एकेडमी के लिए बजरंग पूनिया को दी गई जमीन पर विवाद

ग्रामीणों का कहना- भापड़ौदा के ही किसी पहलवान को दी जाए जमीन 
दलित परिवार उसी जमीन की वजह से रोजी-रोटी चलाते हैं
खेलपथ संवाद
झज्जर।
एक तरफ जहां पहलवान बजरंग पूनिया अपने साथी खिलाड़ियों के साथ कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण के खिलाफ मोर्चा खोलकर संघर्ष की लड़ाई लड़ रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ उन्हें दी गई जमीन पर विवाद हो गया है। बजरंग को झज्जर जिले के गांव भापड़ौदा में ग्राम पंचायत ने कुश्ती एकेडमी के लिए चार एकड़ जमीन दी है, जिस पर अब विवाद हो गया।
इसी साल जनवरी माह में ग्राम पंचायत भापड़ौदा ने प्रस्ताव पारित कर गांव की शामलात भूमि में से चार एकड़ जमीन बजरंग पूनिया को दी थी। हालांकि अभी इस पर कानूनी रूप से मुहर नहीं लगी है,लेकिन पूनिया को दी गई इसी जमीन पर विवाद शुरू हो गया है। जब यह पूरा मामला गांव के लोगों के संज्ञान में आया तो उन्होंने इसके लिए जिला प्रशासन का दरवाजा खटखटाया और मामले की जांच कराकर इस प्रस्ताव को रद्द किए जाने की मांग की। ग्रामीणों का तर्क था कि गांव में कई नेशनल और अर्जुन अवार्डी हैं। ग्राम पंचायत यदि कुश्ती एकेडमी बनाने के लिए जमीन ही देना चाहती है तो वह किसी बाहरी व्यक्ति को क्यों दे रही है। गांव के ही किसी पहलवान को यह जमीन दी जानी चाहिए।
बता दें कि बजरंग पूनिया ने 2020 में जापान की राजधानी टोक्यो में हुए ओलम्पिक गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, लेकिन हाल के महीनों में वो पहलवानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं। बजरंग पूनिया ने ये 4 एकड़ जमीन सरकार से ‘रेसलर्स एकेडमी’ बनाने के नाम पर ली है। अब स्थानीय लोग इसके खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस जमीन को अवैध तरीके से आवंटित किया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस अवैध आवंटन में ‘पंचायत कमेटी’ भी शामिल है। असल में ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में पहले से ही ‘अर्जुन अवॉर्ड’ विजेताओं के अलावा कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद बजरंग पूनिया को जमीन दे दी गई। असल में यहाँ का पंचायत सेक्रेटरी सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।
उनका कहना है कि पंचायत सचिव भी इस अवैध जमीन आवंटन में शामिल है। ग्रामीणों की माँग है कि इसकी विस्तृत जाँच शुरू की जाए, वह भी एक सप्ताह के भीतर। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से इसकी शिकायत करने की भी बात कही है। साथ ही ज़रूरत पड़ने पर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाने की बात भी कही गई है। उन्होंने कहा कि बजरंग को किसी कीमत पर यहाँ रेसलर्स एकेडमी बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इतना ही नहीं, ग्राम पंचायत के एक सदस्य ने भी जमीन आवंटन में धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि किसी अन्य मुद्दे को लेकर बैठक बुलाई गई थी, लेकिन उसमें कुछ दस्तावेजों पर सभी को हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया। उक्त पंचायत सदस्य ने बताया कि ये बजरंग पूनिया को 4 एकड़ जमीन के आवंटन का कागज था, जिसे पढ़ने के बाद उन्होंने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। बजरंग पूनिया ने 5 एकड़ तक जमीन की माँग की थी।
पंचायत सदस्य ने बताया कि जब उसने अपने वरिष्ठों से इस संबंध में बात की तो वो काफी खुश थे। ग्रामीणों को कहा गया कि उनके बच्चों को मुफ्त में इस रेसलर्स एकेडमी में प्रशिक्षण मिलेगा, इसीलिए वो भी मान गए। एक और बड़ी बात ये है कि ये जमीन अनुसूचित जाति समुदाय की है, जिसका कृषि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कहा जा रहा है कि ये दलित परिवार उसी जमीन की वजह से रोजी-रोटी चलाते हैं, ऐसे में उनकी स्थिति दयनीय हो जाएगी।
अंत में ये भी बता दें कि अब तक जमीन आवंटन पर कानूनी मुहर नहीं लगी है। गाँव के सरपंच के प्रतिनिधि प्रमोद पर भी आरोप है। बताया जा रहा है कि व्यक्तिगत संबंधों में उसने ऐसा किया है। जिला प्रशासन से इस संबंध में शिकायत कर दी गई है। एक पंच ने आरोप लगाया कि दलितों का हक़ मार कर ऐसा किया जा रहा है। जिला उपायुक्त ने भी बताया कि भापड़ौदा गाँव के लोग उनके पास शिकायत लेकर आए थे। उन्होंने जाँच के बाद सच्चाई सामने आने की बात कही।

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