ये टीम इंडिया डरती नहीं, लड़ती है

2000 से अब तक 99 टेस्ट जीत चुका भारत
21वीं सदी में 100 टेस्ट जीतने वाली पहली एशियाई टीम बनने का मौका
नई दिल्ली।
भारत ने 1932 में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया और हमें पहली टेस्ट जीत 20 साल के इंतजार के बाद 1952 में मिली। लंबे समय तक हमारी पहचान ऐसी टीम की रही, जो मैच बचाने के लिए खेलती थी। फिर एक दौर ऐसा आया, जब हम घर के शेर बन गए। ऐसा शेर जो होम ग्राउंड पर तो जीतता था, लेकिन विदेश जाते ही ढेर हो जाता था।
20वीं सदी के आखिर तक हमारे ऊपर 'घर का शेर' होने का टैग लगा रहा, लेकिन 21वीं सदी शुरू होते ही हालात बदलने लगे। हमें एक के बाद एक तीन ऐसे कप्तान मिले, जिन्होंने हमारी टीम को देश और विदेश दोनों जगहों पर जीतना सिखा दिया। इसका सबूत है, इस सदी में अब तक का हमारा प्रदर्शन। हमने साल 2000 से लेकर अब तक 218 टेस्ट मैच खेले हैं। इसमें हमें 99 में जीत मिली है। एक और सफलता मिलते ही हमारी टीम 21वीं सदी में टेस्ट जीत का शतक लगाने वाली पहली एशियाई टीम बन जाएगी।
साल 2000 से अब तक भारत ने 218 टेस्ट मैचों में 99 जीत हासिल की है। 60 मैचों में हार मिली। 59 मुकाबले ड्रॉ रहे। अब पिछली सदी के आंकड़े देखिए। 1932 से लेकर 1999 तक भारत ने 330 टेस्ट मैच खेले थे। इनमें 61 में जीत मिली थी। 109 में हार झेलनी पड़ी और 159 मुकाबले ड्रॉ रहे। एक मैच टाई भी रहा। यानी 21वीं सदी में हमने पिछली सदी की तुलना में 34% कम टेस्ट खेले, लेकिन 62% ज्यादा जीत हासिल की।
विदेश में 89 साल में 53 मैच जीते, 40 जीत पिछले 20 साल में
इस सदी में विदेशी जमीन पर भी भारतीय टीम के प्रदर्शन में जोरदार सुधार आया है। भारत ने 1932 से अब तक विदेश में कुल 274 टेस्ट मैचों में से 53 में जीत हासिल की है। 1932 से 1999 तक विपक्षी टीमों के खिलाफ उनके घरों में हमें 155 मैचों में से 13 में जीत मिली थी। वहीं, साल 2000 से लेकर अब तक 119 मैचों में ही 40 में जीत मिल चुकी है। भारत से आगे सिर्फ ऑस्ट्रेलिया है। ऑस्ट्रेलिया को 2000 से लेकर अब तक विपक्षी टीमों के खिलाफ उनके घरों में 104 मैचों में से 50 में जीत मिली है।
गांगुली, धोनी और विराट ने पलटी किस्मत
भारत को मैच बचाने वाली टीम से मैच जीतने वाली टीम में ट्रांसफॉर्म करने की शुरुआत साल 2000 में सौरव गांगुली की कप्तानी से हुई। गांगुली ने भारत को 21 मैचों में जीत दिलाई। गांगुली के बाद कुछ समय के लिए राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले भी कप्तान रहे। द्रविड़ को 25 मैचों में से 8 में और कुंबले को 14 मैचों में से 3 में जीत मिली थी। गांगुली के बाद सही मायनों में सफल कप्तान धोनी रहे। उन्होंने 60 में से 27 टेस्ट में टीम को जीत दिलाई। विराट इसे नेक्स्ट लेवल पर ले गए और अब तक 58 मैचों में से 34 में टीम इंडिया को जीत दिला चुके हैं।
प्रोफेशनल रुख अपनाया, पहली बार विदेशी कोच रखा
साल 2000 से अब तक भारतीय क्रिकेट के स्तर में सुधार के लिए BCCI के प्रोफेशनल रुख को भी श्रेय दिया जा सकता है। बोर्ड ने न्यूजीलैंड के जॉन राइट के रूप में पहली बार विदेशी कोच हायर किया। इसके बाद ग्रेग चैपल, गैरी कर्स्टन और डंकन फ्लेचर जैसे कोच भी टीम के साथ जुड़े। विशेषज्ञ फील्डिंग, बॉलिंग-बैटिंग कोच रखे जाने का चलन भी शुरू हुआ। डेटा एनालिस्ट टीम के साथ जोड़ा गया। खिलाड़ियों की मेंटल कंडीशनिंग पर जोर दिया गया। इन सभी पहलुओं का मिलाजुला असर यह रहा कि हमारी टीम किसी भी चुनौती से डरने वाली टीम की जगह हर चुनौती से लड़ने वाली टीम बन गई। इस सदी में 100वीं जीत इन तमाम सुधारों का सबसे बड़ी गवाह साबित होगी।

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