आज के ही दिन भारत बना था हॉकी विश्व चैम्पियन

अशोक कुमार की जुबानी, उस विश्व कप की कहानी
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।
बात भले पुरानी हो गई हो पर सच्चाई यह है कि भारतीय खेलों के इतिहास में 15 मार्च का दिन बेहद अहम है। इसी दिन 46 साल पहले अजीत पाल सिंह की अगुआई में भारतीय हॉकी टीम ने कुआलालंपुर में अपना पहला और एकमात्र विश्व कप जीता था। भारत पाकिस्तान को 2-1 से हराकर विश्व विजेता बना था, लेकिन फाइनल में विजयी गोल दागने वाले अशोक कुमार को मेजबान मलेशिया के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले के अंतिम क्षण नहीं भूलते हैं। यह वह क्षण थे जब भारत 1-2 से पीछे था और मैच खत्म होने में पांच मिनट बचे थे। यहां असलम शेर खान को माइकल किंडो की जगह भेजना टीम के लिए पुर्नजन्म बन गया।
अशोक कुमार याद करते हैं कि मलेशिया से सेमीफाइनल मैच से पहले बस होटल से मर्डेका स्टेडियम जा रही थी। फरमाइश पर गानों का दौर चल पड़ा था। वह गाने गा रहे थे, लेकिन असलम चुप थे। किसी ने पूछा असलम उदास क्यों हो? उन्होंने कहा कि उन्हें क्यों नहीं खिलाया जा रहा?  
दरअसल, असलम टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं खेले थे। टीम सदस्यों और उन्होंने असलम से कहा कि जिस तरह 1936 के ओलम्पिक में उनके पिता ध्यानचंद ने तुम्हारे पिता अहमद शेर खान की सेवाएं लीं उसी तरह तुम्हें भी खेलाया जाएगा। यहां बात खत्म हो गई। मर्डेका स्टेडियम में 45 से 50 हजार दर्शक थे। मलेशिया हॉलैंड जैसी टीम को हराकर आई थी और उसके समर्थकों ने स्टेडियम सिर पर उठा रखा था। अशोक याद करते हैं कि एक के बाद एक हमले हो रहे थे, लेकिन गोल नहीं आ रहा था। टीम के पसीने छूटे हुए थे। ऐसे में माइकल किंडो की जगह असलम शेर खान को भेजा गया। इस दौरान उन्होंने पेनल्टी कार्नर दिला दिया। असलम ने अब तक स्टिक से गेंद टच भी नहीं की थी कि कप्तान ने कहा कि सुरजीत की जगह उन्हें हिट लगानी है। गोविंदा ने गेंद पुश की अजीत पाल ने उसे रोका और उन्होंने असलम की हिट के बाद सीधे गोल पोस्ट पर गेंद टकराने की आवाज सुनी। फिर क्या था थोड़ी ही देर में हरचरण ने गोल कर टीम को फाइनल में पहुंचा दिया।
इस गोल का नतीजा यह हुआ कि असलम को फाइनल में किंडो की जगह खिलाया गया। अशोक खुलासा करते हैं कि यह असलम ही थे जिन्होंने कम से कम तीन से चार गोल बचाए अगर वह नहीं होते तो मैच का परिणाम दूसरा हो सकता था। इसी तरह पाक के पास मंजूर जूनियर नहीं होते तो भारत की जीत का अंतर और बड़ा होता। अशोक बताते हैं कि उन्होंने और गोविंदा ने मैच से पहले रणनीति बनाई कि आक्रमण के दौरान अगर उनसे गेंद छिनती है और पलट के आक्रमण होता है तो वे दोनों सीधे 25 गज की रेखा पर जाकर रक्षण करेंगे। पूरे मैच में उन्होंने यही किया और यह आपसी समझ काफी काम आई।

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