जब पहलवान विनेश फोगाट का टूटा था दिल
पेरिस ओलम्पिक में पदक से चूकने पर जमकर हुआ था विवाद
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। इस साल जुलाई-अगस्त में पेरिस ओलंपिक का आयोजन हुआ था जिसमें जमकर विवाद हुआ। दरअसल, भारतीय पहलवान विनेश फोगाट महिला 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में पहुंच गई थीं और उन्होंने पदक पक्का कर लिया था, लेकिन फाइनल बाउट से पहले ही उनका वजन अधिक आया और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था जिससे वह पदक लाने से चूक गई थीं। इससे समूचा देश स्तब्ध रह गया था क्योंकि सभी को विनेश पहले स्वर्ण पदक की आस थी जो एक झटके में टूट गई।
विनेश ने सेमीफाइनल में क्यूबा की लोपेज गुजमान को 5-0 से हराया था और वह ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला पहलवान बनीं थीं। फाइनल में विनेश का अमेरिका की सारा एन हिल्डब्रांड से मुकाबला होना था, लेकिन वजन अधिक पाए जाने से विनेश का पदक लाने का सपना टूट गया था। विनेश ने इस फैसले के खिलाफ खेल पंचाट में भी अपील की थी, लेकिन उनकी अपील खारिज हो गई थी।
फाइनल बाउट से पहले सुबह वजन करते समय विनेश का वजन निर्धारित सीमा से 100 ग्राम अधिक पाया गया था। इस पहलवान ने खेल पंचाट में इस फैसले के खिलाफ अपील की और मांग की कि उसे क्यूबा की पहलवान युस्नेलिस गुजमेन लोपेज के साथ संयुक्त रजत पदक दिया जाए। लोपेज सेमीफाइनल में विनेश से हार गई थी, लेकिन बाद में भारतीय पहलवान को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उन्हें फाइनल में जगह मिली थी। हालांकि, खेल पंचाट भी विनेश की मांग से सहमत नहीं हुआ था।
इस विवाद का असर ऐसा हुआ कि सबको चौंकाते हुए पहलवान विनेश फोगाट ने संन्यास का एलान कर दिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट के जरिये इसकी घोषणा की थी। ओलंपिक के लिए उनके पसंदीदा भारवर्ग में जगह नहीं बनने से विनेश ने निचले वर्ग में किस्मत आजमाई थी। घर लौटने के बाद उनका नायिकाओं की तरह स्वागत किया गया था।
विनेश ने ओलंपिक में पदक से चूकने और भारी विवाद के बाद राजनीति में आने का फैसला किया था। उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था और इस साल हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में जुलाना से जीत दर्ज करके विधायक बन गई थीं। बजरंग पूनिया भी कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन उनकी किस्मत विनेश जैसी नहीं रही।
भारत के एक अन्य पहलवान बजरंग पूनिया के लिए भी यह साल अच्छा नहीं रहा। पहले वह ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर सके और फिर अभ्यास शिविरों के दौरान डोप टेस्ट के लिए नमूने देने में नाकाम रहने के कारण उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद उनका करियर ग्राफ इस साल बिल्कुल नीचे चला गया।