विश्व कप में जाने से रोकी गई भारतीय कंपाउंड तीरंदाजी टीम

कोच निकला कोरोना संक्रमित
नई दिल्ली।
डेढ़ साल बाद अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेलने जा रहे कंपाउंड तीरंदाजों को कोच के ऐन मौके पर संक्रमित निकलने के चलते विश्व कप जाने से रोक दिया गया। कंपाउंड तीरंदाजों को रोकने की वजह ओलम्पिक का टिकट हासिल कर चुके रीकर्व तीरंदाजों को बिना संकट के विश्व कप के लिए भेजना रहा। अब कंपाउंड नहीं रीकर्व तीरंदाजों को ग्वाटेमाला भेजा गया है।
तीरंदाज अंतिम बार नवंबर 2019 में हुई एशियाई चैंपियनशिप में खेले थे, यहां दीपिका कुमारी ने ओलंपिक कोटा हासिल किया था। विश्व कप के लिए रीकर्व में ओलंपिक क्वालीफाई कर चुकी पुरुष टीम अतानु दास, प्रवीण जाधव, तरुणदीप रॉय के अलावा धीरज को जबकि महिला टीम में दीपिका कुमारी, अंकिता भकत, कोमालिका बारी और मधु वेदवान को चुना गया। ये सभी पुणे से आज सुबह दिल्ली पहुंचे।
वहीं सोनीपत में तैयारियां कर रही कंपाउंड टीम में एशियन गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट अभिषेक वर्मा, रजत चौहान, अमन सैनी, संगम बिसला और महिला टीम में ज्योति सुरेखा, प्रगति, सांची डल्ला, अक्षिता शामिल हैं। कंपाउंड टीम को सोनीपत में कोचिंग दे रहे एक कोच कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद तीरंदाजी संघ और साई में हड़कंप मचा।
ओलम्पिक खेलने वाली रीकर्व टीम भी कंपाउंड तीरंदाजों के साथ जा रही थी। ऐसे में संघ ने फैसला लिया कि टीम को तीन देशों से होकर जाना। एयरपोर्ट पर कोई भी तीरंदाज संक्रमित निकला तो पूरी टीम फंसेगी। कोच कंपाउंड तीरंदाजों के संपर्क में रहे हैं। ऐसे में संघ, साई ने कंपाउंड टीम अंतिम क्षणों में ग्वाटेमाला जाने से रोक दी।
महिला टीम में प्रगति, सांची और अक्षिता तीन सदस्य ऐसे थे जिन्हें पहली बार विश्व कप टीम में जगह बनाई। यह वही प्रगति हैं जिन्हें बीते वर्ष भरे लॉकडाउन में ब्रेन हेमरेज हुआ था। जिंदगी और मौत के बीच जूझते हुए उन्होंने इस बीमारी को मात दे फरवरी माह में ट्रायल में हिस्सा ले टीम में जगह बनाई। टीम के कोच मीम बहादुर गुरुंग का कहना है कि ओलंपिक से पहले तीरंदाजों का कंपटीशन खेलना जरूरी है। हालांकि ग्वाटेमाला में कोरोना के चलते ज्यादा देश नहीं आ रहे हैं। फिर भी तीरंदाजों ने लंबे समय से कंपटीशन नहीं खेलने के चलते इस विश्व कप में खेलने का जोखिम लिया है।

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