वनडे विश्व कप में नहीं होगी दिग्गज वेस्टइंडीज टीम

सात साल पहले टी20 विश्व कप जीती थी वेस्टइंडीज
अब नहीं दिखेगा मैदान पर कैलिप्सो संगीत पर डांस
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
कैरेबियाई देशों में संगीत की एक शैली है, जिसका नाम 'कैलिप्सो' है। यह त्रिनिदाद-टोबैगो में उत्पन्न हुई और फिर पूरे कैरेबियाई देशों में फैल गई। वेस्टइंडीज के खिलाड़ी अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं। वह क्रिकेट मैदान पर कैलिप्सो संगीत पर डांस करते हुए कई बार नजर आए। उनके बारे में कहा जाता है कि वह मस्ती के लिए क्रिकेट खेलते हैं और जीत भी जाते हैं। पिछले कुछ सालों से मैदान पर उनकी मस्ती तो दिख रही है, लेकिन जीत नहीं मिल पा रही। ऐसा लग रहा है कि 'कैलिप्सो किंग' क्रिकेट की धुन भूल गए हैं। शनिवार (एक जुलाई) का दिन वेस्टइंडीज के क्रिकेट इतिहास का काला दिन बन गया। यह टीम विश्व कप इतिहास में पहली बार टूर्नामेंट का हिस्सा नहीं होगी।
दरअसल, 1975 और 1979 में शुरुआती दो विश्व कप जीतने वाली टीम वेस्टइंडीज की टीम भारत में इस साल विश्व कप का हिस्सा नहीं होगी। क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में स्कॉटलैंड के खिलाफ मिली हार के बाद वह दौड़ से बाहर हो गई है। वेस्टइंडीज को सुपर सिक्स के मुकाबले में स्कॉटलैंड ने सात विकेट से हरा दिया। यह पहला अवसर होगा जब वेस्टइंडीज की टीम किसी भी फॉर्मेट (वनडे या टी20) के विश्व कप में नहीं पहली बार नहीं खेलेगी। दो वनडे विश्व कप और दो टी20 विश्व कप जीतने वाली इस टीम का यह हश्र देखकर फैंस भी हैरान हैं।
वेस्टइंडीज की टीम 1996 में आखिरी बार वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंची थी। उसके बाद से टीम 2011 और 2015 में क्वार्टरफाइनल में तो पहुंची लेकिन जीत नहीं पाई। इसी बीच 2012 और 2016 में उसने टी20 विश्व कप का खिताब जीता तो ऐसा लगा कि इस टीम के सुनहरे दिन वापस लौट रहे हैं, लेकिन टीम पटरी से उतर गई है। पिछले सात आईसीसी टूर्नामेंट में उसने शर्मनाक प्रदर्शन किया है।
वेस्टइंडीज की हार के कारण:
1) टीम में टीम में वो 'आग' नहीं: 1970 के दशक में जमैका, बारबाडोस, गुयाना, एंटीगुआ, त्रिनिदाद और टोबैगो के कुछ विश्व स्तरीय क्रिकेटर एक साथ आए थे और टीम को लगातार दो विश्व कप में चैंपियन बनाया था। उनके अंदर एक आग थी। वह हमेशा जीतने के बारे में सोचते थे। हाल के समय में यह आग धीरे-धीरे बुझती चली गई।  एक शानदार डॉक्यूमेंट्री 'फायर इन बेबीलोन' ने दिखाया कि वेस्टइंडीज क्रिकेट का मतलब क्या है। यह सिर्फ मौज-मस्ती और उल्लास नहीं बल्कि समुदाय के प्रति जिम्मेदारी भी है। अब न तो आग है और न ही जिम्मेदारी उनके खेल में दिखती है। खिलाड़ी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लाभ के बारे में बिल्कुल भी चिंतित नहीं हैं।
2) टी20 क्रिकेट का असर: दुनिया के सभी क्रिकेट खेलने वाले प्रमुख देशों में वेस्टइंडीज ही एक ऐसा जिसके ऊपर टी20 का बुखार खूब चढ़ा। इस बुखार ने विंडीज क्रिकेट को तहस-नहस कर दिया। वह न तो वनडे में अब अच्छा खेल पा रहे हैं और न ही टेस्ट में। इस टीम के खिलाड़ी टी20 लीगों में खेलने के लिए मरते हैं। वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से ज्यादा लीग क्रिकेट को तरजीह दे रहे हैं। आंद्रे रसेल और सुनील नरेन ने जैसे खिलाड़ियों ने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए टी20 लीगों में ज्यादा खेलना पसंद किया।
3) राजनीति ने किया बर्बाद: वेस्टइंडीज क्रिकेट की अंदरूनी राजनीति ने वहां की क्रिकेट को बर्बाद कर दिया। बड़े खिलाड़ी टीम के लिए खेलना नहीं चाहते। कीरोन पोलार्ड और ड्वेन ब्रावो जैसे संन्यास ले चुके खिलाड़ियों ने अपने करियर के अंतिम समय में राष्ट्रीय टीम का साथ छोड़ दिया था। उन्होंने बोर्ड की राजनीति और कम पैसों के लिए यह कदम उठाया था और जब वह वापसी करना चाहते थे तो चयनकर्ताओं ने उन्हें चुना ही नहीं। कोच और कप्तान चुनने में पारदर्शिता की कमी है। खिलाड़ी भी बोर्ड के सदस्यों के पसंद के आधार पर चुने जा रहे हैं।
4. टीम चयन: वेस्टइंडीज की टीम में एक भी स्तरीय स्पिनर नहीं था। अकील हुसैन प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे। फॉर्म में चल रहे यानिक कारिया चोट के कारण टूर्नामेंट में नहीं खेल पाए। शिमरॉन हेटमायर और आंद्रे रसेल जैसे खिलाड़ियों से संपर्क नहीं किया गया। टीम में अनुभव की कमी दिखी।
5. अजीब तैयारी: विश्व कप क्वालिफायर में उतरने से पहले वेस्टइंडीज की टीम संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ तीन वनडे मैचों की सीरीज खेली थी। हैरान करने वाली बात यह है कि इस सीरीज में कायेल मेयर्स, जेसन होल्डर, रोवमन पॉवेल, अल्जारी जोसेफ, रोमारियो शेफर्ड और अकील हुसैन नहीं खेले। यह खिलाड़ी विश्व कप के क्वालिफायर में सीधे उतरे। इनमें तैयारी की कमी साफ दिखी।

 

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