नेशनल ट्रायल के लिए चुनी गयीं आदिवासी हॉकी खिलाड़ी!

खेलपथ प्रतिनिधि

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मैदान की गैरमौजूदगी में हेलीपैड पर अभ्यास करने वाली 9 खिलाड़ियों का चयन जूनियर महिला राष्ट्रीय हॉकी परीक्षण (ट्रायल) शिविर के लिए हुआ है। लगभग 4 साल पहले कई बाधाओं को तोड़ते हुए राज्य के नक्सल प्रभावित कोडागांव जिले में 14 से 17 वर्ष की आयु की लड़कियों को अर्धसैनिक बल भारतीय-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) द्वारा प्रशिक्षित किया जाना शुरू किया गया था। 
आईटीबीपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘छत्तीसगढ़ में 41वीं बटालियन द्वारा संचालित आईटीबीपी अकादमी के साथ हॉकी प्रशिक्षण करने वाली 9 आदिवासी लड़कियों को हॉकी इंडिया के सब-जूनियर और जूनियर राष्ट्रीय परीक्षण शिविर के लिए चुना गया है।'' उन्होंने कहा, ‘इन लड़कियों को 2016 में इस सुरक्षा बल द्वारा खेलने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। वे जिले के मर्दापाल इलाके में कन्या आश्रम (बालिका विद्यालय) में पढ़ाई भी करतीं हैं।'' 
उन्होंने बताया कि शिविर इस महीने के अंत में आयोजित किया जाएगा और लड़कियों को हॉकी इंडिया द्वारा हाल ही में स्थायी पहचान पत्र जारी किए गए हैं। उनके कोच और आईटीबीपी के हेड कांस्टेबल सूर्या स्मित ने कहा कि लड़कियों को ‘‘अगर ज्यादा मौका और बेहतर सुविधाएं दी जाएं तो वे चमत्कारिक प्रदर्शन करने में सक्षम हैं।'' लड़कियों ने हालांकि कहा कि राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व करने के उनके सपने में सुविधाओं की कमी रुकावट बन रही है। उन्होंने केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू से खेल का उचित मैदान तक पहुंचने में मदद करने की मांग की। आईटीबीपी अधिकारी ने बताया कि यहां आदिवासी क्षेत्रों सहित स्थानीय इलाके की कम से कम 55 लड़कियों को खेल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें हॉकी और फुटबॉल शामिल है। 
‘2016 तक हमें हाकी के बारे में कुछ भी नहीं पता था’
 सुलोचना नेताम नाम की खिलाड़ी ने कहा, ‘हमने स्कूल की किताब में पढ़ा था कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है, लेकिन 2016 तक हमें इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था। आईटीबीपी ने हमें सिखाना शुरू किया। हम मर्दापाल पुलिस कैंप के पास एक हेलिपैड पर अभ्यास करते हैं। यहां सिर्फ वही एक खुली जगह उपलब्ध है।'' उन्होंने कहा, ‘हेलीपैड आंशिक रूप से सीमेंट से बना है और बाकी का मैदान भी समतल नहीं है। ऐसे में चोटिल होने का डर बना रहता है। हम केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रीजीजू से अनुरोध करते हैं कि वह हमें एक उचित खेल मैदान तक पहुंचाने में मदद करें।'

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