जब गेंदबाज थकते हैं तब पुजारा करते हैं वार

बॉक्सिंग का फैन नहीं लेकिन मुक्केबाजों से सीख लेता हूं
चेन्नई।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया को जीत दिलाने में चेतेश्वर पुजारा ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने टेस्ट सीरीज में न सिर्फ 271 रन बनाए बल्कि दो दर्जन से ज्यादा बार चोटें भी खाईं। पुजारा ने ईएसपीएन को दिए एक इंटरव्यू में अपनी बैटिंग फिलोसफी का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि वे एक के बाद एक शरीर पर इतनी गेंदें क्यों झेलते हैं।
पुजारा से पूछा गया कि क्या वे चोट खाने की प्रेरणा मुक्केबाजों से लेते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं बॉक्सिंग का बहुत बड़ा फैन नहीं हूं। लेकिन, मुक्केबाजों के जज्बे से सीख लेता हूं। बैटिंग के वक्त मैं देखना चाहता हूं कि बॉलर्स कितने पंच जमा सकते हैं। मुझे कितनी बार हिट कर सकते हैं। जब वे सभी हथियार चला चुके होते हैं, जब वे थक जाते हैं तो मैं पंच जमाता हूं।
हेलमेट पर गेंद लगना दर्दनाक दिखता है, होता नहीं
पुजारा ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गाबा टेस्ट में उन्हें सबसे ज्यादा दर्द किस चोट ने पहुंचाया। उन्होंने कहा कि जब गेंद उनकी अंगुली पर लगी तब सबसे ज्यादा दर्द हुआ। उस अंगुली पर प्रैक्टिस के दौरान भी चोट लगी थी। उन्होंने आगे कहा कि हेलमेट पर गेंद लगने पर लोग घबरा जाते हैं। वास्तव में हेलमेट पर गेंद लगना दर्दनाक दिखता है, होता नहीं है। हेलमेट प्रोटेक्शन देता है। लेकिन, जब गेंद शरीर के किसी ऐसे हिस्से लगती है जहां प्रोटेक्शन न हो, दर्द ज्यादा होता है।
आखिर दिन भरोसा था कि अगर 98 ओवर खेल गए तो जीत मिलेगी
पुजारा ने बताया कि जब वे गाबा टेस्ट के आखिरी दिन उतरे तो उन्हें यकीन था कि अगर टीम पूरे 98 ओवर खेल पाई तो जीत मिलेगी। आखिरी दिन के खेल से पहले पुजारा इस सीरीज में 717 गेंद खेल चुके थे और 215 रन भी बना चुके थे। पुजारा ने कहा कि उनका गेम प्लान सिंपल था। वे आखिरी दिन पहले सत्र में आउट नहीं होना चाहते थे।
गाबा टेस्ट के आखिरी दिन पिच में काफी दरारें थी। लेकिन, पुजारा ने इस तरह बैटिंग की मानो पिच सामान्य हो। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, 'यह सोचकर बल्लेबाजी करना खतरनाक होता है कि पिच में क्रैक है। इससे आप ऐसी गेंदों को भी खेलने लगते हैं जो आपको नहीं खेलना चाहिए।'

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