मानसी जोशी ने एक पैर खोने के बाद रचा इतिहास

संघर्ष और प्रेरणा का दूसरा नाम है अहमदाबाद की बेटी
खेलपथ संवाद
अहमदाबाद।
मानसी जोशी की कहानी एक ऐसी प्रेरणादायक यात्रा है, जो हर दिल को छू जाती है। 11 जून, 1989 को अहमदाबाद, गुजरात में जन्मी मानसी का जीवन कभी आसान नहीं रहा। उन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन कभी भी हार मानने का नाम नहीं लिया। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा के बाद, जब उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की, तो वह भी नहीं जानती थीं कि जीवन उन्हें किस दिशा में ले जाएगा।
2011 में, एक सड़क दुर्घटना ने मानसी की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। इस हादसे में उन्होंने अपना एक पैर खो दिया, लेकिन अपने सपनों को नहीं। वह घटना उनके लिए एक ऐसी चुनौती थी, जिसने उन्हें तोड़ने की कोशिश की, लेकिन मानसी ने इसे अपनी ताकत बना लिया। जब दुनिया ने उन्हें कमजोर समझा, तब उन्होंने अपनी हिम्मत से सभी को चौंका दिया। उन्होंने पैरा-बैडमिंटन को न केवल अपनाया, बल्कि इसमें अपना जीवन समर्पित कर दिया।
मानसी ने अपने संघर्ष की कहानी को कड़ी मेहनत से संजोया। उन्होंने 2015 में इंग्लैंड में आयोजित वर्ल्ड पैरा-बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, और तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2019 में, जब उन्होंने बासेल, स्विट्ज़रलैंड में स्वर्ण पदक जीता, तो वह केवल एक जीत नहीं थी, वह उनके समर्पण, उनकी संघर्षशीलता और उनकी अदम्य इच्छाशक्ति की गवाही थी। वह पल उनके लिए, उनके परिवार के लिए और उन लाखों लोगों के लिए गर्व का पल था, जो उनसे प्रेरणा लेते हैं।
मानसी जोशी न केवल एक खिलाड़ी हैं, बल्कि वह उन सभी के लिए एक उम्मीद की किरण हैं, जो जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि विकलांगता केवल एक स्थिति है, वह कोई बंधन नहीं है। असली शक्ति तो उस इच्छाशक्ति में होती है, जो हमें हर हाल में आगे बढ़ने का साहस देती है। मानसी की कहानी यह सिखाती है कि हम चाहे कितनी भी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हों, अगर हमारे पास आत्म-विश्वास और दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी चीज हमें रोक नहीं सकती।
उनकी यात्रा एक मिसाल है, जो बताती है कि जीत हमेशा मेडल में नहीं, बल्कि उस जज्बे में होती है, जो हमें हर मुश्किल में लड़ने की ताकत देता है। मानसी जोशी ने यह साबित कर दिया है कि जीवन की सबसे बड़ी जीत हमारे दिल में होती है, जो हमें किसी भी परिस्थिति में हरा नहीं सकती।

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