मैं सुन-बोल नहीं सकता इसलिए हो रही नाइंसाफी

गूंगा पहलवान ने की पीएम मोदी और खेल मंत्री से खेल रत्न की मांग
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली। डेफ ओलम्पिक में तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक तथा डेफ विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीत चुके गूंगा पहलवान के नाम से प्रसिद्ध हरियाणा के विरेंदर सिंह ने देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्री किरेन रिजिजू से गुहार लगाई है। गूंगा पहलवान ने ट्वीट कर कहा, माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय खेल मंत्री जी, मुझे खेल रत्न नहीं मिला, “इस बात का दु:ख नहीं है...दु:ख इस बात का है कि पैरा एथलेटिक्स जिसकी उपलब्धियां मुझसे बहुत कम थीं...उनको खेल रत्न दिया गया...मैं सुन-बोल नहीं सकता...शायद इसलिए मेरे साथ सालों से यह हो रहा है...जयहिन्द।” उल्लेखनीय है कि इस बार पांच खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार दिया जा रहा है जिसमें पैरालम्पिक 2016 का स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी भी शामिल है।
हरियाणा के झज्जर जिले के विरेंदर ने 2005 डेफ ओलम्पिक मेलबर्न में 84 किलोग्राम में स्वर्ण, 2013 डेफ ओलम्पिक बुल्गारिया में 74 किलोग्राम में स्वर्ण, 2017 डेफ ओलम्पिक तुर्की में 74 किलोग्राम में स्वर्ण और 2009 डेफ ओलम्पिक ताइवान में 84 किलोग्राम में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने इसके अलावा 2008 डेफ विश्व चैम्पियनशिप में रजत, 2012 डेफ विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य और 2016 डेफ विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। भारत ने अब तक डेफ ओलम्पिक के इतिहास में कुल 18 स्वर्ण पदक जीते हैं जिनमें से तीन स्वर्ण पदक अकेले गूंगा पहलवान के नाम हैं।
गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर विरेंदर ने पिछले वर्ष भी खेल रत्न के लिए अपना नाम भेजा था लेकिन तब भी उन पर कोई विचार नहीं किया गया था। विरेंदर ने प्रधानमंत्री और खेल मंत्री को सम्बोधित अपने ट्वीट में अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए कहा कि वह सुन-बोल नहीं सकते, शायद इसलिए सालों से उनके साथ ऐसा हो रहा है। हरियाणा के एक अन्य डेफ पहलवान अजय कुमार ने अर्जुन पुरस्कार के लिए आवेदन किया था लेकिन उनके नाम पर भी विचार नहीं हुआ जबकि इस साल 27 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार दिया जाना है। अर्जुन ने 2017 डेफ ओलम्पिक तुर्की में 64 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक हासिल किया था। इसी तरह दिल्ली की डेफ बैडमिंटन खिलाड़ी सोनू आनंद ने अपनी उपलब्धियों के लिए ध्यानचंद पुरस्कार के लिए आवेदन किया था लेकिन उन पर भी कोई विचार नहीं हुआ।
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