माराडोना के इलाज में बरती गई थी असावधानी
कठघरे में खड़े होंगे सात स्वास्थ्य कर्मी
ब्यूनस आयर्स। महान फुटबॉल खिलाड़ी डिएगो माराडोना की मृत्यु से ठीक पहले उनके इलाज से जुड़े रहे सात स्वास्थ्य कर्मियों को अब मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। अगर उन पर इल्जाम साबित हुए, तो उन्हें 25 साल तक की कैद हो सकती है। फिलहाल अर्जेंटीना के एक कोर्ट में दी गई एक अर्जी में इन सभी सात स्वास्थ्य कर्मियों के देश से बाहर जा सकने पर रोक लगा देने की गुजारिश की गई है।
जिन लगों पर मुकदमा चलेगा, उनमें माराडोना के निजी डॉक्टर- न्यूरोसर्जन लियोपाल्ड लुके भी शामिल हैं। खबरों के मुताबिक लुके, दो नर्सों, दोनों नर्सों को सेवा पर लाने वाले एजेंट, माराडोना को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए जिम्मेदार डॉक्टर, एक मनोवैज्ञानिक और एक मनोचिकित्सक को बयान देने के लिए बुलाया गया है। गौरतलब है कि माराडोना की मृत्यु के छह महीने बाद उनकी सेहत और उनके इलाज से संबंधित जांच रिपोर्ट अब जारी हुई है।
अर्जेंटीना के मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अभियोजकों ने आखिरी समय में माराडोना के इलाज से जुड़े रहे व्यक्तियों पर हत्या का मुकदमा चलाने का फैसला किया है। गौरतलब है कि अर्जेंटीना को 1986 में विश्व कप फुटबॉल में चैंपियन बनवाने का श्रेय माराडोना को दिया जाता है। इस कारण अर्जेंटीना में उनकी हैसियत किसी दूसरी शख्सियत से बड़ी मानी जाती रही है। उनकी मृत्यु पर देश शोक में डूब गया था। उनकी मृत्यु को लेकर कई तरह की चर्चाएं चली थीं। उन्हें देखते हुए माराडोना की मृत्यु के कारणों की जांच के लिए एक विशेषज्ञों की समिति बनाई गई थी।
जांच समिति इस नतीजे पर पहुंची है कि माराडोना की देखभाल ‘अपर्याप्त, खामियों से भरपूर और लापरवाहियों से भरी’ थी। उन्हें मरने के लिए भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया था। माराडोना की मृत्यु 60 वर्ष की उम्र में हुई। वे अत्यधिक अल्कोहल सेवन की समस्या से पीड़ित थे। फेफड़ों संबंधी दिक्कतों के कारण पिछले साल 25 नवंबर को उनका निधन हो गया। इसके पहले उन्हें कई अस्पतालों में रखा गया। फिर उन्हें एक घर में ले जाया गया, जहां वे मृत्यु के दिन तक रहे।
रिपोर्ट जारी होने के बाद इस हफ्ते लुके ने कहा था कि उनके मोबाइल फोन में मौजूद संदेशों के आधार पर उनके खिलाफ केस बनाया गया है। उन्होंने कहा कि उन संदेशों का संबंध माराडोना से उनके रिश्ते से नहीं था। उन्होंने माराडोना की मौत की जरूर चेतावनी दी थी, लेकिन उसका मकसद माराडोना की सेहत पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत बताना था। उन्होंने कहा- माराडोना से मेरे सारे संबंधों को भुला कर सिर्फ संदेशों के आधार पर उन्हें देखने की कोशिश की गई है, जिसका मुझे अफसोस है।
खबरों के मुताबिक आरोपी स्वास्थ्य कर्मियों से 31 मई से जिरह की शुरुआत होगी। अर्जेंटीना और दुनिया भर के फुटबॉल प्रेमियों में इस मामले को लेकर गहरी दिलचस्पी है। जानकारों का कहना है कि ये केस कैसे आगे बढ़ता है और क्या सचमुच इसमें स्वास्थ्य कर्मी दोषी ठहराए जाएंगे, इसे देखने पर दुनियाभर की निगाहें टिकी होंगी।