फुटबाल में आर.डी. पाउल के जज्बे को उत्तर प्रदेश का सलाम
20 इंटरनेशनल तो 200 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी दिए
मनीषा शुक्ला
कानपुर। सफलता का अचूक कायदा है कि अपनी शक्तियों को बिखरने मत दीजिए। न ही नए कार्य का श्रीगणेश करने के विचार से ही किसी कार्य को अधूरा छोड़िए। विवेक को सदा जागृत रखिए। सदैव रचनात्मक योग्यता के बलबूते पर ही इंसान अपने भाग्य का नियंत्रक बन सकता है। तारीफ करनी होगी फुटबाल को पूरी तरह से समर्पित उन्नाव के जिला क्रीड़ा अधिकारी रतन दीप पाउल उर्फ आर.डी. पाउल की जिन्होंने एक खिलाड़ी, प्रशिक्षक और एक जवाबदेह खेल अधिकारी के रूप में सामंजस्य बिठाते हुए उत्तर प्रदेश में एक नया प्रतिमान स्थापित किया है।
आर.डी. पाउल को उत्तर प्रदेश के खेलप्रेमी एक जवाबदेह खेल अधिकारी के रूप में ही नहीं बल्कि उनकी सदाशयता, खेलों के प्रति कमेटमेंट और कभी न हार मानने वाले इंसान के रूप में भी जानते हैं। श्री पाउल में हर वह गुण है जोकि एक खेल चितेरे में होना चाहिए। एक खिलाड़ी के रूप में जहां इन्होंने अपनी प्रतिभा का नायाब नमूना पेश किया वहीं एक प्रशिक्षक के रूप में भी इनका कोई जवाब नहीं है। श्री पाउल 20 से अधिक बार नेशनल फुटबाल चैम्पियनशिप में अपने कलात्मक खेल से फुटबाल प्रेमियों को सम्मोहित कर चुके हैं। मैदान में इनके पैरों की चपलता देखते ही बनती है।
आर.डी. पाउल उत्तर प्रदेश के एकमात्र इंटरनेशनल फुटबाल प्रशिक्षक हैं। 1986 में पटियाला से एनआईएस डिप्लोमा हासिल श्री पाउल भारतीय अण्डर-18 टीम के मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका का निर्वहन करने के साथ 2016 में दक्षिण कोरिया, 2017 में ईरान तथा 2018 में भारतीय सरजमीं पर अपने हुनर का जलवा दिखा चुके हैं। आर.डी. पाउल उत्तर प्रदेश सीनियर फुटबाल टीम के चयनकर्ता के रूप में भी अपनी काबिलियत का परिचय दे चुके हैं। इतना ही नहीं इन्होंने 2013 में भारतीय स्कूल टीम के चयन की महती जवाबदेही का भी पूरी निष्ठा से निर्वहन किया था। यह एआईएफएफ के भी कोच रह चुके हैं। श्री पाउल के लाजवाब प्रशिक्षण से एक-दो नहीं बल्कि देश को 20 इंटरनेशनल तो 200 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी मिल चुके हैं।
फुटबाल के क्षेत्र में इनकी शानदार सेवाओं का उत्तर प्रदेश ही नहीं समूचा हिन्दुस्तान कायल है। आप सोते-जगते सिर्फ दुनिया के नम्बर एक खेल फुटबाल की बेहतरी के बारे में ही सोचते हैं। श्री पाउल को फुटबाल के क्षेत्र में अब तक की गई सेवाओं के लिए दर्जनों अवार्डों से नवाजा जा चुका है। 1989 में इन्हें देश के दिल नई दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षक के अवार्ड से तो 2003 में गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के करकमलों से पूर्वांचल खेल रत्न अवार्ड से विभूषित किया जा चुका है। 2019 में इन्होंने वाराणसी में सेंचुरी स्पोर्ट्स अवार्ड हासिल कर प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक नजीर पेश की है। मिलनसार और हरदिल अजीज आर.डी. पाउल एक उच्चकोटि के खिलाड़ी, काबिल प्रशिक्षक होने के साथ ही एक कर्तव्यनिष्ठ खेल अधिकारी के रूप में खेलप्रेमियों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। आज के समय में जब छोटी-मोटी उपलब्धियां हासिल करने वाला इंसान अपने कालर ऊंचे कर लेता है ऐसे समय में श्री पाउल पूरी लगन और निष्ठा के साथ अपने कार्यों को अंजाम देते हुए देखे जा सकते हैं।
श्री पाउल कहते हैं कि मौत और जिन्दगी में से हर कोई हमेशा जिन्दगी को चुनता है लेकिन मैंने मृतप्राय फुटबाल को नया जीवन देने का संकल्प लिया है। मैं हमेशा सकारात्मक सोचता हूं, फुटबाल के गिरते स्तर को सुधारने के बारे में ही मंथन करता हूं यही मेरी जिन्दगी का मूल फलसफा है। मैं युवा पीढ़ी को संदेश देना चाहता हूं कि बहानेबाजी करते-करते ठहर जाना जिन्दगी नहीं है। आशा जगाकर देखिए निराशा खुद-ब-खुद छंट जाएगी। श्री पाउल कहते हैं कि आशा कहीं खोजने की जरूरत नहीं, यह हर इंसान के भीतर होती है। हर युवा को अपना सर्वोत्तम प्रयास करना चाहिए। कल की प्रतीक्षा करना ठीक नहीं है। भविष्य के बारे में सोच-सोचकर अपना वर्तमान बर्बाद करना बुद्धिमानी नहीं कही जा सकती। आत्मबल जुटाइए, ताकि हर हालात से निपटने में सक्षम बन सको। श्री पाउल कहते हैं कि सफल वही होते हैं, जिनमें आत्मबल होता है। इसलिए बहानेबाजी और टाल-मटोल से निकल कर, हमें हर छोटा-बड़ा काम पूरी लगन-ध्यान और निष्ठा से करना चाहिए।