मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न दिलाने बुरहानपुर से दिल्ली निकला जांबाज
पदयात्री तारक पारकर का जी.एल. बजाज में भव्य स्वागत
पैदल चलें, स्वस्थ रहें का दे रहे संदेश
मथुरा। कालजयी हाकी खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न दिलाने बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) से नई दिल्ली की पदयात्रा पर निकले 63 वर्षीय तारक पारकर का जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के निदेशक डा. एल.के. त्यागी और संस्थान के प्राध्यापकों ने भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर श्री पारकर ने छात्र-छात्राओं को नशा छोड़ें, खेलों से जुड़ें तथा पैदल चलें, स्वस्थ रहें का संदेश भी दिया।
आज के समय में जहां इंसान एक-दो किलोमीटर भी पैदल नहीं चलता ऐसे समय में युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहने का संदेश देने वाले तारक पारकर 1978 में नेपाल की 16 सौ किलोमीटर पैदल यात्रा सहित अब तक देश भर में 30 हजार किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा कर चुके हैं। तारक पारकर ने जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में मिले सम्मान पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह मेरा नहीं उस खिलाड़ी का सम्मान है जिसने गुलाम भारत को समूची दुनिया में अपनी कलात्मक हाकी से गौरवान्वित किया था।
तीन साल पहले पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त हुए श्री पारकर ने बताया कि वह पिछले 40 साल से देश भर में युवाओं को नशा छोड़ें, खेलों से जुड़ें तथा पैदल चलें, स्वस्थ रहें का संदेश दे रहे हैं। मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न मिले इस बात का संदेश देने 15 दिसम्बर, 2019 को बुरहानपुर से पदयात्रा को निकले तारक पारकर ने बताया कि वह 13 फरवरी को दिल्ली के मेजर ध्यान चंद राष्ट्रीय क्रीड़ांगन में खेल मंत्री किरेन रिजिजू सहित केन्द्र सरकार से दद्दा को भारत रत्न देने का आग्रह करेंगे।
प्रतिदिन लगभग 50 किलोमीटर की पदयात्रा कर रहे श्री पारकर ने बताया कि अब वह उम्र के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके हैं लेकिन लोगों का स्नेह उन्हें बार-बार पदयात्रा को प्रेरित करता है। वह बताते हैं कि जब मैं युवा था उस समय मैंने 14 घण्टे में 120 किलोमीटर की पदयात्रा की थी, कुछ साल पहले मैंने 86 किलोमीटर की यात्रा 19 घण्टे में पूरी की।
आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्यक्ष डा. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल और चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने नेक कार्य के लिए तारक पारकर की मुक्तकंठ से सराहना की। डा. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि 63 साल की उम्र में श्री पारकर की यह पदयात्रा हर खिलाड़ी और खेलप्रेमी के लिए एक नजीर है। मैं भी चाहता हूं कि दद्दा ध्यान चंद को भारत रत्न जरूर मिले क्योंकि वह इसके हकदार हैं।