स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी नाम बड़े दर्शन छोटे
खेल-खिलाड़ी हितैषी योजनाओं पर खेलनहार फेर रहे पानी
डाइट मनी तो 250 से 350 रुपये हुई लेकिन खिलाड़ी फिर भी भूखे
खेलपथ संवाद
राजनांदगांव। हमारी हुकूमतें तथा राष्ट्रीय खेल संगठन पदाधिकारी खेल और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की लाख ढींगें हांकते हों लेकिन जमीनी स्तर पर सुविधाएं खिलाड़ियों की पहुंच से बहुत दूर होती हैं। स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा संचालित तथा स्कूल शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित 68वीं राष्ट्रीय शालेय बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं को जिस तरह की अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है उसे देखते हुए एसजीएफआई के शीर्ष पदाधिकारियों की घोषणाएं बेमानी साबित हो रही हैं।
संस्कारधानी राजनांदगांव में 18 नवम्बर को 68वीं राष्ट्रीय शालेय बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता का शुभारम्भ हो चुका है। इस प्रतियोगिता में देश के 33 राज्यों एवं संस्थाओं की टीमें हिस्सा ले रही हैं। स्कूली राष्ट्रीय बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता में कुल 1064 प्रतिभागी छात्र-छात्राएं अण्डर-14 वर्ष एवं छात्र अण्डर-17 वर्ष प्रतिभाग कर रहे हैं। कई छात्र-छात्राओं की शिकायत है कि उनके ठहरने तथा खाने-पीने की व्यवस्था सही नहीं है, जबकि आयोजन से पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी एवं आयोजन समिति के संगठन सचिव प्रवास सिंह बघेल ने प्राचार्यों एवं आयोजन से जुड़े व्यायाम शिक्षकों को व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद रखने के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे। उन्होंने आयोजन समिति से जुड़े सभी सदस्यों तथा कर्मचारियों से कहा था कि प्रतियोगिता में शामिल होने वाले अतिथि प्रतिभागी छात्र-छात्राओं, अधिकारियों, प्रशिक्षकों और मैनेजरों को किसी भी प्रकार की कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए।
इतना ही नहीं श्री बघेल ने कहा था कि प्रतियोगिता में शामिल होने वाले प्रतिभागियों को नगर में उपलब्ध सुविधानुरूप आवास, मैदान, यातायात, चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाएगी। विद्युत, स्वच्छता, पेयजल की व्यवस्था में भी कोई खामी नहीं होगी। दिग्विजय स्टेडियम राजनांदगांव में हो रही प्रतियोगिता में शिरकत करने वाले आंध्रप्रदेश, बिहार, चण्डीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एण्ड कश्मीर, झारखण्ड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओड़िशा, पुंडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल राज्यों के साथ सीबीएसई डब्ल्यूएसओ, सीबीएसई, सीआईएससीई, डीसीएमसी, आईटीजीएस स्पोर्ट्स आर्गनाजेशन, आईपीएससी, केन्द्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति, विद्याभारती के अलावा मेजबान छत्तीसगढ़ के प्रतिभागी छात्र-छात्राएं अपना उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन तो कर रहे हैं लेकिन उनके रहने-खाने की व्यवस्था जिलास्तरीय प्रतियोगिताओं जैसी है। इतना ही नहीं खिलाड़ियों को एक ही कमरे में भेड़-बकरियों की तरह ठहरा दिया गया है। दुखद तो यह भी कि छात्र-छात्राएं खेलने की खातिर साधारण टिकट पर जोखिम भरी यात्रा कर स्कूली खेलों में शिरकत करने पहुंचते हैं। हम आपको बता दें कि इसी राष्ट्रीय स्कूली प्रतियोगिता से खेलो इंडिया यूथ गेम्स की टीमों का चयन होना है।
स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआई) की जहां तक बात है, यह एक शीर्ष निकाय है जो भारत में स्कूल स्तर पर विभिन्न खेलों को बढ़ावा देने का काम करता है। एसजीएफआई की स्थापना वर्ष 1959 में देशभर में खेलों में युवा प्रतिभाओं की पहचान करने तथा उनका पोषण करने के उद्देश्य से की गई थी। एसजीएफआई का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को अपने कौशल का प्रदर्शन करने तथा राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक मंच प्रदान करना है। इसे भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय से मान्यता मिली हुई है। एसजीएफआई का उद्देश्य खेलों को बढ़ावा देना, प्रतिभा पहचान, प्रशिक्षण और विकास, प्रतियोगिताओं का आयोजन तथा चयनित एथलीटों को उनके कौशल और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कोचिंग तथा प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करना है। इतना ही नहीं गुणवत्तापूर्ण कोचिंग मानकों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए कोचों के लिए कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करना भी एसजीएफआई के उद्देश्यों में समाहित है लेकिन क्या स्कूली छात्र-छात्राओं को ये सब सुविधाएं मिल रही हैं, यह जांच का विषय है।
स्कूली खेलों में खिलाड़ियों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो तथा इसके लिए एक समावेशी वातावरण बनाने के लिए बीते 14 जून को स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की वार्षिक आम बैठक हुई थी। इस बैठक में 42 इकाइयों के लगभग 82 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। एजीएम के एजेंडे में कई मुद्दों पर चर्चा की गई और कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए लेकिन उनके दीदार अभी तक नजर नहीं आए। एसजीएफआई की एजीएम में एसजीएफआई के (संशोधित) उप-नियमों को अपनाया गया, साथ ही प्रमाण-पत्रों के लिए डिजिलॉकर का उपयोग, खिलाड़ियों के पंजीकरण के लिए यूपीआई भुगतान को मंजूरी दी गई थी।
बैठक में एक सीईओ की नियुक्ति का भी निर्णय लिया गया था तथा इस पद पर एक लाख रुपये प्रतिमाह के मानदेय पर पार्थ दोषी की नियुक्ति भी हो चुकी है। एसजीएफआई की एजीएम में कार्यक्रमों का प्रसारण टीवी चैनलों, ओटीटी, लाइवस्ट्रीमिंग पर करने पर भी मंत्रणा हुई थी। एजीएम का सबसे अहम निर्णय खिलाड़ी छात्र-छात्राओं की डाइट मनी को 250 रुपये से बढ़ाकर 350 रुपये करना था। यही डाइट मनी अब खेलनहारों की जेब में जा रही है तथा खिलाड़ी पूर्व की तरह ही उदरपूर्ति कर रहे हैं। स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष दीपक कुमार जोकि उत्तर प्रदेश के सीनियर प्रशासनिक अधिकारी हैं, उनके राज्य में भी स्कूली खेल मजाक बन रहे हैं। ताजा उदाहरण बरेली के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में सम्पन्न हुई अण्डर-17 आयु वर्ग की 68वीं राष्ट्रीय स्कूली वॉलीबाल प्रतियोगिता रही जहां छात्र वर्ग में उत्तर प्रदेश को विद्या भारती ने नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश ने ही हरा दिया था। सूत्रों का कहना है कि उस प्रतियोगिता में विद्या भारती टीम से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के खिलाड़ी खेले थे।