प्रबंधन सफल व्यवसाय की रीढ़ः मुकुंददत्ता

राजीव एकेडमी में प्रबंधन की प्रकृति और महत्व पर हुई कार्यशाला

मथुरा। प्रबंधन हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में एक आवश्यक तत्व है। यह सफल व्यवसाय की रीढ़ है। प्रबंधन विशिष्ट लक्ष्यों को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से प्राप्त करने का मूलमंत्र है। यह छोटे व्यवसाय चलाने से लेकर बड़े निगम, यहां तक ​​कि एक देश के प्रबंधन तक सभी प्रकार के प्रशासनिक और पर्यवेक्षी कार्यों पर समान रूप से लागू होता है। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट द्वारा आयोजित कार्यशाला में इस्कॉन संस्था के सदस्यों मुकुंददत्ता और त्रिभुवननाथ दास ने बीबीए के छात्र-छात्राओं को बताईं।

प्रबंधन की प्रकृति और महत्व पर अपने विचार साझा करते हुए अतिथि वक्ता त्रिभुवननाथ दास ने छात्र-छात्राओं को बताया कि योजना प्रबंधन की नींव है। इसमें संगठनात्मक लक्ष्य निर्धारित करना, उन्हें प्राप्त करने के लिए रणनीति विकसित करना तथा कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कदमों की रूपरेखा तैयार करना शामिल है। उन्होंने कहा कि अच्छी तरह से तैयार की गई योजना दिशा प्रदान करती है। इसी तरह आयोजन उद्देश्यों की प्राप्ति को सुविधाजनक बनाने के लिए उपलब्ध संसाधनों मानव पूंजी, वित्त और प्रौद्योगिकी की संरचना पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें सूचना और गतिविधियों के सुचारु प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारियां सौंपना, पदानुक्रम बनाना तथा संचार चैनल स्थापित करना शामिल है।

मुकुंददत्ता ने बताया कि प्रभावी नेतृत्व, प्रेरणा और संचार निर्देशन के महत्वपूर्ण पहलू हैं। नियंत्रण प्रबंधन का अंतिम कार्य है। इसमें गतिविधियों की प्रगति का मूल्यांकन करना शामिल होता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी पहले प्रबंधन और उससे संबंधित महत्वपूर्ण शब्दों से परिचित हों ताकि उन्हें पता चल सके कि प्रबंधन में होता क्या है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को प्रबंधन से सम्बन्धित शब्दों जैसे- नियोजन, संगठन, नियुक्तियां, नेतृत्व एवं निर्देशन, अभिप्रेरणा सम्प्रेषण तथा कम्युनिकेशन, नियंत्रण, समन्वय या निर्णयन, नवाचार, प्रतिनिधित्व आदि के बारे में विस्तार से बताया।

मुकुंददत्ता ने प्रबंधन का आशय स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रबंधन एक व्यापक शब्द है जिसे आधुनिक व्यावसायिक एवं औद्योगिक जगत में कई अर्थों में प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा पूर्वानुमान लगाना एवं योजना बनाना, संगठित करना, आदेश देना, समन्वय करना तथा नियंत्रण करना प्रबंधन के ही रूप हैं। उन्होंने कहा कि प्रबंधन की आवश्यकता सभी स्तरों पर होती है जिससे सामूहिक उद्देश्यों की प्राप्ति होती है। मुकुंददत्ता ने कहा कि आज के समय में प्रबंधन में उत्पादन की नयी पद्धति, नई विपणन नीति तथा तकनीक आदि अनेकों नवाचार प्रयोग में लाये जा रहे हैं। अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने अतिथि वक्ताओं का आभार माना। 

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