शांत रहना सबसे समझदारी भरा कदमः मानसी जोशी
हम सब खेलें और सड़क सुरक्षा पर ध्यान दें
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली। एक पैर से दुनिया जीतने वाली जांबाज शटलर मानसी जोशी का मानना है कि शांत रहना सबसे समझदारी भरा फैसला होता है। भारत की पैरा शटलर मानसी जोशी से प्रेरित बार्बी डॉल बनी थी, जिसके बाद वह टाइम मैगजीन के कवर पर नजर आई थीं। बेशुमार उपलब्धियों के बावजूद भारतीय पैरा शटलर मानसी जोशी की आवाज में कोमलता, विचारों में स्पष्टता, भावनाओं पर नियंत्रण और शब्दों में पकड़ बरकरार है।
मानसी चाहें तो खुद को सातवें आसमान पर पा सकती हैं, लेकिन मानसी जोशी का मानना है कि शांत रहना सबसे समझदारीभरा कदम है। मानसी जोशी को टाइम मैगजीन ने नेक्स्ट जनरेशन लीडर 2020 की लिस्ट में शामिल किया है और वह उनके एशिया कवर पर नजर आ रही हैं। टाइम मैगजीन की इस लिस्ट में नजर आने वाली मानसी जोशी पहली पैरा एथलीट और भारत की पहली एथलीट हैं।
इस उपलब्धि पर मानसी ने कहा था, 'टाइम मैगजीन द्वारा नेक्स्ड जनरेशन लीडर की लिस्ट में शामिल होकर काफी सम्मानित महसूस कर रही हूं। मेरा निजी विचार है कि पैरा एथलीट को टाइम मैगजीन के कवर पर देखने से लोगों की दिव्यांगता के प्रति सोच बदलेगी। इसके अलावा भारत और एशिया में पैरा स्पोर्ट्स के प्रति भी लोगों का रवैया बदलेगा। साथ ही मेरे से प्रेरित बार्बी डॉल बनने से युवा लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी और वह इसकी मदद से अपने युवा दिमागों को अलग-अलग क्षेत्रों में उपयोग कर सकती हैं। इससे बड़ा फर्क आएगा और अगली पीढ़ी कुछ अलग करने का जज्बा दिखाएगी। मानसी जोशी ने 2019 में विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
आत्मविश्वासी मानसी जोशी का मानना है कि विश्व चैम्पियनशिप खिताब ऐसा है, जिसे उन्होंने सालों की कड़ी मेहनत के बाद हासिल किया। मानसी जोशी ने मेडल के महत्व के बारे में बात करते हुए कहा, 'मेरे ख्याल से यह मेरे लिए बड़ी चीज है। मैंने एक साल से ज्यादा समय तक इसके लिए कड़ी मेहनत की।' इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट मानसी जोशी ने नौ साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया था। मानसी जोशी को बैडमिंटन से बहुत प्यार है और वह इसे अपने छोटे भाई के साथ खेलती थीं।
2011 में सड़क दुर्घटना के बाद मानसी जोशी की पूरी जिंदगी बदल गई। मानसी जोशी ने चोट के कारण अपना बांया पैर गंवा दिया। 45 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहीं। मगर मानसी जोशी कहती हैं कि वह सिर्फ उन्हीं चीजों पर ध्यान देती हैं, जो उनके नियंत्रण में हों। 2018 एशियाई गेम्स की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट मानसी जोशी ने कहा, 'मैं यही कह सकती हूं कि अपने लाभ के लिए मैंने प्रतिकूल परिस्थितियों को बदल दिया है। मैं हालांकि, सड़क सुरक्षा के बारे में बात करना चाहती हूं। मेरा मानना है कि सरकार, प्रशासकों को भी सड़क सुरक्षा के बारे में जरूर बात करना चाहिए।'
31 साल की मानसी जोशी ने अपनी अधिकांश जिंदगी मुंबई में बिताई। उन्होंने 2013 में दोबारा बैडमिंटन खेलना शुरू किया। यह अंतर-ऑफिस टूर्नामेंट था, जिसमें वह जीती। इससे मानसी जोशी के लिए दरवाजे खुले। मौजूदा विश्व नंबर-2 मानसी जोशी ने कहा, 'मैं एक और पैरा शटलर नीरज जॉर्ज से मिली, जिन्होंने मुझे प्रतिस्पर्धी स्तर पर खेल खेलने को कहा। मैं नीरज का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी, जिन्होंने उस समय मुझे प्रेरित किया।'