मातारानी के जयकारों से गूंज रहा के.डी. मेडिकल कॉलेज

23 अक्टूबर को भण्डारे के बाद होगा मां दुर्गा का विसर्जन

 

मथुरा। इस समय समूचा देश मां दुर्गा की उपासना में लीन है। घर-मंदिर ही नहीं शैक्षिक संस्थानों में भी मातारानी की पूजा-अर्चना तथा जयकारे लग रहे हैं। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में पिछले पांच वर्षों की तरह इस बार भी शारदीय नवरात्रि पर देवी दुर्गा मां की प्राण-प्रतिष्ठा भक्तों द्वारा कराई गई है। सुबह-शाम आचार्य विकास मिश्रा द्वारा पूजा-अर्चना और आरती कराई जा रही है। 23 अक्टूबर को कन्या भोजन तथा भण्डारे के बाद मातारानी का विधि-विधान से विसर्जन किया जाएगा।

15 अक्टूबर, रविवार को शारदीय नवरात्र प्रारम्भ होने के बाद से ही के.डी. मेडिकल कॉलेज परिसर भक्तिभाव में डूबा हुआ है। सुबह हो या शाम मातारानी के जयकारों की गूंज तथा भजन सुनाई देते हैं। मां शेरावली को प्रसन्न करने के लिए महिला-पुरुष भक्तगणों के साथ ही कुछ मेडिकल छात्र-छात्राएं पूरे नौ दिनों का उपवास रखे हैं। देखा जाए तो शाम को आरती के समय का नजारा कुछ अलग ही छटा बिखेरता दिखता है। आचार्य विकास मिश्रा का कहना है कि इस बार नवरात्रि का समापन 24 अक्टूबर को होगा। नवरात्रि की पूजा में अष्टमी और नवमी का दिन विशेष महत्व रखता है। इसी दिन से कन्या भोजन भी शुरू होता है। बहुत से लोग अष्टमी का व्रत रखते हैं, जिसका पारण नवमी को किया जाता है।

आचार्य मिश्रा का कहना है कि इस बार अष्टमी की पूजा 22 अक्टूबर को की जाएगी। महाष्टमी नवरात्रि के आठवें दिन आती है। इस दिन महागौरी की पूजा-अर्चना का विशेष विधान है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, अष्टमी के दिन माता गौरी की उपासना करने से निःसंतान दम्पतियों को गुणवान और स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है।जिन महिलाओं की गोद सूनी है उन्हें महाष्टमी के दिन कन्या पूजन जरूर करना चाहिए।

आचार्य मिश्रा का कहना है कि नवरात्रि में कन्याओं को भोजन कराना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। दरअसल, छोटी-छोटी बच्चियों को देवी मां का रूप माना जाता है, इसीलिए नवरात्रि में कन्या पूजा जरूर करना चाहिए। कन्या पूजन के लिए 10 साल तक की बच्चियों को आमंत्रित करना श्रेष्ठतम होता है। कन्या पूजा से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। सुबह-शाम मातारानी की पूजा-अर्चना करने वाले भक्तगणों में अमित शर्मा, वेद प्रकाश, प्रियकांत यादव, धर्मेंद्र मिश्रा, अखिलेश शुक्ला, अनमोल रतन जौहरी, नीरज प्रजापति, अतुल पाठक, सचिन गुप्ता, वी.पी. सिंह पूनिया, ओमवीर चौहान, गोविंद सिंह, हिमांशु राजौरिया, आकाश चौहान, दिलीप यादव (दादा जी), विश्वनाथ प्रताप सिंह, शक्ति सिंह, सतपाल सिंह, निट्टो शर्मा, महेंद्र, मोहम्मद आशिक, यतेंद्र शर्मा, आनंद, आशीष आदि के साथ चिकित्सक और छात्र-छात्राएं होते हैं।

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