ओलम्पियन एथलीट सागरदीप मरी नहीं मारी गई
माता-पिता और बहन मांग रहे न्याय, पति ने रचा ली दूसरी शादी
हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह के पास समय नहीं पीड़ितों से मिलने का
श्रीप्रकाश शुक्ला
नई दिल्ली। चार साल से अपनी बेटी ओलम्पियन एथलीट सागरदीप की हत्या के मामले को लेकर उसके माता-पिता और बहन सब दूर न्याय की गुहार लगा चुके हैं। सागरदीप की याद में रोते बूढ़े माता-पिता की आंखें पथरा गई हैं लेकिन हरियाणा का शासन और निकम्मा पुलिस तंत्र अब भी उनींदा है। कहने को हरियाणा के खेल मंत्री एक खिलाड़ी हैं लेकिन एक ओलम्पियन खिलाड़ी की हत्या के मामले में उनकी चुप्पी समझ से परे है। सागरदीप के परिजन खेल मंत्री संदीप सिंह से मिलने के सारे प्रयास कर चुके हैं लेकिन उनके पास इतना भी समय नहीं कि वह कुछ समय उस दुखियारी माता-पिता को दे सकें जिसने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर मादरेवतन को सागरदीप जैसी जांबाज खिलाड़ी बेटी दी थी।
जिस दिन से ओलम्पियन सागरदीप मारी गई है, उसी दिन से खेलों से बेशुमार मोहब्बत करने वालों का बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे सरकारी जुमलों पर से विश्वास उठ सा गया है। साल 2002 में एशियन चैम्पियनशिप में चार गुणा चार सौ मीटर रिले दौड़ में गोल्ड मेडल जीतने वाली और 2004 एथेंस ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी भारतीय एथलीट सागरदीप कौर की वर्ष 2016 में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। 23 नवम्बर, 2016 को कैथल के चीका टाउन में हुई इस दुर्घटना को पुलिस ने अपनी छानबीन में हिट एण्ड रन का मामला मानते हुए यह केस बंद कर दिया था।
सागरदीप की मौत के साक्ष्य चीख-चीख कर बता रहे हैं कि सागरदीप दुर्घटना में मरी नहीं बल्कि मारी गई है। सागरदीप को मौत के घाट उतारने वाला कोई और नहीं बल्कि उसका पति है। जो पुलिस एक खिलाड़ी बेटी के दुर्घटना में मारे जाने की दुहाई दे रही है वह बताए कि सागरदीप की स्कूटी क्यों सुरक्षित है? दुःख की बात है कि पुलिस तंत्र सागरदीप के पति हत्यारे सतनाम सिंह को सलाखों में डालने की बजाय उसे बचा रही है। सागरदीप की मौत के मामले में पुलिस तफ्तीश संदेह के दायरे में है। खेलप्रेमियों को बता दें कि सागरदीप स्वयं भी पुलिस में रही है। आज उसकी आत्मा पुलिस विभाग की अकर्मण्यता को जरूर धिक्कार रही होगी।
सागरदीप के जीवन को तो अब वापस नहीं लाया जा सकता लेकिन इस मामले में हरियाणा सरकार के साथ ही केन्द्र सरकार यदि मामले की पुनः गहनता से विवेचना कराए तो समाज में छिपे सतनाम जैसे भेड़ियों से बेटियों को जरूर बचाया जा सकता है। दूसरी शादी रचा चुके सतनाम का असली चेहरा समाज के सामने न आया तो न जाने कितनी और बेटियां असमय काल के गाल में समा जाएंगी। सागरदीप की मौत वाले दिन से ही सतनाम पुलिस को गुमराह कर रहा है। पिछले चार साल से सागरदीप के माता-पिता और उसकी बहन रतनदीप कौर न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। खराब सिस्टम के खिलाफ आवाज लगातार मुखर हो रही है। रतनदीप कौर ने सोशल मीडिया पर एक (#justiceforsagardeep) अभियान शुरू किया है, जिसे लगातार राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का समर्थन मिल रहा है।
सागरदीप की हत्या के मामले में आरोपित सतनाम सिंह के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने की बजाय हरियाणा के खेल विभाग द्वारा उसे बतौर खेल प्रशिक्षक सेवा का अवसर दिया गया है। सागरदीप मामले को लेकर घबराये सतनाम का कहना है कि उसे बेवजह सोशल मीडिया का सहारा लेकर बदनाम किया जा रहा है, जबकि वह इस केस से दोषमुक्त हो चुका है। कैथल के पुलिस सुपरिंटेंडेंट शशांक कुमार सावन ने मीडिया को जानकारी दी कि यह केस बंद हो चुका है, फिर भी जरूरत पड़ने पर पुलिस इसकी फिर से तफ्तीश कर सकती है। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक शशांक कुमार सावन ने कहा, 'पुलिस ने अतीत में सागरदीप एक्सीडेंट केस की छानबीन की थी और केस बंद हो चुका है। लेकिन अगर उनके परिवार को लगता है कि इस केस की जांच सही प्रकार से नहीं हुई थी तो वे हमसे सम्पर्क करेंगे तो हम फिर से पूछताछ के लिए तैयार हैं।'
गौरतलब है कि दो बच्चों की मां सागरदीप मौत के समय 35 साल की थीं। वह पंजाब पुलिस में सहायक सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थीं। उनकी गुहला रोड पर सड़क दुर्घटना में मौत बताई जाती है। सागरदीप कौर की शादी एथलेटिक्स प्रशिक्षक सतनाम सिंह के साथ हुई थी। ओलम्पियन सागरदीप कौर पंजाब के जिला पटियाला में खेल कोटे से सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुईं और वहीं पर नौकरी कर रही थीं। सागरदीप ने 2004 के एथेंस ओलम्पिक में हिस्सा लिया था और सातवें नम्बर पर रही थीं। जानकारी के मुताबिक 23 नवम्बर, 2016 को वह सुबह चीका में बच्चों को कोचिंग देने के लिए अपनी स्कूटी पर जा रही थीं कि रास्ते में किसी अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। सागरदीप कौर की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि उनकी स्कूटी सही-सलामत रही। स्कूटी का सही सलामत होना और सतनाम की मौत वाले दिन की बेफिक्री इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सागरदीप मरी नहीं बल्कि मारी गई है।