कुश्ती को बुलंदियां देने वाला सुशील कुमार अर्श से फर्श पर

सुशील की गिरफ्तारी से खेल जगत स्तब्ध
कई बोले- कुश्ती ही नहीं खेलों की छवि को नुकसान
दो ओलम्पिक पदक जीतने वाला एकमात्र पहलवान
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
देश के महानतम ओलम्पियनों में से एक सुशील कुमार की हत्या के मामले में गिरफ्तारी से खेल जगत निराश और सकते में है। इन घटनाओं से भारतीय खेलप्रेमी स्तब्ध हैं लेकिन सुशील की उपलब्धियों का सम्मान बरकरार है। सुशील कुश्ती में भारत के एकमात्र विश्व चैम्पियन और राष्ट्रमंडल खेलों के तीन बार के स्वर्ण पदक विजेता हैं। ओलम्पिक में दो व्यक्तिगत पदक जीतने वाले वह एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं। 
सुशील कुमार ने भारतीय कुश्ती को ऊचाईयां दी हैं। उन्होंने 1998 में विश्व कैडेट गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। सब जूनियर और जूनियर स्तर पर छाप छोड़ने के बाद 2003 और 2007 की एशियाई चैम्पियनशिप में पदक जीते। बीजिंग में 2008 में हुए बीजिंग ओलम्पिक में पदक दिलाकर उन्होंने इतिहास रच दिया। हेलसिंकी ओलम्पिक में केडी जाधव के बाद वह कुश्ती में ओलम्पिक पदक दिलाने वाले दूसरे भारतीय रहे। लंदन ओलम्पिक 2012 में रजत पदक जीतकर उन्होंने अपने को विशेष श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। फिर 2010 में उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर कुश्ती में पहला विश्व चैम्पियन बनकर खुद को शोहरत की बुलंदियां पर पहुंचा दिया। राष्ट्रमंडल 2010 नई दिल्ली, 2014 ग्लासगो, 2018 गोल्ड कोस्ट में लगातार तीन स्वर्ण पदक जीते लेकिन इस प्रकरण से उनकी ही नहीं भारतीय खेलों की छवि को झटका लगा है। 
रियो ओलम्पिक (2016) से पहले 74 भारवर्ग में भाग लेने को लेकर नरसिंह यादव के साथ उनकी टक्कर थी। नरसिंह ने विश्व चैम्पियनशिप में ओलम्पिक टिकट हासिल कर लिया था लेकिन सुशील चाहते थे कि दोनों के बीच ट्रायल हो। इसको लेकर वह अदालत में भी गए। मगर निराशा हाथ लगी। इस पर काफी विवाद हुआ। बाद में नरसिंह डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए। नरसिंह पर चार वर्ष का प्रतिबंध भी लगा।
नौ साल पहले लंदन ओलम्पिक के एक्सेल एरीना के बाहर सुशील के गले में रजत पदक था, लेकिन उस वक्त उनकी आंखों में ओलम्पिक स्वर्ण की चमक थी। खुद उन्होंने कुछ मीडिया कर्मियों के समक्ष अपनी इस सपने को जाहिर किया, लेकिन लंदन से वतन वापसी के बाद धीरे-धीरे सब कुछ बदलने लग पड़ा। जिस सुशील की कुश्ती और उसकी मेहनत के बिना कल्पना नहीं की जा सकती है। वही सुशील अब अपनी प्रतिष्ठा के नीचे ऐसे दबने लगे कि टूर्नामेंटों से ही दूरी बनाने लगे। पहले वह टूर्नामेंट खेलने के लिए आतुर रहते थे, लेकिन अचानक से उन्होंने अपनी मर्जी से खेलना शुरू कर दिया। मानों वह खेल से बड़े हो गए हों। यहीं से उनका पतन होना शुरू हो गया और वह लगातार विवादों में रहने लगे।
पहला विवाद तब हुआ जब सुशील ने 2014 के एशियाई खेलों से दूरी बनाई। अंतिम क्षणों तक वह कहते रहे कि इन खेलों में खेलेंगे, लेकिन वह नहीं खेले। हालांकि कम्पटीशन के मामले में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप से भी बदतर राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने जरूर शिरकत की और 2014, 2018 में स्वर्ण भी जीते। टूर्नामेंटों से भागने की वजह यह थी कि सुशील का ध्यान कुश्ती में कम और अन्य आडम्बरों में ज्यादा लगने लगा। एक बारगी तो सुशील अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेलने गए और उनका वजन बढ़ा हुआ निकला, जिसके चलते वह डिसक्वालीफाई कर दिए गए। कुश्ती संघ ने उन्हें इस हरकत के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। 
सुशील की रविवार को गिरफ्तारी से पहले उनके जीवन का सबसे बड़ा विवाद 2016 के रियो ओलम्पिक से पहले सामने आया। जब नरसिंह यादव ने उन पर डोपिंग में फंसाने का आरोप लगा दिया। यह मामला सीबीआई तक पहुंचा। हालांकि सुशील पर कोई आरोप साबित नहीं हुआ। 74 किलो के पहलवान प्रवीण राणा ने राष्ट्रमंडल खेलों के ट्रायल के दौरान सुशील पर उन्हें साथियों से पिटवाने का आरोप लगाया। यह मामला भी काफी सुर्खियों में आया। कुश्ती के नजदीक रहने वालों को उसी दौरान अहसास हो गया था कि अब सुशील की प्राथमिकता में पहलवानी नहीं बल्कि अन्य चीजें शामिल हो गई हैं।
मिश्रित प्रतिक्रिया: जांच से पहले निष्कर्ष नहीं
एक प्रतिष्ठित बैडमिंटन खिलाड़ी का मानना है कि भारतीय खेल इस झटके से उबरने में सफल रहेगा क्योंकि आगामी समय में नए हीरो तैयार होंगे। दुखद यह है कि विश्व कुश्ती दिवस पर एक पूर्व विश्व चैम्पियन पहलवान की गिरफ्तारी हुई है।
‘भारतीय खेलों के लिए सुशील ने जो किया है उससे वह कभी नहीं छीना जा सकता। इस समय मैं बस यही कहना चाहता हूं। चीजें साफ होने दीजिए। मैं इससे अधिक टिप्पणी नहीं करना चाहता।’ - विजेंदर सिंह, मुक्केबाज 
‘वह हमारे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक है। लोग उससे प्रेरणा लेते हैं। अगर असल में ऐसा हुआ है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और सिर्फ कुश्ती नहीं बल्कि भारतीय खेलों पर गलत असर डालेगा।’ -अचंत शरत कमल
‘यह काफी शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है। आदर्श होने के नाते सुशील ने हमेशा उदाहरण पेश किया है और कभी इस तरह के झगड़े में शामिल नहीं रहा। उसके पास जीवन में सब कुछ है, खेल ने उसे सब कुछ दिया, पैसा, नाम। लेकिन सभी को पता होना चाहिए कि प्रसिद्धि से कैसे निपटा जाता है।’ -अजितपाल सिंह, विश्व विजेता हॉकी कप्तान
‘हां, उसे गिरफ्तार किया गया है लेकिन समय और जांच ही बताएगी कि वह उसमें शामिल था या नहीं। निश्चित तौर पर इससे कुश्ती और खेलों की छवि को नुकसान पहुंचा है। देखते हैं कि जांच से क्या निकलकर आता है।’ -एक पूर्व साथी पहलवान 
एक पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि कोई भी नजरिया कायम करने से पहले अधिक जानकारी का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘वह सिर्फ एक आरोपी है। लेकिन एक स्तर पर आने के बाद काफी कुछ इस पर निर्भर करता है कि आपके साथी कौन हैं। यह निराशाजनक है। लेकिन अगर वह निर्दोष है तो निश्चित तौर पर उसे न्याय मिलना चाहिए।’
एक पूर्व हॉकी कप्तान ने कहा कि सुशील के दर्जे के हीरो का नीचे गिरना कभी भी खेल के लिए अच्छा नहीं होता। उन्होंने कहा, ‘अगर आरोप सही है तो यह भारतीय खेलों का सबसे काला अध्याय होगा। वह कई युवा खिलाड़ियों के लिए आदर्श था।’ एक जाने-माने निशानेबाज ने कहा, ‘जहां तक ओलम्पियन का सवाल है तो उनसे जुड़ी ऐसी चीजें कभी नहीं सुनीं। इस पर विश्वास करना मुश्किल है, अगर असल में ऐसा हुआ है तो यह काफी स्तब्ध करने वाला है। मुझे नहीं पता कि क्या कहा जाए।

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