ग्रामीण खेल प्रतिभाओं के सपनों को पंख लगा रहा बंदे भारत ट्रस्ट

पूर्व अंतरराष्ट्रीय एथलीट अजीत सिंह के प्रयासों से दी जा रही स्पांसरशिप

खेलपथ संवाद

लखनऊ। स्वस्थ राष्ट्र के संकल्प को पूरा करने तथा ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का काम वैसे तो सरकारों का है लेकिन यह महती कार्य बंदे भारत ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। पूर्व अंतरराष्ट्रीय एथलीट अजीत सिंह के प्रयासों से बंदे भारत ट्रस्ट द्वारा न केवल ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को स्पांसरशिप दी जा रही है बल्कि खेलों में प्रोत्साहित कर उनके सपनों को पंख भी लगाए जा रहे हैं।

ग्रामीण खेल प्रतिभाओं का प्रोत्साहन वैसे तो राज्य और केन्द्र सरकार की जवाबदेही है लेकिन खेलों के संवर्धन का यह काम सिर्फ शहरों तक सीमित है। ग्रामीण प्रतिभाओं को खेल मंच मिले, वह भी देश-दुनिया में हिन्दुस्तान का गौरव बढ़ाएं इसके लिए बंदे भारत ट्रस्ट द्वारा स्पांसरशिप देने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है। ट्रस्ट द्वारा अब तक एक हजार से अधिक खेल प्रतिभाओं की मदद की जा चुकी है।

ट्रस्ट के संस्थापक और 2001 एशियन क्रास कंट्री में रजत पदक जीत चुके गांव हरौनी, थाना बंथरा, लखनऊ निवासी अजीत सिंह ने खेलपथ को दूरभाष पर बताया कि बंदे भारत ट्रस्ट आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभाओं की मदद को प्रतिबद्ध है। बंदे भारत ट्रस्ट द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग एक दर्जन वालीबाल कोर्ट तैयार कराए गए हैं इतना ही नहीं क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, एथलेटिक्स आदि खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को स्पांसरशिप भी दी जा रही है। ट्रस्ट द्वारा स्पांसरशिप देने के लिए खिलाड़ी से किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

पांच और 10 हजार मीटर क्रास कंट्री दौड़ों में राज्यस्तर पर कई खिताब जीतने वाले अजीत सिंह का कहना है कि आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभाओं को ट्रस्ट द्वारा हर तरह की मदद दी जाती है। बंदे भारत ट्रस्ट उसी खिलाड़ी को स्पांसरशिप देता है जोकि भारतीय ओलम्पिक संघ से मान्यता प्राप्त खेलों में राज्यस्तर पर खेला हो तथा उसकी उम्र 14 से 16 साल के बीच हो। खिलाड़ी का किसी विद्यालय में पढ़ना जरूरी प्रमुख शर्त है। ट्रस्ट के संस्थापक का कहना है कि खेल छात्रावास में रहने वाले खिलाड़ियों को स्पांसरशिप देने का कतई प्रावधान नहीं है।

बंदे भारत ट्रस्ट की स्पांसरशिप में खिलाड़ी को एक वर्ष में चार किट, आठ टीशर्ट, दो जोड़ी ब्रांडेड स्पोर्ट्स शूज, एक हजार रुपए मासिक छात्रवृत्ति, राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने पर 2000 रुपए तथा राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को 5000 रुपए खर्च के रूप में प्रदान किए जाएंगे।

 

 

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