मथुरा से हुई टारगेट बाल की शुरुआत
नया खेल, नई उम्मीदें
सोनू शर्मा ने ईजाद किया यह खेल
श्रीप्रकाश शुक्ला
हर नया खेल नई उम्मीदें जगाता है। आठ अक्टूबर, 2012 को भगवान श्रीकृष्ण की पावन धरती पर जब टारगेट बाल खेल को ईजाद किया गया तब किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि यह खेल इतनी जल्दी पापुलर हो जाएगा। लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान से स्नातक (बीपीएड) एक युवा मन में कुछ नया करने का विचार पैदा हुआ कि क्यों न किसी ऐसे खेल को ईजाद किया जाए जो लोकप्रियता के नए आयाम स्थापित करे। कान्ती देवी डेण्टल कालेज मथुरा में स्पोर्ट्स आफिसर सोनू शर्मा की शिक्षा-दीक्षा बेशक मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई हो लेकिन खेलों की तालीम हासिल इस युवा ने वह कर दिखाया जिसे असम्भव नहीं तो मुश्किल जरूर कहा जा सकता है। चार साल में ही इस खेल ने इतनी शोहरत बटोर ली है कि उसे 26 जून, 2016 को स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इण्डिया में शामिल कर लिया गया। सितम्बर 2016 में तेलंगाना राज्य के वारंगल में हुई प्रथम एस.जी.एफ.आई. की राष्ट्रीय प्रतियोगिता के फाइनल में आंध्र प्रदेश ने दिल्ली को पराजित कर विजेता होने का गौरव हासिल किया। इस खेल का कांस्य पदक विद्या भारती ने जीता। इस खेल में 11 खिलाड़ी होते हैं जिनमें छह खिलाड़ी मैदान में जौहर दिखाते हैं तो पांच खिलाड़ी बाहर बैठते हैं।
सोनू शर्मा का जन्म मथुरा जिले के गाठौली गांव में 26 मई, 1988 को हुआ। सोनू शर्मा ने अपनी स्कूली शिक्षा श्री जी बाबा सरस्वती विद्या मंदिर मथुरा से पूरी की। इन्होंने अपनी स्नातक (बीपीएड) की पढ़ाई सन 2010 में ग्वालियर के लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान से पूरी करने के बाद 21012 में एमपीएड देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर से किया। इसी साल सोनू शर्मा ने नेट परीक्षा भी उत्तीर्ण की। इसके बाद 2014 में इन्होंने स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर से एम.फिल की डिग्री हासिल की। यह होनहार स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ। स्पोर्ट्स एजूकेशन की तालीम हासिल करने के बाद सोनू शर्मा को मथुरा के ही के.डी. डेण्टल कालेज में खेल अधिकारी के पद पर कार्य करने का अवसर मिला। सोनू शर्मा बताते हैं कि एमपीएड करने के बाद उनके मन में एक नए खेल को ईजाद करने का विचार आया और उन्होंने टारगेट बाल खेल को मैदानी शक्ल देने में दक्षता हासिल की। सोनू शर्मा ने इस खेल का श्रीगणेश श्री जी बाबा सरस्वती विद्या मंदिर मथुरा में ही किया जहां से इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी।
टारगेट बाल के जन्मदाता सोनू शर्मा अंतरराष्ट्रीय टारगेट बाल संस्था के अध्यक्ष और भारतीय टारगेट बाल संस्था के महासचिव भी हैं। इस खेल की जहां तक बात है इसकी पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता वर्ष 2013 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई थी। इस खेल की लोकप्रियता का आलम यह है कि तीन साल में ही इस खेल की 11 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के साथ ही तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हो चुकी हैं। भारत के अलावा नेपाल, भूटान, थाईलैण्ड और श्रीलंका के खिलाड़ी भी इस खेल को आत्मसात कर चुके हैं।
सोनू शर्मा कहते हैं कि खेल और स्पोर्ट्स हमारे लिए बहुत ही लाभदायक हैं क्योंकि वे हमें समयबद्धता, धैर्य, अनुशासन, समूह में कार्य करना और लगन सिखाते हैं। खेलना हमें आत्मविश्वास के स्तर का निर्माण करना और सुधार करना सिखाता है। यदि खेल का नियमित अभ्यास करें तो हम अधिक सक्रिय और स्वस्थ रह सकते हैं। खेल गतिविधियों में शामिल होना, हमें बहुत से रोगों से सुरक्षित करने में मदद करता है। यह हमें जीवन में अधिक अनुशासित, धैर्यवान, समयबद्ध और विनम्र बनाता है। यह हमें जीवन में सभी कमजोरियों को हटाकर आगे बढ़ना सिखाता है। खेल हमें बहादुर बनाते हैं और चिड़चिड़ेपन व गुस्से को हटाकर खुशी का अहसास देते हैं। यह हमें शारीरिक और मानसिक आराम प्रदान करते हैं जिससे कि हम सभी समस्याओं से आसानी से निपट सकें। खेल इनडोर और आउटडोर होते हैं। कुछ आउटडोर या मैदान में खेले जाने वाले खेल फुटबॉल, हॉकी, वालीबाल, बेसबॉल, क्रिकेट, टेनिस, खो-खो, कबड्डी आदि हैं जिन्हें खेलने के लिए मैदान की आवश्यकता होती है। इनडोर खेल कैरम, ताश खेलना, शतरंज, टेबिल टेनिस आदि हैं जो घर में बिना किसी मैदान के खेले जा सकते हैं। कुछ खेल इनडोर और आउटडोर दोनों होते हैं जैसे बैडमिंटन और टेबिल टेनिस।
सोनू शर्मा बताते हैं कि टारगेट बाल आउटडोर और इनडोर खेल है। इस खेल में 11 खिलाड़ी होते हैं जिसमें छह खिलाड़ी मैदान में तथा पांच खिलाड़ी बाहर बैठते हैं। इस खेल में एक डायमण्ड प्लेयर होता है। इस खेल में एक साइड में दो टारगेट रिंग पोल होते हैं व पूरे कोर्ट में चार टारगेट रिंग पोल होते हैं। इस खेल में बाल को एक हाथ से ड्रिबिल करते हुए डायमण्ड जोन के बाहर से टारगेट करना होता है। इस खेल में चोट लगने की सम्भावना अन्य खेलों से कम होती है। यह काफी तेज खेल है। यह भारतीय खेल है और इसका भारत में ही विकास हुआ है। इस खेल की लोकप्रियता से आहत कुछ लोग इस खेल की नकल करते हुए फ्लाइंग बाल खेल को ईजाद कर खिलाड़ियों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। टारगेट बाल खेल फिलवक्त भारत के 22 राज्यों में खेला जा रहा है। सोनू को विश्वास है कि यह खेल कुछ वर्षों में ही जन-जन के बीच लोकप्रिय हो जाएगा।