दिल्ली में यशस्वी का यशगान, जड़ा सातवां शतक

शुभमन गिल ने कप्तान के रूप में पहली बार टॉस जीता
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने अपने टेस्ट करियर का सातवां शतक जड़ा वहीं साई सुदर्शन ने भी अपने कौशल का अच्छा नमूना पेश करके टीम में अपनी उपयोगिता साबित की। इससे भारत ने वेस्टइंडीज के आक्रमण की धज्जियां उड़ाते हुए दूसरे एवं अंतिम टेस्ट क्रिकेट मैच के पहले दिन शुक्रवार को यहां दो विकेट पर 318 रन बनाए।
शुभमन गिल ने कप्तान के रूप में पहली बार टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। इसका जायसवाल ने पूरा फायदा उठाया। पहले टेस्ट में बड़ा स्कोर बनाने से चूकने वाले जायसवाल दूसरे मौके को हाथ से जाने देने के मूड में नहीं थे। उन्होंने कुछ आकर्षक शॉट लगाए। वह 253 गेंदों पर 22 चौकों की मदद से 173 रन बनाकर खेल रहे हैं। सुदर्शन हालांकि अपना पहला टेस्ट शतक पूरा नहीं कर पाए।
उन्होंने 165 गेंद का सामना करके 87 रन बनाए, जिसमें 12 चौके शामिल हैं। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज का यह सर्वोच्च टेस्ट स्कोर है। सुदर्शन और जायसवाल ने दूसरे विकेट के लिए 193 रन जोड़कर वेस्टइंडीज के कमजोर आक्रमण की कलई खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दिन का खेल समाप्त होने के समय जायसवाल के साथ कप्तान शुभमन गिल 20 रन बनाकर खेल रहे थे।
भारतीय कप्तान ने सतर्कता बरती और अभी तक उन्होंने 68 गेंद का सामना करके तीन चौके लगाए हैं। इन दोनों बल्लेबाजों ने अभी तक तीसरे विकेट के लिए 67 रन जोड़े हैं। केएल राहुल (38) का किस्मत ने साथ नहीं दिया। बाएं हाथ के स्पिनर जोमेल वारिकन की सुबह के सत्र में सिर्फ एक गेंद टर्न और बाउंस हुई, जिस पर उन्होंने राहुल का कीमती विकेट हासिल किया।वारिकन ने तीसरे सत्र में एक और टर्न लेती गेंद पर सुदर्शन को पगबाधा आउट करके वेस्टइंडीज को दूसरी सफलता दिलाई। उन्होंने अब तक 60 रन देकर दो विकेट लिए हैं।
उनके अलावा वेस्टइंडीज के अन्य गेंदबाज दिन भर सफलता हासिल करने के लिए तरसते रहे। भारत ने पहले सत्र में एक विकेट खोकर 94 रन बनाए थे। उसने दूसरे सत्र में बिना किसी नुकसान के 126 रन जोड़कर वेस्टइंडीज की गेंदबाजी को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया। भारत में तीसरे सत्र में 98 रन जोड़े और इस बीच सुदर्शन का विकेट गंवाया। वेस्टइंडीज के स्पिनरों की लेंथ सही नहीं थी। उसके तेज गेंदबाज सही लाइन और लेंथ पर गेंदबाजी नहीं कर पाए जिससे भारत के बल्लेबाजों को रन बनाने में किसी तरह की परेशानी नहीं हुई।
जायसवाल और सुदर्शन में आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी की और लंच के बाद पहले घंटे में एक समय वे लगभग छह रन प्रति ओवर की दर से रन बना रहे थे, लेकिन दूसरे घंटे में उनकी गति थोड़ी धीमी हो गई। वेस्टइंडीज को दूसरे सत्र में विकेट हासिल करने का एकमात्र मौका तब मिला जब सुदर्शन ने जस्टिन ग्रीव्स की गेंद को शॉर्ट मिडविकेट पर थोड़ा हवा में खेला लेकिन वारिकन कैच नहीं ले पाए। सुदर्शन तब 58 रन पर खेल रहे थे। सुदर्शन के लिए फिरोजशाह कोटला का मैदान फिर से भाग्यशाली साबित हुआ क्योंकि पिछली बार जब वह यहां खेले थे तो उन्होंने तमिलनाडु की तरफ से शतक बनाया था। टेस्ट क्रिकेट में शतक लगाने का उनका सपना हालांकि यहां पूरा नहीं हो पाया।
वारिकन की गेंद को एक्रॉस द लाइन खेलने के प्रयास में उन्हें एलबीडब्ल्यू करार दिया गया और रिव्यू भी उन्हें पवेलियन लौटने से नहीं बचा पाया। जायसवाल ने संयम और आक्रामकता का अच्छा नमूना पेश किया। बाएं हाथ का यह बल्लेबाज शुरू से ही बड़ा स्कोर बनाने की मंशा के साथ खेल रहा था। वेस्टइंडीज ने दिन के आखिरी पलों में उनके एलबीडब्ल्यू के लिए रिव्यू भी लिया, लेकिन इससे जायसवाल पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
साई सुदर्शन 87 रन पर आउट होने से निराश
भारत के तीसरे क्रम के बल्लेबाज साई सुदर्शन ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने पहले टेस्ट शतक तक पहुंचने की उम्मीद थी। हालांकि 87 रन पर आउट होने से उन्हें थोड़ी निराशा हुई।
सुदर्शन ने दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन 165 गेंदों में 12 चौकों की मदद से यह पारी खेली। सुदर्शन पहले टेस्ट में (अहमदाबाद में) रन नहीं बना पाए थे, जहां भारत ने वेस्टइंडीज को एक पारी और 140 रन से हराया था। सुदर्शन ने टेस्ट में अपनी सबसे बड़ी पारी खेलने के बाद कहा कि मैं आज की अपनी पारी के लिए निश्चित रूप से आभारी हूं। मन में हमेशा वो छोटी सी ख्वाहिश होती है कि शतक पूरा हो जाए। इसलिए मैं और ज्यादा की उम्मीद कर रहा था।
इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट पदार्पण करने वाले सुदर्शन ने सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल के साथ दूसरे विकेट के लिए 193 रन की साझेदारी कर बड़े स्कोर की नींव रखी। जायसवाल 173 रन बनाकर क्रीज पर डटे हुए है। सुदर्शन ने कहा कि यह एक अच्छा योगदान था और यह जायसवाल के साथ एक बेहतरीन साझेदारी रही। मैं इस बार रन बनाने के बारे में ज्यादा नहीं सोच रहा था और थोड़ा निडर होकर खेल रहा था। मैंने खुद को थोड़ा और समय दिया।
जबरन कुछ करने की कोशिश की जगह चीजों को स्वाभाविक रूप से होने दिया। उन्होंने जायसवाल की बल्लेबाजी के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्हें दूसरी ओर से खेलते देखना वाकई रोमांचक था। वह बहुत अच्छे शॉट्स खेलते हैं। अच्छी गेंदों को भी बाउंड्री में बदल देते हैं। उन्हें देखना बहुत सीखने वाला अनुभव है। इससे मुझे भी अंदाजा हो रहा है कि किन गेंदों पर कौन से शॉट्स खेले जा सकते हैं।