'गोल्डन गर्ल' मानसी नेगी का छलका दर्द
उत्तराखण्ड सरकार से कहा- मुझे नौकरी चाहिए
खेलपथ संवाद
देहरादून। सरकारें खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की बातें तो करती हैं लेकिन जमीनी हकीकत खिलाड़ी से कोसों दूर होती है। उत्तराखंड के चमोली के एक छोटे से गांव से निकली एथलीट मानसी नेगी ने प्रदेश को कई पदक दिलाए लेकिन आज वह खुद एक नौकरी तक के लिए तरस रही है। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में जो भावनात्मक बातें लिखीं उससे मन दुखी हो जाता है। सरकार से प्रोत्साहन न मिलने के कारण ही मानसी पंजाब की लवली यूनिवर्सिटी में पढ़ती है और वहीं से खेलती है।
उत्तराखंड के चमोली जिले की एथलीट बेटी मानसी नेगी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। हाल ही में तमिलनाडु में हुई 82वीं ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में मानसी ने एक घंटा 41 मिनट में 20 किलोमीटर वॉक रेस में गोल्ड मेडल हासिल किया है। लेकिन अपनी प्रतिभा से पहाड़ का नाम रोशन करने वाली मानसी आज दुखी हैं।
मानसी नेगी ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में अपना दर्द बयां किया। उन्होंने लिखा कि ' मुझे शुभकामनाएं और समर्थन देने के लिए आप सभी का धन्यवाद। लेकिन मुझे उत्तराखंड में नौकरी की जरूरत है। मैंने हर बार खुद को साबित किया, लेकिन उत्तराखंड में कोई खेल कोटा नहीं है और न ही कोई नौकरी का अवसर। मैं अनुरोध करती हूं कि कृपया उत्तराखंड में खेल कोटे की नौकरी का अवसर दें, इससे कई युवा एथलीट बेहतर प्रदर्शन कर और मेडल जीतकर प्रोत्साहित करेंगे।
मानसी नेगी ने हाल ही में 73वें नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 10 किलोमीटर वॉकरेस में भी राष्ट्रीय कीर्तिमान के साथ स्वर्ण पदक जीत कर प्रदेश का मान बढ़ाया था। चमोली के एक छोटे से गांव से निकल कर राज्य को स्वर्ण पदक दिलाने का मानसी का यह सफ़र काफी कठिनाइयों से भरा था। उन्होंने स्वर्ण पदक जीतने से पहले और कोरोना के बाद लगातार 4 मैचों में हार का सामना करने पर भी हिम्मत और लगन से लोगों के तानों को दरकिनार करते हुए युवाओं के लिए एक उदाहरण भी खड़ा किया।
मानसी नेगी ने हाल ही में 73वें नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 10 किलोमीटर वॉकरेस में में भी राष्ट्रीय कीर्तिमान के साथ स्वर्ण पदक जीत कर प्रदेश का मान बढ़ाया था। चमोली के एक छोटे से गांव से निकल कर राज्य को स्वर्ण पदक दिलाने का मानसी का यह सफ़र काफी कठिनाईयों से भरा था। उन्होंने स्वर्ण पदक जितने से पहले और कोरोना के बाद लगातार 4 मैचों में हार का सामना करने पर भी हिम्मत और लगन से लोगों के तानों को दरकिनार करते हुए युवाओं के लिए एक उदाहरण भी खड़ा किया।
मानसी नेगी ने हाल ही में 73वें नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 10 किलोमीटर वॉकरेस में में भी राष्ट्रीय कीर्तिमान के साथ स्वर्ण पदक जीत कर प्रदेश का मान बढ़ाया था। चमोली के एक छोटे से गांव से निकल कर राज्य को स्वर्ण पदक दिलाने का मानसी का यह सफ़र काफी कठिनाईयों से भरा था। उन्होंने स्वर्ण पदक जितने से पहले और कोरोना के बाद लगातार 4 मैचों में हार का सामना करने पर भी हिम्मत और लगन से लोगों के तानों को दरकिनार करते हुए युवाओं के लिए एक उदाहरण भी खड़ा किया। खिलाड़ी कड़ी मेहनत करके मैदान में पसीना बहाकर मेडल जीतता है। बदले में वह सरकार और समाज से सम्मान और रोजी-रोटी चलाने का साधन चाहता है।