स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है नियमित व्यायामः डॉ. गजेंद्र शर्मा
जीएल बजाज में हुई वर्कस्टेशन एर्गोनॉमिक्स पर स्वास्थ्य कार्यशाला
खेलपथ संवाद
मथुरा। आज की भागमभाग भरी जिन्दगी में हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर परेशान है। कामकाजी लोग हों या छात्र-छात्राएं यदि वह अपनी दिनचर्या में पौष्टिक आहार और कुछ समय के व्यायाम को समाहित कर लें तो वह हमेशा तरोताजा रह सकते हैं। उक्त सारगर्भित उद्गार जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा द्वारा आयोजित वर्कस्टेशन एर्गोनॉमिक्स स्वास्थ्य कार्यशाला में डॉ. गजेंद्र शर्मा, फिजियोथैरेपी प्रमुख, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर, मथुरा ने व्यक्त किए। कार्यशाला का शुभारम्भ संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने किया।
कार्यशाला का मुख्य भाग सामान्य जोखिम कारकों की पहचान से शुरू करते हुए, विशिष्ट एर्गोनॉमिक विचारों पर केंद्रित था। प्रतिभागियों ने सीखा कि कैसे अनुचित डेस्क और कुर्सी चयन, मॉनीटर प्लेसमेंट और अपर्याप्त प्रकाश व्यवस्था जैसी समस्याएं मस्कुलोस्केलेटल समस्याओं में योगदान कर सकती हैं। इसके बाद व्यावहारिक समाधान तलाशे गए, जिनमें कुर्सी और डेस्क समायोजन, मॉनीटर ऊंचाई संरेक्षण, कीबोर्ड और माउस पोजीशनिंग और केबल प्रबंधन शामिल थे। कार्यशाला में कीबोर्ड ट्रे और मॉनीटर स्टैंड जैसे एर्गोनॉमिक एक्सेसरीज के मूल्यों पर भी चर्चा की गई।
कार्यशाला में डॉ. गजेंद्र शर्मा द्वारा उचित शरीर यांत्रिकी और मुद्रा के महत्व पर जोर देते हुए प्रतिभागियों को बैठने और खड़े होने की सही स्थिति बनाए रखने के बारे में शिक्षित किया गया। इतना ही नहीं कार्यशाला में स्थैटित मुद्राओं को कम करने और कार्यदिवस में नियमित ब्रेक और स्ट्रेच को शामिल करने की रणनीतियां साझा की गईं। प्रतिभागियों को अपने कार्यस्थानों को निजीकृत करने, उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं का आकलन करने और तद्नुसार एर्गोनॉमिक समायोजन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। व्यावहारिक गतिविधियों ने उन्हें इन समायोजनों का अभ्यास करने की अनुमति दी, जिससे अपने स्वयं के कार्यस्थानों पर परिवर्तनों को लागू करने में उनका आत्मविश्वास बढ़ा।
डॉ. गजेंद्र शर्मा ने कहा कि एक छात्र को 7-8 घण्टे जरूर सोना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोजाना व्यायाम बढ़ती उम्र के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। हम व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल कर आंखों की रोशनी में सुधार, सामान्य ब्लडप्रेशर तथा दुबली मांसपेशियों को बेहतर बना सकते हैं। प्रो. अवस्थी ने प्राध्यापकों का आह्वान किया कि हम रोजाना जॉगिंग करें, अपने बच्चों के साथ पार्क में जाएं तथा रस्सीकूद या अन्य एक्टिविटी कर शरीर को फुर्तीला और निरोगी बनाएं। अंत में प्रो. नीता अवस्थी ने मुख्य वक्ता तथा डॉ. गजेंद्र शर्मा को स्मृति चिह्न भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन स्तुति गौतम ने किया तथा आभार महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ. शिखा गोविल ने माना।