खेलों में महिला-पुरुष भेदभाव मिट रहा

दुनिया में 48 में से 37 खेलों में पुरुष-महिला खिलाड़ियों की प्राइज मनी समान
फुटबॉल, गोल्फ और बास्केटबॉल की प्राइज मनी में अब भी बड़ा अंतर
लंदन।
दुनिया के तकरीबन सभी क्षेत्रों में महिलाएं भेदभाव का सामना करती हैं। पर खेल जगत ने इस अंतर को पाटने की कोशिश हुई है और यह बहुत हद तक सफल भी रही है। महिलाओं को अधिकांश खेलों में मिलने वाली प्राइज मनी अब पुरुषों के समान ही हो गई है।
बीबीसी की ताजा स्टडी से पता चलता है कि 48 में से 37 खेलों में अब महिला खिलाड़ियों को पुरुष खिलाड़ियों जितनी ही प्राइज मनी मिलने लगी है। यानी 90% खेलों के बड़े मुकाबलों में समान राशि दी जाने लगी है। सबसे बड़ा बदलाव क्रिकेट में दिखाई दिया है। 2021 में होने जा रहे ‘द 100’ टूर्नामेंट में पुरुष-महिलाओं के लिए समान प्राइज मनी (1.52 करोड़) रखी गई है। बिग बैश लीग में तो 2017-18 में ही यह कर दिया गया था। 2020 के टी-20 वुमन वर्ल्ड कप में 7.29 करोड़ रुपए दिए, इतने ही पैसे पुरुषों को 2021 के टूर्नामेंट में जीतने पर मिलेंगे। इसी तरह 2022 के वुमन वर्ल्ड कप के लिए 25.53 करोड़ राशि तय है। 2017 में कुल तय राशि 14.59 करोड़ में से इंग्लैंड की महिला टीम ने 4.81 करोड़ रुपए जीते थे। जबकि पुरुष टीम ने 2019 में कुल फंड 72.93 करोड़ रुपए में से 29.17 करोड़ रुपए जीते थे। हालांकि खेलों में भेदभाव मिटाने की शुरुआत 60 के दशक में ही हो गई थी। तब से अब तक बदलाव जारी हैं।

इन खेलों में भेदभाव कायम: 2019 का वुमन फुटबॉल वर्ल्ड कप 112 करोड़ ने देखा, पर इसमें प्राइज मनी पुरुषों की तुलना में 9 गुना कम थी। 2018 में फ्रांस की पुरुष टीम ने 277 करोड़ रु. जीते थे, जबकि अमेरिकी महिला टीम को 29 करोड़ मिले थे। इसी तरह गोल्फ में पिछली दो बड़ी चैंपियनशिप में पुरुषों को 14.19 करोड़ जबकि महिला खिलाड़ियों को 4.68 करोड़ और 4.19 करोड़ रुपए मिले थे।
10 खेलों की पिछले दो बड़े इवेंट्स में प्राइज मनी

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