बीसीसीआई में मताधिकार गंवा सकते हैं हरियाणा, तमिलनाडु
नयी दिल्ली। संविधान संशोधन पर प्रशासकों की समिति (सीओए) के निर्देशों का अनुपालन नहीं करने वाले तमिलनाडु और हरियाणा जैसी राज्य इकाइयां बीसीसीआई में अपना मताधिकार गंवा सकती है लेकिन चुनावों के बाद वहां की क्रिकेट गतिविधियां प्रभावित नहीं होंगी। सीओए प्रमुख विनोद राय ने सोमवार को यह जानकारी दी।
सुप्रीमकोर्ट से नियुक्त प्रशासकों की समिति ने पिछले सप्ताह राज्य इकाइयों के चुनाव करवाने की तिथि 2 सप्ताह बढ़ाकर 28 सितंबर कर दी थी। उसने राज्य इकाइयों को 12 सितंबर तक निर्देशों के अनुरूप कामकाज शुरू करने का अल्टीमेटम दिया था। छत्तीसगढ़, कर्नाटक और मध्यप्रदेश ने अंतिम क्षणों में संवैधानिक संशोधनों पर सीओए के निर्देशों के पालन करने का फैसला किया। इसके बाद राज्य चुनावों से पहले 38 संघों में से केवल चार राज्य संघ ही ऐसे रह गये हैं जिन्होंने निर्देशों का पालन नहीं किया। तमिलनाडु और हरियाणा के अलावा अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने निर्देशों का पालन नहीं किया है। राज्य इकाइयों के चुनाव के बाद 22 अक्तूबर को बीसीसीआई के चुनाव होंगे। राय ने सीओए की बैठक के बाद कहा, ‘यह उन पर निर्भर है (अगर वे बीसीसीआई एजीएम का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं)। हम अब 28 सितंबर और 22 अक्टूबर को चुनाव करवाएंगे। जिस भी संघ ने निर्देशों का पालन नहीं किया है हम सुनिश्चित करेंगे कि उनकी क्रिकेट गतिविधियां प्रभावित न हों।’
अगर तमिलनाडु और हरियाणा मताधिकार गंवा देते हैं तो पूरी संभावना है कि बीसीसीआई इन दोनों राज्यों में क्रिकेट संचालन के लिये तदर्थ समिति गठित करेगी। प्रशासनिक सुधारों से जुड़े संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश सुप्रीमकोर्ट से नियुक्त लोढ़ा समिति ने की थी। तमिलनाडु पहले ही अदालत का दरवाजा खटखटा चुका है। उसने कहा कि उसकी याचिका पर सुनवाई होने से पहले बीसीसीआई के चुनाव नहीं हो सकते हैं। राय से पूछा गया कि क्या राज्य इकाइयां अदालत में जा रही हैं तो क्या इससे बीसीसीआई चुनाव प्रक्रिया में देरी हो सकती है, उन्होंने कहा, ‘एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती। चुनाव सही समय पर होंगे इसमें कोई संदेह नहीं है।’ राज्य संघों को 12 सितंबर तक अपने संशोधित संविधान को सीओए की मंजूरी के लिये भेजना था। इसके अलावा उन्हें चुनाव अधिकारी की नियुक्त करने तथा चुनावों की अधिसूचना जारी करनी थी।