पी.वी. सिन्धु में फेडरर, नडाल जैसा स्टेमिना

महज 30 सेकंड में दूर हो जाती है सिंधु की थकान: पूर्व शटलर प्रदीप राजू
बात इसी साल मार्च के महीने की है, जब पीवी सिंधु को प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के पहले ही राउंड में हार का सामना करना पड़ा। सिंधु ने उस हार को सामान्य हार बताया, लेकिन कहीं न कहीं इस हार से उनके मनोबल पर भी असर पड़ा। सिंधु के पिता रमन्ना इसको भांप गए और उन्होंने गोपीचंद एकेडमी से करीब 60 किलोमीटर दूर सिकंदराबाद स्थित सुचित्रा बैडमिंटन एकेडमी के मालिक व अपने मित्र पूर्व शटलर प्रदीप राजू से मुलाकात की और सिंधु को लेकर चर्चा की। सिंधु भी सुचित्रा एके़मी गईं। वहां स्ट्रेंथ ट्रेनर श्रीकांत वर्मा से उनकी मुलाकात हुई और यहीं से शुरू हुई वर्ल्ड चैंपियन बनने की तैयारी। 
इसके बाद सिंधु हर रोज गोपीचंद एकेडमी में अपनी कड़ी ट्रेनिंग पूरी करके 60 किलोमीटर दूर भारी ट्रैफिक को पार करके सुचित्रा एकेडमी जाती थीं। प्रदीप बताते हैं कि यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने कहा, 'हमने सिंधु का अध्ययन किया। यह सब कुछ वैज्ञानिक तरीकों से हुआ। उनके खेल को देखा तो पाया कि वह पिछले कुछ समय से अपने अटैकिंग खेल की बजाय रैलियों में ज्यादा व्यस्त हो रही थीं।'
प्रदीप राजू ने आगे बताया, 'सिंधु के अबडोमनल मसल्स (पेट की मांसपेशियां) भी कमजोर थीं और फ्रंट कोर्ट मूवमेंट पर इसका असर पड़ रहा था। मानसिक मजबूती के लिए सिंधु को मेडिटेशन भी कराया। वह प्रतिदिन आधे घंटे अकेले बंद कमरे में मेडिटेशन करती हैं। इसका बहुत प्रभाव पड़ा है। सिंधु मानसिक रूप से और मजबूत हुई हैं। इसके अलावा उनकी नींद पर भी नजर रखी गई। देखा गया वह कितने घंटे गहरी नींद में सोई।' 
इस पूर्व बैडिमिंटन खिलाड़ी ने बताया कि सिंधु के शरीर में ऐसी खूबियां हैं जो बहुत ही कम एथलीटों में होती हैं। कड़ी मेहनत करने या किसी काम में पूरी ऊर्जा डालने के बाद उनके दिल की धड़कन जब बहुत तेज हो जाती है तो उसे सामान्य होने में महज 30-35 सेकंड का समय लगता है। ऐसा बहुत कम एथलीटों में देखने को मिलता है। टेनिस की त्रिमूर्ति रोजर फेडरर, राफेल नडाल और नोवाक जोकोविच के साथ भी कुछ ऐसा ही है। इनके दिल की धड़कन को भी सामान्य होने में 30 से 35 सेकंड का समय लगता है यानी अन्य प्लेयर की तुलना में ये अपनी थकावट से जल्दी उबर जाते हैं। 
एक मामले में तो सिंधु की बॉडी रोजर, नडाल और जोको से भी बेहतर है। पीक पर भी उनके दिल की धड़कन 190 बीट्स/मिनट की रफ्तार तक ही पहुंच पाती है। अमूमन ऐसा नहीं होता है। सामान्यत: बड़े एथलीटों की धड़कन 200बीट्स/मिनट की रफ्तार तक पहुंच जाती है। सिंधु की बॉडी की यह खासियत उन्हें अन्य एथलीटों से बेहतर होने का मौका देती है। सिंधु के कोर (अबडोमनल मसल्स) कमजोर थे और वह 35 सेकंड तक भी प्लैंक (पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए एक्सरसाइज) नहीं कर पाती थीं, लेकिन कड़ी ट्रेनिंग के बाद अब वह तीन मिनट से ज्यादा प्लैंक कर लेती हैं। 

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