बीएफआई से चुनी गई खिलाड़ियों के पिछले प्रदर्शन का जवाब तलब

महिला विश्व चैम्पियनशिप के लिए नहीं चुनी गई मुक्केबाजों का मामला
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आगामी महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के लिए चुनी गई कुछ मुक्केबाजों के पिछले प्रदर्शन पर भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) से जवाब मांगा है। बीएफआई की पक्षपातपूर्ण चयन प्रक्रिया पर सुनवाई आज 14 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय में पुनः होगी।
अदालत तीन राष्ट्रीय चैम्पियन मंजू रानी, ​​शिक्षा नरवाल और पूनम पूनिया की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनकी उम्मीदवारी खेल आयोजन के लिए खारिज कर दी गई है। गौरतलब है कि विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप का आयोजन 15 से 31 मार्च तक दिल्ली में होना है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि 2018-2022 के दौरान उनका प्रदर्शन टूर्नामेंट के लिए चुनी गई कुछ खिलाड़ियों से बेहतर रहा है, जिन्होंने शायद ही कोई पदक जीता हो।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि अदालत चयन के गुण-दोष में नहीं पड़ना चाहती है। पीठ ने कहा कि कुछ खिलाड़ियों के प्रदर्शन में काफी अंतर है और इस मुद्दे पर निर्देश लेने के लिए बीएफआई के वकील को समय दिया। याचिकाकर्ताओं के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि खिलाड़ियों का चयन पूर्व के शानदार प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए और याचिकाकर्ताओं का चयन किया जाना चाहिए। बीएफआई के वकील ने चयन प्रक्रिया का बचाव किया और कहा कि चयनित लोगों के नाम पहले ही संबंधित अधिकारियों को भेजे जा चुके हैं।
अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान मुक्केबाजों को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन बीएफआई से कहा था कि अगर नियम अनुमति देते हैं तो उन्हें रिजर्व खिलाड़ियों के रूप में टीम में शामिल करने की सम्भावना तलाशी जाए। कैंप और ट्रायल के लिए बुलाए जाने के बाद विश्व कप के लिए भारतीय टीम से बाहर किए जाने के बाद तीनों मुक्केबाजों ने याचिका दायर की है।
बीएफआई के वकील ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह को सूचित किया था कि महासंघ ने अपनी चयन नीति का पालन किया है जिसे उसकी वेबसाइट पर रखा गया है। राष्ट्रीय शिविर में शामिल होने के बाद उच्च प्रदर्शन निदेशक और राष्ट्रीय टीम के कोचों द्वारा विभिन्न मापदंडों पर खिलाड़ियों का मूल्यांकन किया गया। बीएफआई ने तर्क दिया था, चयन बिना पक्षपात के किया गया था और राष्ट्रीय शिविर में खिलाड़ियों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने के बाद टीम का चयन किया गया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया था कि बीएफआई ने उन खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया है जो दिसम्बर 2022 में भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में इन याचिकाकर्ता मुक्केबाजों से हार गए थे। बीएफआई ने दावा किया था कि राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीतना केवल एक मानदंड था, जबकि कोचों द्वारा मूल्यांकन दूसरा आधार था।

 

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