मैदानों में खिलाड़ी तो कागजों में खेलता है भारतीय ओलम्पिक संघ

खेलपथ प्रतिनिधि

ग्वालियर। भारत में खेलों के गिरते स्तर की जब भी बात होती है अधिकांश खेलप्रेमी खेल मंत्रालय को ही कसूरवार ठहराते हैं। यह सही है कि खेलों पर हमारी सरकारें ही पानी की तरह पैसा बहाती हैं लेकिन खेलों के सिस्टम को सत्यानाश किए जाने में सरकार से कहीं अधिक भारतीय खेल प्राधिकरण और भारतीय ओलम्पिक संघ की भूमिका होती है। इस समय भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा, महासचिव राजीव मेहता तथा कोषाध्यक्ष आनन्देश्वर पाण्डेय हैं। खेलों में इन तीनों की योग्यता और उपलब्धियां मुझसे कहीं अधिक खिलाड़ियों को पता होंगी। इस त्रिमूर्ति में एक पदाधिकारी का काम सिर्फ और सिर्फ गरम गोस्त परोशना है।

भारतीय ओलम्पिक संघ भारत की राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओए) है। संघ का कार्य ओलम्पिक, एशियाई खेल, राष्ट्रमण्डल खेल तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले एथलीटों का चयन और भारतीय दल का प्रबंधन करना है। ओलम्पिक खेलों में भारत की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती। वैसे देश में भारतीय ओलम्पिक संघ का गठन 1927 में किया गया था। ओलम्पिक में भारत ने सबसे पहले 1900 में एकमात्र खिलाड़ी के साथ भाग लिया था। उस खिलाड़ी की नाम नार्मन पिचार्ड था, जिसने एथलेटिक्स में दो रजत पदक जीते थे। 1920 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में देश ने पहली बार एक टीम भेजी और उसके बाद से हर ग्रीष्मकालीन खेलों में भारत की सहभागिता रही है।

ओलम्पिक खेलों में भारत अब तक 28 पदक जीत चुका है जिसमें 11 पदक अकेले हाकी के हैं। शीतकालीन खेलों में भारत को अभी तक पदक जीतने में सफलता नहीं मिली है। भारतीय हाकी टीम ने पिछले 40 साल से ओलम्पिक में बेशक पदक न जीता हो लेकिन इन खेलों में लम्बे समय तक राष्ट्रीय हॉकी टीम का ही दबदबा रहा। हाकी में भारत ने 11 पदक जीते, जिनमें आठ स्वर्ण पदक शामिल हैं। भारत ने हाकी में 1928 से 1956 तक लगातार छह स्वर्ण पदक जीते थे।

भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्षों की बात करें तो संगठन के पहले अध्यक्ष दोराबजी टाटा रहे। टाटा 1927 से 1928 तक भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष रहे। 1928 से 1938 तक अध्यक्ष की आसंदी पर महाराजा भूपिंदर सिंह बिराजे। 1938 से 1960 तक भारतीय ओलम्पिक संघ की कमान महाराजा यादविन्द्र सिंह के हाथ रही। 1960 से 1975 तक भारतीय ओलम्पिक संघ की कमान भालिन्द्र सिंह ने सम्हाली। 1976 से 1980 तक ओमप्रकाश मेहरा तो 1980 से 1984 तक पुनः भालिन्द्र सिंह अध्यक्ष रहे। 1984 से 1987 तक विद्याचरण शुक्ल तो 1987 से 1996 तक शिवान्थि आदिथन ने आईओए की अध्यक्षी सम्हाली। 1996 से 2012 तक सुरेश कलमाड़ी अध्यक्ष रहे। कलमाड़ी के कार्यकाल में ही भारत ने पहली बार राष्ट्रमण्डल खेलों का आयोजन किया लेकिन इस आयोजन ने खेलों में भ्रष्टाचार की नई पटकथा लिख दी। विजय कुमार मल्होत्रा भी कुछ समय के लिए भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष रहे। खैर पांच दिसम्बर, 2012 को अभय सिंह चौटाला भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष बने और वह इस पद पर नौ फरवरी, 2014 तक कायम रहे। चौटाला के बाद नारायण रामचंद्रन को अध्यक्षी हासिल हुई जिस पर वह नौ फरवरी, 2014 से 13 दिसम्बर, 2017 तक बिराजमान रहे। 14 दिसम्बर, 2017 से नरिंदर ध्रुव बत्रा भारतीय ओलम्पिक संघ की बागडोर सम्हाले हुए हैं। नरिंदर ध्रुव बत्रा को भारतीय ओलम्पिक संघ की आसंदी से उतारने के यदा-कदा प्रयास भी हुए लेकिन वह अपनी तिकड़मों से विरोधियों की हर चाल को चलता कर चुके हैं।  

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