हर कोई मैच में मुझे गिराने में लगा रहता था

भारत दौरे पर माराडोना ने कहा था
जब गुस्से में फेंके संतरे को वापस दर्शक तक पहुंचाया
नई दिल्ली।
माराडोना को दुनिया भर में फुटबॉल का भगवान कहा जाता था, लेकिन वह इससे सहमत नहीं थे। माराडोना यही कहते थे कि वह एक इंसान हैं। एक ऐसा इंसान जो ड्रग्स भी लेता है एक कम्युनिस्ट भी है, लेकिन उन्हें एक दुख था। जो उन्होंने 2008-09 में भारत दौरे के दौरान बयां किया था। उन्हें इस बात का दुख था कि जब भी वह किसी मैच में खेलते थे तो उन्हें हर कोई गिराने में लगा रहता था। 
उस दौरान पीछे से टैकल करने का नियम था जो बाद में खत्म कर दिया। माराडोना ने भारत आने के दौरान कहा था अगर उनके समय में पीछे से टैकल (गिराने) का नियम नहीं होता तो उनके खाते में आज दोगुने गोल होते। माराडोना बिजली की तेजी से बॉल पर झपटते थे। उनकी इस कला से हर कोई वाकिफ था।
1982 से लेकर वह 1994 के विश्व कप में खेले। इस दौरान माराडोना पर हर रक्षक यही कोशिश करता था कि उन्हें गिरा दिया जाए जिससे वह बॉल लेकर आगे नहीं बढ़ने पाएं। माराडोना को इससे अपने करियर में न जाने कितनी चोटों का सामना करना पड़ा। उनके संन्यास के बाद फीफा ने इस नियम को खत्म कर दिया। 
अर्जेंटीना के पड़ोसी लैटिन अमेरिकी देशों में माराडोना को एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाता है। बात 1982 के विश्व कप से पहले की है। माराडोना उस वक्त परवान चढ़ रहे थे। वह अर्जेंटीना के कड़े विरोधी देश वेनेजुएला में खेलने गए थे। मुकाबले से पहले वह स्टेडियम में प्रैक्टिस रहे थे। दर्शक स्टेडियम में जुटना शुरू हो गए थे। तभी एक दर्शक ने मैदान में प्रैक्टिस कर रहे माराडोना पर ऊंचाई से संतरा फेंक कर मारा।

माराडोना ने उसे तिरछी नजरों से देख लिया। उन्होंने फुटबॉल छोड़कर संतरे को बाईं टांग पर ले लिया। जिस तरह माराडोना हवा में फुटबॉल से कलाकारी करते थे। उसी तरह एक एक्शन में उन्होंने संतरे को फुटबॉल की तरह खेलना शुरू कर दिया। संतरे को उन्होंने एक झटके में पैर से लपका को उसे हवा में एक के बाद एक संभालते हुए वापस जोरदार तरीके से दर्शक दीर्घा में किक कर दिया। हैरानी की बात यह थी कि यह संतरा उसी दर्शक के पास गया जिसने इसे फेंका था। फिर क्या था जो दर्शक माराडोना की हूटिंग करने स्टेडियम में एकत्र हुए थे वहीं उनकी वाहवाही करने लगे।

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