टोक्यो ओलम्पिक में मीरा के लिए अतिरिक्त कोच की मांग

वेटलिफ्टिंग संघ नहीं चाहता कोई चूक
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।
कर्णम मल्लेश्वरी आज भी यह कहती हैं कि सिडनी ओलम्पिक के दौरान अगर कोच ने उनको कम वजन दिया होता तो उन्हें कांस्य नहीं बल्कि स्वर्ण या रजत मिलता। इस बार मीराबाई चानू भी टोक्यो ओलम्पिक में पदक की दावेदार हैं। भारतीय वेटलिफ्टिंग संघ को डर है कि अकेले कोच से कहीं वजन की गणना में चूक हुई तो किए कराए पर पानी फिर जाएगा। 
संघ के महासचिव सहदेव यादव ने संसदीय समिति के चेयरमैन विनय सहस्रबुद्धे के अलावा भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) अध्यक्ष नरेंदर बत्रा से कहा है कि टोक्यो में मीरा के साथ चीफ कोच विजय शर्मा के अलावा एक अतिरिक्त कोच और फीजियो होना जरूरी है। विजय मीरा के साथ प्लेटफार्म पर और ट्रेनिंग में रहेंगे। ऐसे में मीरा को अगले प्रयास में कितना वजन उठाना है। इसकी गणना विरोधियों के प्रदर्शन को देख एकदम दुरुस्त होनी चाहिए। इसमें जरा सी चूक प्रदर्शन पर असर डाल सकती है।
नियमों के अनुसार ओलम्पिक में एक खिलाड़ी के साथ तीन सपोर्ट स्टाफ एक्रिडिटेशन (मान्यता कार्ड) नहीं मिलता है। लेकिन आईओए के साथ खेल मंत्रालय और साई ने भी फेडरेशन को साफ किया है कि वह मीरा की पदक की सम्भावनाओं को देखते हुए कुछ रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे।
वेटलिफ्टर का प्रदर्शन कोच की ओर से दिए गए वजन पर निर्भर करता है। स्नैच और क्लीन एण्ड जर्क में लिफ्टर को तीन-तीन प्रयास दिए जाते हैं। एक प्रयास के बाद अगले में वजन बदलने के लिए कोच के पास महज 30 सेकेंड होते हैं। वजन बदलना पूरी तरह से माइंड गेम होता है। जो विरोधी के प्रदर्शन के आधार पर कोच को करना होता है।

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