खेल विभाग का एक साल पूरा होने पर बिहार में जश्न

सरकार स्वास्थ्य अनुदेशकों और योग प्रशिक्षकों के दर्द से बेखबर

श्रीप्रकाश शुक्ला

पटना। समृद्धशाली खेल इतिहास से बेखबर नीतीश कुमार की सरकार बिहार में खेल विभाग का एक साल पूरा होने पर जश्न मना रही है। वह बता रही है कि उसने खेल-खिलाड़ियों के प्रोत्साहन में करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। भव्य खेल आयोजनों पर पैसा पानी की तरह बहाया है। लेकिन दुख की बात तो यह है कि बीते एक साल में सरकार के शिक्षा तथा चिकित्सा विभाग के जवाबदेहों को लाचार शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों और योग प्रशिक्षकों के आंसू नहीं दिखे। आठ हजार रुपये मासिक मानदेय पाने वाला स्वास्थ्य अनुदेशक तथा 250 रुपये प्रतिदिन का योग प्रशिक्षक फरियाद दर फरियाद करता रहा लेकिन निकम्मे तंत्र का दिल नहीं पसीजा।

बिहार का मौजूदा समय में 680 करोड़ का खेल बजट है। सरकार जो जश्न मना रही है उसे यह पता होना चाहिए कि समृद्धशाली इतिहास, सांस्कृतिक विरासत तथा अकादमिक कौशल के लिए प्राचीन समय से विख्यात बिहार का खेल इतिहास भी गौरवपूर्ण रहा है। इस राज्य के खेल इतिहास की अगर बात करें तो बिहार में खेल क्रांति की बुनियाद वर्ष 1937 में मोइन-उल-हक़ एवं जेआरडी टाटा के नेतृत्व में पड़ी थी।

1974 में हुए एशियाई खेलों में बिहार के खिलाड़ियों की व्यापक भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि बिहार के युवा खेलों में विशेष रुचि रखते हैं परंतु सही मार्गदर्शन एवं उपयुक्त मंचों के अभाव के कारण खेल क्षेत्र में बिहार को अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके। बिहार एक ऐसा राज्य है जहां लोगो में खेलो के प्रति एक अलग उत्साह नजर आता है। बिहार की माटी ने हॉकी, एथलेटिक्स, तीरंदाजी सहित कबड्डी और क्रिकेट के क्षेत्र में देश को कई प्रतिभावान खिलाड़ी दिए हैं। जिनमें शिवनाथ सिंह, सी. प्रसाद, संजीव सिंह, राजीव कुमार सिंह, कीर्ति आजाद, सबा करीम जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं।

मौजूदा समय में बिहार राज्य खेल प्राधिकरण और बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में बिहार के प्रतिभावान खिलाड़ी खेल के क्षेत्र में नित नए आयाम गढ़ रहे हैं। खेल बुनियादी सुविधाओं, बेहतर उपकरण की पहुंच, उचित मार्गदर्शन तथा बेहतर मंच के अवसर मिलने पर आज राज्य भर से प्रतिभावान खिलाड़ी न सिर्फ उभर कर सामने आ रहे हैं बल्कि बेहतर प्रतिभा के बल पर विश्व भर में बिहार तथा भारत का नाम रोशन कर रहें हैं।

बिहार सरकार द्वारा नौ जनवरी, 2024 को राज्य में खेलों के विकास हेतु खेल विभाग का गठन किया गया। विभाग के एक वर्ष पूर्ण होने के साथ-साथ विभाग द्वारा बिहार के प्रतिभावान खिलाड़ियों के विकास हेतु कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए। मेधावी खिलाड़ियों को सरकार रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करा रही है। मेडल लाओ, नौकरी पाओ योजना से युवाओं की खेलों की तरफ रुचि बढ़ी तथा उन्होंने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल भी जीते। सरकार द्वारा ऐसे 71 खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी गई। 582 खेल प्रशिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई।

राज्य के सभी प्रतिभावान खिलाड़ियों की पहचान हेतु विश्व की सबसे बड़ी प्रतिभा खोज अभियान “मशाल-2024” प्रारंभ किया गया, जिसमें राज्य के प्रत्येक मध्य विद्यालय एवं उच्च विद्यालय के लगभग 60 लाख खिलाड़ियों के बीच पांच खेल विधाओं में प्रतियोगिता के माध्यम से उनका चयन किया जाएगा। इसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों के पौष्टिक आहार एवं भविष्य में उन्हें बेहतर खिलाड़ी बनाने हेतु सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन हेतु राज्य में महत्वपूर्ण खेल अवसंरचना के विकास हेतु भी राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।

बीते साल बिहार सरकार ने महिला एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी हॉकी की सफल मेजबानी की। 11 से 20 नवम्बर, 2024 तक राजगीर खेल अकादमी परिसर में अंतरराष्ट्रीय एशियाई महिला चैम्पियंस ट्रॉफी का आयोजन किया गया जिसमें भारतीय महिला हॉकी टीम विजेता बनी। बिहार सरकार खेलों को बढ़ावा देने एवं खिलाड़ियों के बेहतर भविष्य को लेकर प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए खेल छात्रवृत्ति योजना पास की गई, जिसमें तीन स्तर पर लाभ दिया जाएगा। हाल ही में 123 उभरते खिलाड़ियों का सक्षम छात्रवृत्ति के अंतर्गत चयन हुआ। इसके अंतर्गत प्रति खिलाड़ी प्रतिवर्ष 5 लाख की छात्रवृत्ति का प्रावधान है। उत्कर्ष छात्रवृत्ति तथा प्रेरणा छात्रवृत्ति के लिए चयन प्रक्रिया जारी है।

खेल अवसंरचनाओं का निर्माणः राज्य के प्रत्येक प्रमंडलीय मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल अवसंरचना का निर्माण कराया जा रहा। साथ ही सभी प्रखंड में आउटडोर स्टेडियम का निर्माण कराया जा रहा है। राज्य के सभी ग्राम एवं नगर पंचायतों में खेल मैदान निर्माण कराने का भी कार्य किया जा रहा है। साथ ही सभी पंचायतों में खेल को बढ़ावा देने हेतु स्पोर्ट्स क्लब के गठन पर भी कार्य किया जा रहा है।

खिलाड़ियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन: 1 से 7 दिसंबर 2024 तक थाईलैंड में आयोजित 'वर्ल्ड एबिलिटी यूथ गेम्स 2024' में नालंदा, बिहार की गोल्डी कुमारी ने दो पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन किया। इस विश्व स्तरीय प्रतियोगिता के डिस्कस थ्रो प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक तथा जेवलिन थ्रो में कांस्य पदक जीता है। गोल्डी कुमारी को प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024 के लिए भी चुना गया। 9 से 15 दिसम्बर 2024 तक त्यागराज स्टेडियम नई दिल्ली में आयोजित 68वें स्कूल गेम्स की कराटे अण्डर-17 चैम्पियनशिप 2024 (बालक-बालिका) में बिहार के खिलाड़ियों ने 2 स्वर्ण और 5 कांस्य पदक सहित कुल 7 पदक जीते।

1 और 2 जनवरी 2025 को पाटलिपुत्र खेल परिसर में आयोजित 68वें नेशनल स्कूल गेम्स-रग्बी 7 (अंडर 14) में बिहार की रग्बी अंडर 14 गर्ल्स टीम ने ओडिशा को 10-5 से हराकर चैम्पियनशिप जीती। दूसरी ओर बिहार बॉयज टीम ने फाइनल में महाराष्ट्र को बड़े अंतर से हराकर खिताब अपने नाम किया। पाटलिपुत्र खेल परिसर में 68वें नेशनल स्कूल गेम्स 2024 की रग्बी अंडर-17 ( बालक-बालिका) में बिहार की गर्ल्स टीम ने फाइनल में ओडिशा को 17-00 से हराकर चैम्पियनशिप जीती तो बालक वर्ग में भी ओडिशा को 17-10 से हराकर बिहार की टीम ने चैम्पियनशिप अपने नाम की। 25-26 दिसम्बर को बेगूसराय में आयोजित द्वितीय मल्लयुद्ध प्रतियोगिता में कैमूर जिले के शुभम कुमार यादव 90 किलोग्राम से ज्यादा भारवर्ग में खिताब जीत कर प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित हुए। उन्हें पुरस्कार में चांदी का गदा मिला।

खेल सम्मानः बिहार के सभी प्रतिभावान खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त को पुरस्कार के रूप में राशि प्रदान की जाती है एवं राज्य में “खेल सम्मान समारोह” मनाया जाता है। पिछले वर्ष 29 अगस्त, 2024 को 644 खिलाड़ियों तथा प्रशिक्षकों को सात करोड़ अड़तालीस लाख एकहत्तर हजार एक सौ छब्बीस रुपए वितरित किए गए। 2024 में राजगीर खेल अकादमी का उद्घाटन किया गया जहां करीब 23 खेल विधाओं से संबंधित प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही बिहार खेल विश्वविद्यालय का भी उद्घाटन किया गया जहां भविष्य में खेल एवं शारीरिक शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

2025 में ये है खास: राज्य में कई अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएं कराने का प्रस्ताव है। 7 से 12 मार्च 2025 विश्व महिला कबड्डी राजगीर (नालंदा) में होगी। 18 से 26 मार्च 2025 विश्व सेपक टाकरा पुरूष-महिला प्रतियोगिता- पाटलिपुत्र खेल परिसर कंकड़बाग, पटना में होगी। 14 अप्रैल से 14 मई 2025 खेलो इंडिया यूथ गेम्स एवं खेलो इंडिया पैरा गेम्स राज्य के 6 जिलों- पटना, गया, राजगीर (नालंदा), भागलपुर, बेगूसराय, मुंगेर में कराए जाएंगे। 8 से 11 अगस्त 2025 में अण्डर-20 महिला पुरूष का एशियन रग्बी-7 चैम्पियनशिप पाटलिपुत्र खेल परिसर कंकड़बाग, पटना में होगी। 28 अगस्त से 8 सितम्बर 2025 तक हीरो पुरुष एशियाई हॉकी का राजगीर (नालंदा) में आयोजन कराया जाएगा।

इन खिलाड़ियों ने बढ़ाया बिहार का मान

सैय्यद मोइन-उल-हक

पटना में जन्मे सैय्यद मोइन-उल-हक़- एक भारतीय कोच थे जिनका खेल और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा। वह भारत में ओलम्पिक आंदोलन के अग्रणी रहे। उन्होंने जीवन भर खेलों के लिए संघर्ष किया और बिहार में खेल क्रांति की शुरुआत की। मोइन उल हक ने क्रमशः लंदन और हेलसिंकी में आयोजित 48वें और 52वें संस्करण के दौरान भारतीय ओलंपिक दल का मुख्य प्रतिनिधि के रूप में प्रतिनिधित्व किया। वह वर्ष 1951 में नई दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों के उद्घाटन के मुख्य आयोजकों में से एक थे। खेल के क्षेत्र में उनके अपार योगदान के लिए सम्मान के प्रतीक के रूप में, उनकी मृत्यु के उपरांत 1970 के दशक में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर द्वारा पटना के राजेंद्र नगर स्टेडियम का नाम बदल कर 'मोइन उल हक' स्टेडियम कर दिया गया। तब से आज तक यह स्टेडियम इसी नाम से जाना जाता रहा है।

कीर्ति आजाद

बिहार के पूर्णिया जिले में दो जनवरी 1959 को जन्मे कीर्ति आजाद का पूरा नाम कीर्तिवर्धन भागवत झा आजाद है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत क्रिकेट से की। वह बल्लेबाज और ऑफ स्पिनर गेंदबाज थे। 1980-81 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे के लिए उन्हें सरप्राइज कॉल मिला और टीम में शामिल किया गया। 3 दिसंबर, 1980 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में खेले गए एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच से उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम में अपना डेब्यू किया था। उस वक्त सुनील गावस्कर भारतीय टीम की कप्तानी कर रहे थे। 1981 की ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सीरीज में वह टीम इंडिया के सदस्य रहे। कीर्ति आजाद के क्रिकेट करियर का सबसे बड़ा अचीवमेंट 1983 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की तरफ से खेलना था। इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए सेमीफाइनल मैच में कीर्ति आजाद ने अपनी जबरदस्त गेंदबाजी दिखाई, उन्होंने उस वक्त जबरदस्त फॉर्म में चल रहे इयान बॉथम को क्लीन बोल्ड किया था। बाद में भारतीय टीम उस मैच को जीत गई थी।

टेस्ट करियर : आजाद ने 7 टेस्ट मैचों में 11.25 की औसत से 135 रन बनाए जबकि 124.33 की औसत से तीन विकेट झटके। वनडे करियर : 25 वनडे मैचों में उन्होंने 14.15 की औसत से 269 रन बनाए और 39 की औसत से 7 विकेट झटके। फर्स्ट क्लास क्रिकेट : आजाद के नाम 142 फर्स्ट क्लास मैचों में 39.48 की औसत से 6,634 रन और 30.72 की औसत से 234 विकेट दर्ज हैं।

शिवनाथ सिंह

बिहार के बक्सर जिले में 11 जुलाई, 1946 को जन्मे शिवनाथ सिंह भारत के एक अद्भुत धावक थे। उन्होंने वर्ष 1976 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 1976 के ओलम्पिक पुरुष मैराथन में 11वें स्थान पर रहे। शिवनाथ सिंह ने अपने पूरे करियर के दौरान नंगे पैर प्रतिस्पर्धा की। इसके साथ ही उन्होंने सर्वश्रेष्ठ समय के साथ भारतीय राष्ट्रीय मैराथन रिकॉर्ड भी स्थापित किया। यह उपलब्धि उन्होंने वर्ष 1978 में जालंधर में हासिल की थी। शिवनाथ सिंह के द्वारा बनाया गया एथलेटिक्स रिकॉर्ड सबसे लम्बे समय तक कायम रहने वाला रिकॉर्ड है।

सबा करीम

सबा करीम आज भी क्रिकेट विश्लेषक के रूप में सक्रिय कार्य कर रहे हैं। दायें हाथ के बल्लेबाज और उत्कृष्ट विकेट कीपर सबा करीम से क्रिकेट जगत में बढ़ रही नई पीढ़ी को अनमोल मार्गदर्शन मिल रहा है। 14 नवंबर 1967 में पटना में जन्मे सबा करीम ने विकेटकीपर के तौर पर भारतीय टीम में जगह बनाई। पटना के सेंट जेवियर्स स्कूल से शिक्षा लेने के बाद 15 साल की उम्र में 1982-83 में बिहार के लिए उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी करियर की शुरुआत की। उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 1990-91 रणजी ट्रॉफी में उड़ीसा के खिलाफ 234 रन था। वर्ष 1996 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले गई सीरीज से सबा करीम ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना परिचय दिया। दक्षिण अफ्रीका में स्टैंडर्ड बैंक सीरीज़ में नयन मोंगिया के प्रतिस्थापन के रूप में भारत के लिए चुना गया था और उन्होंने पहले मैच में 55 और अगले मैच में 38 रन बनाकर बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया था। वर्ष 2012 में बीसीसीआई ने भारत के पूर्व भाग के लिये उन्हें राष्ट्रीय चयन समिति का प्रमुख पद सौंपा।

मेवालाल साहू

मेवालाल साहू का जन्म बिहार के गया जिले (अब नवादा जिले) के चितरघाटी पंचायत के दौलतपुर में साहू महादेवराम और कुसुमी देवी के घर वर्ष 01 जुलाई 1926 में हुआ था। मेवालाल साहू भारतीय फुटबॉल टीम के लिए स्ट्राइकर के रूप में काफी प्रसिद्ध थे। मेवालाल का पहला बड़ा टूर्नामेंट लंदन में आयोजित 1948 का ग्रीष्मकालीन ओलंपिक था। ओलंपिक की तैयारी के हिस्से के रूप में वह जुलाई में राष्ट्रीय टीम के साथ यूरोप गए, जिसने पिनर एफसी, हेस एफसी और एलेक्जेंड्रा पार्क एफसी जैसी अंग्रेजी टीमों के खिलाफ मैचों में जीत दर्ज की। ओलम्पिक में भारतीय टीम फ्रांस से 1-2 से हार गई। ओलंपिक के बाद डच क्लब एएफसी अजाक्स के खिलाफ 5-1 से गेम जीता। इन खेलों में मेवालाल साहू शीर्ष स्कोरर बनकर उभरे। मार्च 1951 में, नई दिल्ली में एशियाई खेलों में  वह चार गोल के साथ शीर्ष स्कोरर रहें, जिसमें भारत ने स्वर्ण पदक जीता। मेवालाल और उनकी टीम ने स्वर्ण पदक जीत मैच में ईरान को 1-0 से हराकर देश को पहली ट्रॉफी दिलाया था।

इसके साथ ही वह हेलसिंकी में 1952 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भाग लेने वाली टीम का भी हिस्सा रहे। वह उस राष्ट्रीय टीम का भी हिस्सा थे जिसने 1940 के दशक के अंत में कई यूरोपीय देशों का दौरा किया और डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड जैसी टीमों के खिलाफ खेला, जिसमें उन्होंने छह गोल किए। बाद में उन्होंने टीम के बांग्लादेश दौरे में भाग लिया, 1950 के दशक के दौरान अफगानिस्तान, म्यांमार और थाईलैंड। आजादी के बाद 1952 के कोलंबो चतुष्कोणीय टूर्नामेंट में बर्मा पर 4-0 की जीत में भारत के लिए हैट्रिक बनाने वाले मेवालाल पहले खिलाड़ी थे।

चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह

अर्जुन पुरस्कार विजेता चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान थे। 1965  में जापान में खेलते हुए भारत की जूनियर फुटबॉल टीम की कप्तानी की। 1966 और 1970 में एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। बैंकाक में जहां भारतीय टीम ने कांस्य पदक जीता। उन्होंने 1971 में सीनियर भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तानी की और महाद्वीप के प्रमुख फुटबॉलरों वाली एशिया ऑल स्टार टीम में जगह बनाई।

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