जिस टीम को भेजने से डर रहे थे उसने जीते चार पदक

दीपिका बोलीं जोखिम के अलावा नहीं था कोई चारा
नई दिल्ली।
आखिर तीरंदाजों का जोखिम रंग लाया। अंतिम क्षणों में विश्व कप के लिए तीरंदाजी टीम रोकी जा रही थी, लेकिन दीपिका-अतानु समेत सभी ने एक स्वर में कहा कि वे हर हाल में यह विश्व कप खेलना चाहते हैं। तीरंदाजी संघ और साई को डर था कि टीम 24 घंटे से भी अधिक समय में तीन देश होकर ग्वाटेमाला जा रही है। उन्हें टीम के फंसने का डर था। बावजूद इसके तीरंदाजों ने जोखिम लिया। 
दीपिका ने खुलासा किया यह सच्चाई है कि दौरा रद्द होने जा रहा था। वह और पूरी टीम जोखिम लेकर यहां आए। लेकिन यहां सुरक्षा के साथ अपना ध्यान रख रहे हैं। दीपिका कहती हैं कि जोखिम लेने के अलावा कोई चारा नहीं था। यह सोचकर बैठा नहीं जा सकता है कि संक्रमण हो जाएगा तो क्या करेंगे। 
दरअसल तीरंदाजों ने डेढ़ साल से कोई टूर्नामेंट नहीं खेला था। बमुश्किल यह विश्व कप खेलने को मिल रहा था। पहले वीजा में दिक्कत आई। कोशिशों के बाद ग्वाटेमाला दूतावास को समझाया गया कि वीजा के लिए तीरंदाज दिल्ली नहीं लाए जा सकते। 
टिकट मिला तो तीन देशों से होकर जाना पड़ रहा था। जाने वाले दिन कंपाउंड कोच संक्रमित पाए गए। इस टीम को वहीं रोक दिया गया। एएआई महासचिव प्रमोद चंद्रूकर के मुताबिक टीम रवानगी से एक दिन पहले सभी रीकर्व तीरंदाजों ने जूम बैठक में साफ किया कि वे हर हाल में विश्व कप में जाएंगे। 

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