नहीं रहे दर्शकों की मांग पर छक्का जड़ने वाले सलीम दुर्रानी

क्रिकेट में जीता था पहला अर्जुन अवॉर्ड
क्रिकेट ने बहुत दिया, जो नहीं मिला उसका शिकवा नहीं
खेलपथ संवाद
जामनगर।
1960 के दशक की क्रिकेट में बड़ी धूम मचाने वाले ऑलराउंडर सलीम दुर्रानी का रविवार को 88 साल की उम्र में निधन हो गया। वह अपने छोटे भाई जहांगीर दुर्रानी के साथ गुजरात के जामनगर में रह रहे थे। जनवरी में जांघ की हड्डी में फ्रैक्चर होने के बाद, उनकी इस साल की शुरुआत में नाखून की सर्जरी हुई थी। जिस आतिशी क्रिकेट की आज धूम है, 1960 के दशक में दुर्रानी उस शैली के ऐसे मास्टर रहे, जो दर्शक की मांग पर छक्का जड़ते थे। अफगानिस्तान में जन्मे एकमात्र भारतीय क्रिकेटर दुर्रानी हमेशा भारतीय क्रिकेट के प्रिंस सलीम के रूप में याद किए जाते रहेंगे। 
अर्जुन पुरस्कार जीतने वाले पहले क्रिकेटर बाएं हाथ के इस स्पिनर ने 1960 से 1973 के बीच 29 टेस्ट खेले। इस दौरान उन्होंने 25.04 की औसत से कुल 1202 रन बनाए थे।  उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में एक शतक और सात अर्धशतक है वहीं, गेंदबाजी में उन्होंने 75 विकेट लिए थे, जिसमें एक बार 10 और तीन बार पांच विकेट उनके नाम हैं। इसमें 73 रन देकर 6 विकेट उनका श्रेष्ठ प्रदर्शन है। इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-0 की ऐतिहासिक जीत में उनकी प्रमुख भूमिका रही। कलकत्ता टेस्ट में उन्होंने आठ और मद्रास टेस्ट में दस विकेट लिए थे। मार्च 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 7 विकेट से मिली जीत में उन्होंने दूसरी पारी में उन्होंने क्लाइव लायड और सर गैरफील्ड सोबर्स के विकेट लिए थे। अगर लायड और सोबर्स के विकेट न लिए गए होते तो शायद जीत की गाथा लिखना मुश्किल था। दुर्रानी ने कॅरिअर की 50 पारियों में एक शतक और सात अर्धशतकीय पारियों की मदद से 1202 रन बनाए। 
बाॅलीवुड में भी आजमाया हाथ
छह फुट लंबे और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी सलीम दुर्रानी का बॉलीवुड से भी उनका नाता रहा। उन्होंने 1973 में अभिनेत्री परवीन बॉबी के साथ चरित्र फिल्म में मुख्य अभिनेता की भूमिका अदा की। उनके साथी खिलाड़ियों को पता है कि वो गाना भी बहुत अच्छा गाते थे और साथियों में मिमिक्री के लिए मशहूर थे। राजकपूर की फिल्म का संवाद गंगा मैया की सौगंध और अभिनेता राजकुमार का डायलाग, ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं, हाथ में लग जाए तो खून निकल आता है। अक्सर ड्रेसिंग रूम में सुनाया करते थे। 
तो हर पारी में 300-400 रन होते
दर्शकों के बेहद चहेते रहे दुर्रानी साहब से एक बार पूछा गया कि आप दर्शकों की मांग पर उसी तरफ कैसे छक्का जड़ देते हो। जब उनका जवाब था कि अरे भई दर्शक तो पूरे स्टेडियम में ही छक्कों की मांग करते है। मेरा जिधर छक्का लग जाता, दर्शक समझते कि उनकी डिमांड पर लगाया है। अगर दर्शकों की मांग पर ही छक्के लगाता तो हर पारी में 300-400 रन होते। दर्शक मुझे प्यार करते थे, इसलिए ऐसा कहते हैं, उनके प्यार ने मुझे अच्छा खेलने के लिए प्रेरित भी किया। इंग्लैंड-विंडीज के खिलाफ ऐतिहासिक जीत के बारे में कहा था कि ये टीम गेम है,  करते तो सभी खिलाड़ी हैं, श्रेय मुझे मिल गया। 
दुर्रानी साहब जब खेलते थे तब टेस्ट की मैच फीस 300 रुपये थी। उन्हें इस बात का गिला नहीं था कि आजकल के क्रिकेटरों को अकूत पैसा, सुख सुविधाएं मिल रही हैं। उन्होंने कहा, ये बात सच है कि हमारे समय में क्रिकेटरों को इतना नहीं मिलता था, पर दर्शकों का प्यार तब भी था, अब भी है। मैं खुद वर्षों स्कूटर पर चलता रहा पर इस बात का शिकवा नहीं है। बीसीसीआई ने किया है, कुछ संस्थाएं भी कर रही हैंं। यह भी सच है कि यह क्रिकेट ही था जिसके कारण हम हवाई जहाज में बैठे थे। 
दुर्रानी ने 1-6 जनवरी 1960 को मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला टेस्ट खेला था। अंतिम टेस्ट 6-11 फरवरी 1973 को मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। पहली पारी में दुर्रानी ने 73 और दूसरी पारी में 37 रन बनाए थे। 
रणजी ट्रॉफी कॅरिअर की शुरुआत 1958 में सौराष्ट्र टीम के साथ की थी, लेकिन बाद में उदयपुर के महाराणा द्वारा बुलाए जाने के बाद वह राजस्थान की तरफ से खेलने लगे। दुर्रानी दो वर्षों तक घरेलू क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी थे। 13 साल चले कॅरिअर में दुर्रानी तीन बार इंग्लैंड (1967, 1971,1974), दो बार वेस्टइंडीज (1962, 1971) और एक-एक बार ऑस्ट्रेलिया (1967) और न्यूजीलैंड (1967) गए। 
पीएम मोदी ने जताया दुख, साझा की पुरानी यादें 
दिग्गज क्रिकेटर सलीम दुर्रानी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्रिकेट जगत की तमाम हस्तियों ने दुख जताया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, सलीम दुर्रानी जी क्रिकेट के दिग्गज थे, अपने आप में एक संस्था थे। उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में भारत के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके निधन से आहत हूं, उनके परिवार तथा मित्रों के लिए संवेदनाएं। अन्य ट्वीट में कहा, मुझे कई बार उनसे मिलने का मौका मिला। इनमें से एक मर्तबा 2004 में जामनगर में एक कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया था। इस कार्यक्रम में महान क्रिकेटर वीनू मांकड़ जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया था। उसकी यादें हैं।

 

रिलेटेड पोस्ट्स