आईपीएल क्रिकेट ही नहीं अन्य खेलों को भी दिखाई राह

भारत में आठ अन्य खेलों की प्रोफेशनल लीग शुरू हुईं
ऑस्ट्रेलिया-पाकिस्तान समेत दुनियाभर में 15 क्रिकेट लीगों का आगाज
नई दिल्ली।
इंडियन प्रीमियर लीग क्रिकेट के साथ-साथ भारत में अन्य खेलों के लिए भी गेम चेंजर साबित हुई है। इसकी सफलता के बाद देश में हॉकी, कुश्ती, बैडमिंटन सहित आठ खेलों की प्रोफेशनल लीग शुरू हुईं। साथ ही क्रिकेट खेलने वाले अन्य देशों में भी टी-20 लीग की शुरुआत हुई। 
आईपीएल में देशी-विदेशी खिलाड़ियों का साथ-साथ खेलना, आक्रामक और अनऑर्थोडॉक्स शॉट्स, माइंड गेम, ग्लैमर, चीयरलीडर्स समेत कई ऐसे पैमाने रहे जिसे दूसरे देशों ने कॉपी किया। इसी तर्ज पर ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश और पाकिस्तान में पीएसएल समेत दुनिया भर में 15 क्रिकेट लीग की शुरुआत हुई, जो सफल भी रहीं।
क्लीनवेल्ड पीट मैरविक गोएरडेलर सर्वे के मुताबिक आईपीएल से भारत की अर्थव्यवस्था को भी फायदा हुआ है। कोरोना काल से पहले तक आईपीएल में भारी संख्या में विदेशी दर्शक पहुंचते थे। इससे टूरिज्म इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। फ्रेंचाइजी को अपनी टीम बनाने के लिए मेडिकल टीम, चीयरलीडर्स, कोच, स्टेडियम कर्मचारी, सिक्योरिटी स्टाफ समेत कई लोगों की जरूरत पड़ी। इससे रोजगार में भी बढ़ोत्तरी हुई। साथ ही इस लीग की मदद से रांची, इंदौर, धर्मशाला, रायपुर जैसे टीयर-2 शहरों के विकास में भी मदद मिली। 
आईपीएल के आने से बीसीसीआी के रेवेन्यू जनरेशन में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इसका नतीजा यह हुआ कि इससे सरकार को समय पर टैक्स मिल रहा है। बीसीसीआी ने 2007-08 वित्तीय वर्ष के बाद से 3500 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में दिए हैं। आईपीएल से पहले तक बीसीसीआई को एक चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन समझा जाता था।
IPL की सफलता का असर यह हुआ कि दूसरे देशों ने भी ऐसी ही टी-20 लीग का चलन शुरू किया। मौजूदा समय में ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग (BBL), पाकिस्तान सुपर लीग (PSL), न्यूजीलैंड की सुपर स्मैश लीग, बांग्लादेश प्रीमियर लीग (BPL) और कैरेबियाई प्रीमियर लीग (CPL) भी काफी पॉपुलर हो रही हैं। इन सभी देशों के फ्रेंचाइजी ने विदेशी खिलाड़ियों को अपनी टीम में शामिल कर अच्छा रेवेन्यू कमाया है। IPL से पहले तक ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ICC में सुपर पावर्स के रूप में जाने जाते थे। पर IPL के बाद से BCCI ने इन दोनों बोर्ड को पीछे छोड़ दिया। अब ICC के हर फैसले पर BCCI की सहमति जरूरी होती है।
IPL की सफलता ने नॉन क्रिकेटिंग देश जैसे- कनाडा, UAE में भी क्रिकेट को लोकप्रिय कर दिया। इसका फायदा यह हुआ कि वहां के इन्वेस्टर्स ने अलग टी-20 लीग और टी-10 टूर्नामेंट शुरू किए, जो खूब चर्चित हो रहे हैं। 2018 में कनाडा में शुरू हुए GT-20 लीग में कई रिटायर्ड क्रिकेटर्स ने हिस्सा लिया था। इसके बाद अबु धाबी और कतर में टी-10 की शुरुआत हुई। इसमें एक टीम को 10 ओवर ही खेलने को मिलते हैं।
अब छोटे-छोटे देश भी टी-20 में अपनी पैठ जमा रहे हैं। 2008 से पहले तक टी-20 और क्रिकेट खेलने वाले 20 से कम देश थे। अब IPL के बाद से 70 से ज्यादा देशों ने टी-20 फॉर्मेट को अपना लिया है। जब नेपाल के संदीप लामिछाने और अफगानिस्तान के राशिद खान क्रिकेट खेलते हैं, तो इन छोटे देशों के खिलाड़ियों के भी मन में इस लीग में खेलने की उम्मीद जगती है।
IPL कबड्डी, हॉकी, बैडमिंटन और फुटबॉल जैसे खेलों को भारत में नई ऊंचाई देने में वरदान साबित हुआ। इससे प्रेरित होकर कई इन्वेस्टर्स ने अलग-अलग स्पोर्ट्स लीग शुरू की। जैसे- हॉकी के लिए हॉकी इंडिया लीग, कबड्डी के लिए प्रो कबड्डी लीग, बैडमिंटन के लिए इंडियन बैडमिंटन लीग और फुटबॉल के लिए इंडियन सुपर लीग टूर्नामेंट शुरू हुए। यह सभी हर साल आयोजित किए जाते हैं और इनमें कई विदेशी खिलाड़ी भी शामिल होते हैं। इन लीग में क्रिकेटर्स और अभिनेता भी अपनी हिस्सेदारी रखते हैं। ग्लैमर के दूसरे खेलों से जुड़ने से भी उन्हें काफी फायदा हुआ। IPL की सफलता ने वास्तव में भारत में अन्य खेलों को मंच प्रदान करने का काम किया है।
IPL के आने के बाद से टीमों की बैटिंग और खिलाड़ियों के प्लेइंग स्टाइल में भी काफी बदलाव आया है। 2008 IPL के बाद से वनडे में 32 बार टीमों ने 300+ रन का टारगेट चेज किया। वहीं, 9 बार टीमों ने 400 या इससे ज्यादा का स्कोर बनाया। IPL के आने के बाद से 100 से ज्यादा बार टीमों ने 300 या इससे ज्यादा का स्कोर खड़ा किया। साथ ही अनऑर्थोडॉक्स शॉट्स का भी प्रचलन बढ़ा। क्रिकेट में हार्ड हीटर्स और सिक्स की संख्या बढ़ी और दर्शक क्रिकेट की ओर खिंचे चले आए।
मीडिया राइट्स IPL में रेवेन्यू का मुख्य जरिया है। किसी-किसी टीम के लिए तो इससे 60% तक रेवेन्यू जनरेट होता है। BCCI मीडिया राइट्स या ब्रॉडकास्टिंग राइट्स चैनल को बेचती है। इससे मिले पैसे से BCCI अपना शेयर और टीमों का शेयर बांटती है। IPL अब तक 2 चैनल पर प्रसारित हो चुका है। इसमें सोनी एंटरटेनमेंट और स्टार इंडिया शामिल है। 2008 से लेकर 2017 तक ब्रॉडकास्टिंग राइट्स सोनी के पास था। इससे करीब 8,200 करोड़ रुपए (820 करोड़ रुपए पर सीजन) रेवेन्यू जनरेट हुआ था।
वहीं, 2018 से 2022 तक के लिए स्टार इंडिया ने इसके ब्रॉडकास्टिंग राइट्स खरीद लिए। उन्होंने ब्रॉडकास्टिंग राइट्स करीब 16,347 करोड़ रुपए (3,269 करोड़ रुपए पर सीजन) में खरीदा। इसके अलावा सभी टीमों को मिलने वाली ब्रांड स्पॉन्सरशिप भी रेवेन्यू जनरेट करने में मददगार साबित होती है। जैसे मुथुट फाइनेंस ग्रुप चेन्नई की जर्सी स्पॉन्सर करती है। हैदराबाद की जर्सी के आगे जेके लक्ष्मी सीमेंट्स लिखा होता है। वहीं, बेंगलुरु की जर्सी पर हीरो साइकल्स की स्पॉन्सरशिप होती है।
टाइटल स्पॉन्सर करने वाली कंपनी का नाम IPL से पहले जुड़ता है। जैसे कि DLF IPL या VIVO IPL। यह लीग के टाइटल को स्पॉन्सर करते हैं। 13 सीजन में अब तक 4 कंपनियों ने IPL का टाइटल स्पॉन्सर किया है। इनमें DLF, VIVO (वीवो), PEPSICO (पेप्सिको) और DREAM 11 (ड्रीम 11) शामिल है। 2008 से 2012 तक भारत के सबसे बड़े रियल एस्टेट डेवलपर DLF ने टाइटल स्पॉन्सर किया था। 5 सीजन के लिए उन्होंने BCCI को 200 करोड़ रुपए दिए थे। वहीं, 2013 से यह राइट पेप्सिको ने खरीद लिया।
पेप्सिको ने 5 सीजन के लिए 397 करोड़ रुपए चुकाए। अक्टूबर 2015 में चेन्नई और राजस्थान पर बैन लगने के बाद पेप्सिको ने यह डील रद्द कर दी। इसके बाद BCCI ने अगले 2 साल के लिए यह राइट चाइनीज स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो को 200 करोड़ रुपए में दे दिया।
जून 2017 में वीवो ने अगले 5 साल (2018-2022) के लिए फिर से टाइटल स्पॉन्सर का राइट खरीद लिया। उन्होंने इसके लिए 2,199 करोड़ रुपए की रकम चुकाई। यह स्पॉन्सरशिप डील फुटबॉल के बारक्लेज प्रीमियर लीग (BCL) के टाइटल स्पॉन्सर डील (2013-2016) से भी ज्यादा महंगी रही। 2020 में चीनी सामानों के बहिष्कार की वजह से वीवो ने अपना नाम वापस ले लिया। एक साल के लिए ड्रीम 11 ने इसका कॉन्ट्रैक्ट लिया। इस साल फिर से वीवो कंपनी टाइटल स्पॉन्सर करती नजर आएगी।

 

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