कभी पुरस्कार का इच्छुक नहीं रहा पर अब कृतज्ञ हूंः प्रदीप गांधे

ध्यानचंद पुरस्कार पर कुछ ऐसी रही प्रतिक्रिया
नई दिल्ली। प्रतिष्ठित ध्यानचंद पुरस्कार के लिए चयनित पूर्व भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और कोच प्रदीप गांधे ने कहा कि वह कभी पुरस्कार पाने के इच्छुक नहीं रहे, लेकिन वह कृतज्ञ हैं कि खेलों में उनके योगदान को मान्यता मिली है। गांधे पूर्व भारतीय कोच हैं और उन्होंने एशियाई खेल 1982 में दो कांस्य पदक भी जीते थे। उन्होंने लेरॉय डिसूजा के साथ युगल में कांस्य पदक हासिल किया था।
महाराष्ट्र बैडमिंटन संघ और भारतीय बैडमिंटन संघ के भी पदाधिकारी रहे गांधे ने कहा, ‘मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं, लेकिन इससे भी अधिक यह पुरस्कार एक खिलाड़ी, एक कोच और एक प्रशासक के तौर पर खेलों में मेरे योगदान को मान्यता प्रदान करता है।’
दिग्गज प्रकाश पादुकोण, सैयद मोदी और पार्थो गांगुली के समकक्ष रहे गांधे ने कहा, ‘मैंने कभी किसी पुरस्कार की चाहत में कोई काम नहीं किया, लेकिन अब मैं कृतज्ञ हूं कि सरकार ने मेरे काम को मान्यता दी है।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे पूरे करियर के दौरान मेरे परिवार को बहुत सहयोग मिला, विशेषकर मेरी पत्नी का क्योंकि मेरा मुख्य करियर शादी के बाद शुरू हुआ था।’
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