्स, तैराकी और जूडो में हिस्सा लिया था। 

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