एनबीए खेलने वाले पहले भारतीय सतनाम पर लगा दो साल का प्रतिबंध

2019 में डोप में फंसे थे, प्रतिबंधित दवा के सेवन की होनी चाहिए थी जानकारी
नई दिल्ली।
एनबीए में खेलने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी सतनाम सिंह पर नाडा के हियरिंग पैनल ने दो साल का प्रतिबंध लगा दिया है। बास्केटबाल खिलाड़ी सतनाम सिंह पैनल के समक्ष अपने ऊपर लगे डोपिंग के आरोपों को खारिज नहीं कर पाए। सतनाम ने 19 नवंबर 2019 को डोप में फंसने के बाद खुद अस्थाई प्रतिबंध ले लिया था, जिसके चलते उन पर प्रतिबंध इसी तिथि से अगले दो वर्ष के लिए लागू होगा। इस अवधि के दौरान सतनाम किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में नहीं खेल पाएंगे।
सतनाम का मूत्र सैंपल नाडा ने दक्षिण एशियाई खेलों की तैयारियों को बंगलूरू में लगे कैंप के दौरान बीते वर्ष लिया था। इसी सैंपल में वह वाडा की सूची में बतौर स्पेसीफाइड सब्सटेंस के रूप में शामिल हिगेनामाइन (बीटा टू एगोनिस्ट) के लिए डोप पॉजिटिव पाए गए। सतनाम ने सनी चौधरी की अगुवाई वाले पैनल के समक्ष तर्क दिया कि उन्होंने किसी भी प्रतिबंधित दवा का सेवन जानबूझकर नहीं किया है। उन्होंने जो फूड सप्लीमेंट लिया था। उसकी वेबसाइट पर भी जाकर पता किया कि इसमें कोई प्रतिबंधित दवा तो नहीं है। सप्लीमेंट में उन्हें कहीं प्रतिबंधित दवा के मिले होने के बारे में पता नहीं लगा। 
पैनल ने भी माना कि सतनाम ने जानबूझकर प्रतिबंधित दवा का सेवन नहीं किया है, लेकिन वाडा कोड 2015 के अनुसार किसी भी खिलाड़ी को यह जानकारी होनी चाहिए कि वह जो भी दवा का सेवन कर रहा है। उसमें प्रतिबंधित दवा शामिल है या नहीं उसे इसकी जानकारी होनी चाहिए। ऐसे में इसकी जिम्मेदारी सतनाम की बनती है। फिर सतनाम ने सैंपल लिए जाने के दौरान भरे जाने वाले डोप कंट्रोल फॉर्म में भी कहीं यह नहीं बताया कि वह किस सप्लीमेंट का सेवन कर रहे हैं। ऐसे में वाडा कोड के अनुसार उन पर दो साल का प्रतिबंध बनता है।
सतनाम 2015 में एनबीए की टीम डलास मेवरिक्स के लिए खेले थे। हालांकि बाद में वह डी लीग की टीम टेक्सास लेजेंड्स के लिए भेज दिए गए। 2018 में वह कनाडा की लीग में खेलने वाले पहले भारतीय बने। यहां वह सेंट जॉन टीम से खेले। सतनाम भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी खेल चुके हैं।

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