गहलोत जी दिव्यांग क्रिकेटरों को नौकरी क्यों नहीं?
कोई तो बताए रणजीत गुर्जर, दुर्गेश शर्मा और राम सिंह का गुनाह क्या है?
श्रीप्रकाश शुक्ला
जयपुर। कोई चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निःशक्तों को दिव्यांग शब्द देकर एक उम्मीद जगाई थी कि इनके दिन बहुरेंगे। अफसोस जमीनी स्तर पर दिव्यांग खिलाड़ियों को अब तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। हाल ही राजस्थान की कांग्रेस शासित सरकार ने खिलाड़ियों को आउट आफ टर्न नौकरी की सौगात देकर खिलाड़ी हितैषी होने का यश लूटा है। मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और खेल मंत्री अशोक चांदना का ध्यान उन तीन दिव्यांग क्रिकेटरों की तरफ दिलाना चाहता हूं जिनकी उपलब्धियां राजस्थान के किसी भी खिलाड़ी से कम नहीं हैं लेकिन उन्हें सेवा के काबिल नहीं माना गया आखिर क्यों? कोई तो बताए कि क्रिकेटर रणजीत गुर्जर, दुर्गेश शर्मा और राम सिंह का गुनाह क्या है?
गहलोत जी खेल कोई भी हो, हर खेल में जीतोड़ मेहनत और मशक्कत करनी होती है। राजस्थान के तीन क्रिकेटरों रणजीत गुर्जर, दुर्गेश शर्मा और राम सिंह ने न केवल दिव्यांगता की जंजीरें तोड़ खेल के मैदान में चौके-छक्के जड़कर भारत को कई खिताब दिलाए बल्कि समूची दुनिया में राजस्थान का नाम रोशन किया है। एक सामान्य क्रिकेटर जहां धन्नासेठ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का नुमाइंदा होता है, उसे हर सुविधा पाने का हक है वहीं दिव्यांग क्रिकेटरों की बेचारगी पर हमेशा बीतराग ही सुनाया जाता है। दिव्यांग क्रिकेटरों की उपलब्धियों पर गौर करें तो इनकी लम्बी फेहरिस्त है। समझ में नहीं आता कि मैदान पर विजय पताका फहराने वाले भारत के ये सपूत सरकारी तंत्र की उपेक्षा से क्यों हार जाते हैं।
आज दिव्यांग क्रिकेटरों की माली हालत पर गौर करें तो इनका हाल यह है कि परिवार के भरण-पोषण के लिए इन्हें मनरेगा में मजदूरी करनी पड़ती है। राजस्थान के दिव्यांग क्रिकेटरों रणजीत गुर्जर, दुर्गेश शर्मा और राम सिंह की उपलब्धियां बेमिसाल हैं लेकिन खेल विभाग ने इन्हें प्रोत्साहन देने की बजाय इनका मनोबल तोड़ने का गुनाह किया है। यह तीनों क्रिकेटर गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, यदि इन्हें शासकीय सेवा नहीं मिली तो इनका न केवल मनोबल टूटेगा बल्कि इनके परिवार भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाएंगे।
रणजीत गुर्जर की जहां तक बात है यह राजस्थान के करौली जिले के रहने वाले हैं। यह 2017 से भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इन्होंने एशिया कप के साथ ही कई अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में भारत की जय-जयकार कराई है। रणजीत गुर्जर अब तक एक दर्जन से अधिक उपलब्धियों के तमगे और सर्टीफिकेट हासिल कर दुनिया में राजस्थान का नाम रोशन कर चुके हैं। ऐसे में इस खिलाड़ी की उपेक्षा समझ से परे है।
राम सिंह चौधरी की बात करें तो यह क्रिकेटर 2016 से भारतीय तिरंगे की शान बढ़ा रहा है। जिला जयपुर निवासी राम सिंह चौधरी बांग्लादेश में हुई त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज खेलने के साथ ही श्रीलंका में हुई टी-20 क्रिकेट सीरीज में मेजबान को 2-1 से पराजय का हलाहल पिलाने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रह चुका है। राम सिंह सिंगापुर में हुई त्रिकोणीय सीरीज में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। राम सिंह के बेहतरीन खेल की बदौलत भारत ने सिंगापुर को 3-0 से पराजित किया था। राम सिंह बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता में हुए मुकाबले में भी बेजोड़ खेल दिखा चुके हैं। यह खिलाड़ी नेपाल सीरीज में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुका है। राम सिंह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की शान है। इसने 2016 और 2019 में भारत को एशिया कप जिताया है। यह खिलाड़ी राजस्थान के लिए 10 राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भी खेल चुका है जिसमें दो बार राजस्थान विजेता रहा है। रणजीत और राम सिंह की ही तरह दुर्गेश शर्मा भी बेजोड़ हरफनमौला इंटरनेशन क्रिकेटर है।
खेलपथ के माध्यम से मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और खेल मंत्री अशोक चांदना से गुजारिश करूंगा कि वह अपनी भूल सुधार करते हुए दिव्यांग क्रिकेटरों को भी शासकीय सेवा में अवसर प्रदान कर एक नजीर स्थापित करें। अशोक चांदना स्वयं खिलाड़ी हैं, उनका खेलप्रेम किसी से छिपा नहीं है। मैं उम्मीद करता हूं कि राजस्थान सरकार दिव्यांग इंटरनेशनल क्रिकेटरों रणजीत गुर्जर, दुर्गेश शर्मा और राम सिंह के साथ इंसाफ जरूर करेगी। यदि ऐसा न हुआ तो यही समझा जाएगा कि राजस्थान सरकार सिर्फ झूठी वाहवाही लूटना चाहती है। अशोक चांदना जी क्रिकेट खेल ही नहीं भारत में यह एक महोत्सव है, धर्म है, क्रिकेट मुकाबला होने पर सड़कें तक सूनी हो जाती हैं ऐसे में दिव्यांग क्रिकेटरों की उपेक्षा करने का गुनाह न करें। अब देखना यह है कि राजस्थान सरकार इन खिलाड़ियों की दुआ लेगी या बद्दुआ।