गोल्फर राशिद खान ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

डीजीसी में अनियमितताओं के खिलाफ जांच कराने की मांग की
डीजीसी में प्रैक्टिस की अनुमति प्रदान की जाए
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।
ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने की रेस में सबसे आगे देश के अग्रणी गोल्फर राशिद खान गोल्फ क्लब की बजाय यमुना किनारे खाली पड़े वेटलैंड पर प्रैक्टिस को मजबूर हैं। हारकर उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पत्र लिखकर अपने लिए दिल्ली गोल्फ क्लब (डीजीसी) के दरवाजे खुलवाने की मांग उठाई है। राशिद ने कारपोरेट मामलों के सचिव को पत्र लिखते हुए डीजीसी में अनियमितताओं के खिलाफ जांच कराने को लिखा है। साथ ही यहां प्रशासक बिठाने की मांग की है।
2010 के गुआंग झू एशियाई खेलों में रजत जीतने वाले राशिद कोरोना के चलते इस साल टूर्नामेंट नहीं खेल पाए हैं, जिससे उनकी विश्व रैंकिंग को नुकसान हुआ है, लेकिन दिसंबर में चंडीगढ़ में होने वाले पीजीटीआई टूर्नामेंट में उन्हें खेलना है जहां उन्हें विश्व रैकिंग के अंक मिलेंगे। इस टूर्नामेंट के लिए वह गोल्फ क्लब की मखमली घास के बजाय यमुना किनारे ऊबड-खाबड़ घास पर प्रैक्टिस कर रहे हैं। दो बार एशियाई प्रोफेशनल टूर का खिताब जीतने वाले राशिद ने कहा कि उनके पास यहां प्रैक्टिस करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
डीजीसी ने उन्हें अब तक प्रैक्टिस की अनुमति प्रदान नहीं की है। हारकर उन्होंने कारपोरेट मामलों के सचिव राजेश वर्मा को 14 पन्नों का पत्र लिखा है, जिसकी प्रति उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजी है। उनकी यही गुहार है कि उन्हें किसी तरह डीजीसी में प्रैक्टिस की अनुमति प्रदान की जाए जिससे वह टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर सकें।
राशिद पर डीजीसी ने जनवरी, 2019 में उनका सिक्योरिटी स्टाफ के साथ विवाद होने पर क्लब में प्रैक्टिस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद उन्होंने अदालत की शरण ले ली थी। तब से राशिद क्लब में प्रैक्टिस के लिए लगातार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली है। वहीं क्लब के एक अधिकारी का कहना है कि राशिद अगर केस  वापस लेकर क्षमा मांगते हैं तो उन्हें प्रवेश देने पर विचार किया जा सकता है।

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