लोकप्रियता भुनाने का जुनून बना मौतों का सबब

बदइंतजामी से हुई सफल आईपीएल की चमक फीकी

श्रीप्रकाश शुक्ला

18 साल के लम्बे इंतजार के बाद मिली खुशी मातम में बदल गई। वजह लोकप्रियता भुनाने की अनहक कोशिश कही जा सकती है। जी हां बेंगलूरु में बुधवार को जो घटित हुआ उसे सहज नहीं माना जा सकता। यह बड़ी चूक ही नहीं क्रिकेट की लोकप्रियता को दागदार करने की साजिश भी हो सकती है। क्रिकेट की पालनहार संस्था दुखी है तो जश्न फीका होने तथा क्रिकेटप्रेमियों की मौतों से क्रिकेट स्तब्ध है।

तुरत-फुरत क्रिकेट वाले दुनिया के सबसे बड़े वार्षिक उत्सव इंडियन प्रीमियर लीग के फाइनल मुकाबले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने 18वें संस्करण में आईपीएल खिताब जीत लिया। इस कामयाबी से आईपीएल से विदाई ले रहे विराट कोहली को टीम ने खास तोहफा ही दिया। लेकिन इस जीत के जश्न की चमक तब फीकी पड़ गई जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में कई क्रिकेटप्रेमियों की मुत्यु हो गई। घटना ने एक बार फिर हमारे अवैज्ञानिक व लाठी भांजने वाले भीड़ प्रबंधन की ही पोल खोली है।

इस जीत के जश्न में हिस्सा लेने आई भीड़ का एक लाख तक होने का अनुमान था। लेकिन लम्बे अंतराल के बाद मिली जीत ने लोगों के उत्साह को इस स्तर तक पहुंचा दिया कि स्टेडियम के आसपास दो लाख से अधिक लोगों की भीड़ जमा हो गई। खुद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मीडिया को जानकारी दी कि घटना में ग्यारह लोगों की मौत हुई है और 33 लोग घायल हो गए हैं।

बहरहाल, आईपीएल का आयोजन व्यावसायिक क्रिकेट को नई ऊंचाइयां देने में जरूर सफल रहा है। फटाफट क्रिकेट के दुनिया के सबसे बड़े उत्सव में भारत के दो सर्वकालिक महान खिलाड़ियों विराट कोहली व एमएस धोनी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। अंतत: विराट कोहली का आईपीएल खिताब जीतने का लम्बा इंतजार इस जीत के साथ खत्म हुआ। लेकिन धोनी पांच बार की विजेता चेन्नई सुपरकिंग को जीत का खिताब दिलाने से चूक गए।

कोहली, पिछले टी-20 विश्व कप और कुछ महीने पहले वनडे चैम्पियंस ट्राफी जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं। वे प्रारंभ से ही आईपीएल का खिताब जीतने के लिये दृढ़ संकल्पित दिखे। इसका समापन भी उन्होंने खास अंदाज में किया। क्रिकेट प्रेमियों ने बखूबी देखा कि उनके खेल में वह चमक बरकरार है जो डेढ़ दशक पहले क्रिकेट मैदान में उतरने पर खेलप्रेमियों को चकित किया करती थी।

एक तरह से आईपीएल क्रिकेट से कोहली की यह शानदार विदाई साबित हुई। ‍वे इस गरिमामय विदाई के हकदार भी थे। हालांकि, वे क्रिकेट के टेस्ट क्रिकेट छोड़कर अन्य प्रारूपों में अपना शानदार खेल दिखाते रहेंगे। वहीं दूसरी ओर एमएस धोनी को आईपीएल में पांच बार की कामयाबी के बावजूद इस बार खिताबी जीत न दिला पाने का मलाल जरूर रहेगा। यह हकीकत है कि चेन्नई सुपर किंग्स की टीम धोनी के अनुभव का लाभ उठाने से चूक गई।

वैसे इस बार के आईपीएल टूर्नामेंट में श्रेयस अय्यर ने शानदार प्रदर्शन के जरिये किसी भी फ्रेंचाइजी के लिये जाने-माने कप्तान के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है। बीते साल कोलकाता नाइट राइडर्स को जीत दिलाने के बाद उन्होंने पंजाब किंग्स का नेतृत्व संभाला। उनके नेतृत्व में पंजाब किंग्स ने पिछले एक दशक के बाद प्रभावशाली प्रदर्शन के जरिये फाइनल में जगह मजबूत की। यह बात अलग है कि फाइनल में श्रेयस की प्रतिभा को श्रेय न मिल सका। हालांकि, बाकी मैचों में उन्होंने टीम को प्रभावशाली नेतृत्व जरूर दिया।

भारत के नये टेस्ट क्रिकेट कप्तान शुभमन गिल ने टूर्नामेंट के अंत में लड़खड़ाने से पहले गुजरात टाइटन्स का अच्छा नेतृत्व दिया। हार्दिक पांड्या ने मुंबई इंडियंस को तब तक मुकाबले में बनाए रखा जब तक कि वह साहसी पंजाब की टीम द्वारा बाहर नहीं हो गई। निस्संदेह, इस आईपीएल टूर्नामेंट में युवा ब्रिगेड ने पूरी ताकत झोंककर उम्मीदों को नया मुकाम दिलाया। अब चाहे वह अभिषेक शर्मा हों, प्रियांश आर्य, आयुष म्हात्रे, साई सुदर्शन, शशांक सिंह या ऑल-ऑफ-14 वैभव सूर्यवंशी हों।

उल्लेखनीय है कि इस आयोजन पर भारत पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष की छाया भी पड़ी। लेकिन थोड़े व्यवधान के बावजूद खेल जारी रहा। सीमा पर तनाव के बीच भारत व पाकिस्तान की क्रिकेट लीग चलती रही है, लेकिन लोकप्रियता की बाजी भारत ने मारी। बेंगलुरु हादसे की दुखद घटना के बावजूद आईपीएल अपने मुकाम तक पहुंचने में किसी हद तक कामयाब रहा है। निश्चय ही आईपीएल एक ऐसा मंच बन गया है कि जिसमें आम घरों के प्रतिभावान खिलाड़ियों को अपनी तथा परिवार की आर्थिकी सुधारने का मौका मिलता है, वहीं चयनकर्ताओं को राष्ट्रीय टीम हेतु प्रतिभाएं तलाशने का एक उम्दा अवसर भी मिल जाता है।

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