अब खेल संगठनों की मान्यता बहाली की अड़चनें दूर

सुप्रीम कोर्ट की ओर से खेल मंत्रालय को मिली राहत 
नई दिल्ली।
राष्ट्रीय खेल संघों को प्रतिबंधित किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से खेल मंत्रालय को थोड़ी राहत मिल गई है। खेल मंत्रालय की ओर से अदालत में दाखिल की गई स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) की सुनवाई में फैसला सुनाया गया कि मंत्रालय को खेल संघों पर कोई भी फैसला लेने से पहले हाईकोर्ट से अनुमति मांगने की जरूरत नहीं है।
अदालत ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट में खेल संघों का मामला 2010 से लंबित है। उसने हाईकोर्ट को इसे जल्द से जल्द निपटाने के निर्देश दिए हैं। अदालत के इस फैसले के बाद अब खेल मंत्रालय खेल संघों की मान्यता पर फैसला ले सकता है। इसके बारे में उसे सिर्फ हाईकोर्ट को बताना होगा। 
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अगर याचिकाकर्ता को खेल मंत्रालय की ओर से खेल संघों की मान्यता पर लिए गए फैसले पर कोई एतराज है तो इसे वह चुनौती दे सकते हैं। अदालत के इस फैसले के बाद अब खेल मंत्रालय प्रतिबंधित किए गए 57 खेल संघों की मान्यता बहाल कर सकता है। हालांकि वह खेल संघों की मान्यता के बारे में हाईकोर्ट को दो मई को ही बता चुका है, लेकिन उसकी ओर से एक बार अदालत को यह सूचना दी जा सकती है।
वहीं याचिकाकर्ता राहुल मेहरा सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को अपने पक्ष में बताते हैं। मेहरा मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने वापस इस मामले को हाईकोर्ट के पास भेज दिया है। फिर उन्होंने सभी 57 खेल संघों को स्पोट्र्स कोड पर खरा नहीं बताया है। इसका जवाब भी मंत्रालय ने हाईकोर्ट में दाखिल नहीं किया है।

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