पर्वतारोही सत्यरूप सिद्धांत का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज

नई दिल्ली। दुनिया के सात ज्वालामुखी शिखर को फतह करने वाले पहले भारतीय पर्वतारोही सत्यरूप सिद्धांत का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। भारतीय पर्वतारोही सिद्धांत ने सात महाद्वीपों में से प्रत्येक के उच्चतम ज्वालामुखी पर चढ़ने का अभूतपूर्व कारनामा किया है। ऐसा करने वाले वो पहले भारतीय हैं। इस असाधारण उपलब्धि के लिए उनका नाम प्रतिष्ठित 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड' में नामांकित किया गया है। 

सिद्धांत ने पिछले साल जनवरी 2019 में यह उपलब्धि हासिल की थी लेकिन हाल में उन्हें इसकी आधिकारिक स्वीकृति और प्रमाण पत्र प्राप्त उन्हें जारी किया गया है। उन्होंने अंटार्कटिका की सबसे ऊंचे ज्वालामुखी माउंट सिडली पर चढ़ाई की थी। 

सिद्धांत के अब तक माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर), नेपाल, माउंट एकॉनगुआ (6,961 मीटर), अर्जेंटीना, माउंट मैकिनली / माउंट डेनाली (6,194 मीटर), यूएसए, माउंट किलोजारो (5,895 मीटर), तंजानिया, माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर) रूस, माउंट ब्लांक (4,808.7 मीटर), फ्रांस, माउंट विंसन मासिफ (4,892 मीटर), अंटार्कटिका, पुणक जया / कार्सटेंस पिरामिड (4,884 मीटर), इंडोनेशिया और माउंट कोसेंस्स्को (2,228 मीटर), ऑस्ट्रेलिया के दुर्गम शिखर की चढ़ाई कर चुके हैं। 

वे पापुआ न्यू गिनी माउंट गिलुवे के सर्वोच्च ज्वालामुखी पर चढ़ने वाले पहले भारतीय हैं। पर्वतारोही सिद्धांत को केंद्र सरकार से अब तक वित्तीय सहायता नहीं मिली है और वह व्यक्तिगत रूप से 45 लाख के कर्ज तले दबे हैं। इन सभी बाधाओं के बावजूद सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय तिरंगे को ऊंचा कर देश को गौरवान्वित कर रहे हैं।

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