पछतावा नहीं भाग्यशाली हूं कि लम्बी क्रिकेट खेल सका

मीडिया के माध्यम से इस खेल की सेवा करूंगाः चेतेश्वर पुजारा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। सॉलेड तकनीक, धैर्य, संयम और एकाग्रता की प्रतिमूर्ति चेतेश्वर पुजारा ने आखिरकार क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया है। सैंतीस साल के पुजारा ने रविवार को प्रतिस्पर्धी क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। उन्होंने 103 टेस्ट मैचों में 19 शतकों के साथ 7195 रन बनाए हैं जिसमें उनका औसत 43 से अधिक का रहा है। भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को हर खेल मुरीद याद रखेगा।
पुजारा ने अपने गृहनगर में पत्रकारों से कहा, ‘‘ मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मैंने इतने लम्बे समय तक भारतीय टीम के लिए खेल सका। बहुत कम खिलाड़ियों को ऐसा मौका मिलता है इसलिए मैं अपने परिवार और उन लोगों का बहुत आभारी हूं जिन्होंने मेरा समर्थन किया।’’ उन्होंने इंग्लैंड में हाल ही में हुई टेस्ट श्रृंखला के दौरान एक प्रसारक के रूप में काम करना शुरू किया है। उन्होंने संकेत दिया कि उन्हें कमेंट्री में अपना करियर मिल गया है।
पुजारा ने कहा, ‘‘मुझे बहुत खुशी है कि मैं यह सब छोड़ रहा हूं, लेकिन साथ ही मैं खेल से जुड़ा रहूंगा। मैं अब कमेंट्री कर रहा हूं और मैंने मीडिया का काम भी शुरू कर दिया है। मैं क्रिकेट खेलने नहीं जा रहा हूं, लेकिन मैं भारतीय टीम को देखता रहूंगा और उस पर कमेंट्री करूंगा। खेल से जुड़ाव जारी रहेगा।'
सौराष्ट्र के इस बल्लेबाज ने 2010 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया, लेकिन 2012 में राहुल द्रविड़ के संन्यास के बाद ही उन्होंने अगले एक दशक तक बल्लेबाजी क्रम में तीसरे नम्बर पर अपनी जगह पक्की कर ली। चेतेश्वर ने ऑस्ट्रेलिया के दो यादगार दौरे किये जिसमें 2018-19 की श्रृंखला उनके और भारतीय टीम के लिए बेहद खास रही। पुजारा ने इस दौरे पर तीन शतकों के साथ 521 रन बनाए और 1258 गेंदों का सामना किया। यह हमेशा उनकी स्थायी विरासत का हिस्सा रहेगा।
पुजारा ने कहा, ‘‘ मैदान पर कई बेहतरीन पल रहे हैं, लेकिन अगर मुझे किसी एक टेस्ट श्रृंखला को चुनना है, तो 2018 में ऑस्ट्रेलिया की धरती पर हुई श्रृंखला मेरे क्रिकेट करियर की सबसे अच्छी उपलब्धियों में से एक थी और भारतीय टीम के लिए भी सबसे अच्छी यादों में से एक थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह उन बेहतरीन श्रृंखला में से एक थी जिसका मैं हिस्सा रहा हूं।’’
पुजारा ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने टेस्ट पदार्पण की दूसरी पारी में लक्ष्य का पीछा करते हुए 72 रन बनाये थे। वह भारतीय टीम के लिए अपने करियर के आगाज को याद कर थोड़े भावुक भी हुए। पुजारा ने कहा, ‘‘मैंने 2010 में भारतीय टीम के लिए पदार्पण किया था, जो मेरे क्रिकेट करियर का सबसे गौरवपूर्ण क्षण था। जब मैंने 2010 में माही भाई (महेंद्र सिंह धोनी) की कप्तानी में पदार्पण किया तो यह मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा था क्योंकि टीम में कुछ महान खिलाड़ी थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ उस टीम में राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ी थे। मैं अब भी उन नामों को याद करने की कोशिश कर रहा हूं जिन्हें देखते हुए मैं बड़ा हुआ हूं, इसलिए यह मेरे क्रिकेट करियर के सबसे गौरवपूर्ण पलों में से एक था।’’
पुजारा ने इस मौके पर अपनी मां रीना पुजारा को याद किया जिनका 2005 में निधन हो गया था। पुजारा उस समय 17 साल के थे। उन्होंने कहा, ‘‘ वह हमेशा मेरे पिता से कहती थीं कि अपने बेटे की चिंता मत करो, वह आखिरकार भारतीय टीम के लिए खेलेगा और उनके शब्द सच हो गए। मुझे यकीन है कि मैंने अपने क्रिकेट सफर में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उन पर उन्हें बहुत गर्व होगा।’’
पुजारा ने कहा, ‘‘लेकिन साथ ही मुझे उनके शब्द अभी भी याद हैं, वह मुझसे कहती थीं कि चाहे तुम कितने भी बड़े क्रिकेटर बन जाओ, तुम्हें एक अच्छा इंसान बनना चाहिए। मुझे यह अभी भी याद है और उन्हें मुझ पर बहुत गर्व होगा।’’ इस दिग्गज बल्लेबाज ने अपने आध्यात्मिक गुरु हरिचरण दास जी महाराज का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने दबाव वाले पलों में उन्हें शांत और संतुलित रहने में मदद की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने आध्यात्मिक गुरु श्री हरिचरण दास जी महाराज को भी धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने मेरी आध्यात्मिक यात्रा में योगदान दिया है। उनके शब्द थे, ‘आपको मानसिक रूप से शांत रहना होगा और खेल पर ध्यान केंद्रित करना होगा क्योंकि आप बहुत दबाव वाली परिस्थितियों में खेलते हैं, न केवल क्रिकेट में बल्कि जीवन में भी’, उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया है ताकि मैं संतुलित और केंद्रित रह सकूं।’’