हॉकी और ओडिशा एक-दूसरे के पूरक
देश के 95 हॉकी मैदानों में 35 ओडिशा में, सुंदरगढ़ में 15 मैदान
भारत में होने वाले तमाम टूर्नामेंटों की कर रहा मेजबानी
खेलपथ संवाद
भुवनेश्वर। ओडिशा दुनिया भर में हॉकी का हब बन रहा है। अभी भुवनेश्वर और राउरकेला में 15वां वर्ल्ड कप हो रहा है। 2018 में 14वां वर्ल्ड कप भुवनेश्वर में ही हुआ था। इससे पहले चैम्पियंस लीग, वर्ल्ड लीग, ओलम्पिक क्वालीफायर, प्रो लीग जैसे टूर्नामेंट ओडिशा में आयोजित हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अंतरराष्ट्रीय हॉकी संघ के लगभग तमाम बड़े इंटरनेशनल टूर्नामेंट ओडिशा में ही क्यों हो रहे हैं?
इस सवाल पर हॉकी इंडिया के प्रेसिडेंट दिलीप तिर्की और खेल के कुछ एक्सपर्ट ने जो कारण बताए हैं वह काबिलेतारीफ कहे जा सकते हैं। हॉकी का कोई बड़ा टूर्नामेंट आमतौर पर एक ही शहर में आयोजित होता है। इस बार वर्ल्ड कप के मुकाबले जरूर दो शहरों में हुए हैं, लेकिन एफआईएच की अक्सर कोशिश होती है कि एक टूर्नामेंट के सारे मैच एक ही शहर में कराए जाएं। इससे टूर्नामेंट के दौरान खिलाड़ियों को मूव कराने में होने वाला खर्च कम होता है। अलग-अलग शहरों में आयोजन से लॉजिस्टिक्स की समस्या आती है।
जब टूर्नामेंट एक ही शहर में होगा तो इसके लिए जरूरी है कि वहां बहुत सारी टीमों के खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ को ठहराने का इंतजाम हो। यानी अच्छे होटल मौजूद हों। इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि जिस शहर में इवेंट हो रहा है वहां के दर्शक खेल से लगाव रखते हों ताकि वे स्टेडियम में जाकर मैच देखें। सबसे बड़ी जरूरत यह होती है कि स्थानीय सरकार और प्रशासन का रुख टूर्नामेंट फ्रेंडली हो।
भुवनेश्वर एफआईएच की इन तमाम जरूरतों को पूरा करता है। खिलाड़ियों को ठहराने के लिए कई होटल और हॉस्टल हैं। स्थानीय लोग खेल में खूब रुचि रखते हैं और बड़ी संख्या में टिकट खरीदकर मैच देखने जाते हैं। शहर में रिहैब सेंटर भी है। अगर कोई खिलाड़ी टूर्नामेंट के दौरान चोटिल होता है तो उसके ट्रीटमेंट का अच्छा इंतजाम है। स्थानीय सरकार खुद हॉकी को प्रमोट करती है। यह भारतीय टीम की स्पॉन्सर तो है ही, 2018 में इसने वर्ल्ड कप को भी स्पॉन्सर किया था। यहां का कलिंगा स्टेडियम विश्व के सर्वश्रेष्ठ हॉकी फैसिलिटीज में एक है।
भुवनेश्वर का मल्टीपर्पज कलिंगा इंटरनेशनल स्टेडियम 2010 में बनकर तैयार हुआ था। हॉकी के अलावा यहां एथलेटिक्स ट्रैक, फुटबॉल एरिना, टेनिस कोर्ट, बास्केटबॉल कोर्ट, टेबल-टेनिस, स्वीमिंग और रग्बी फील्ड भी हैं। यहां के हॉकी एस्ट्रोटर्फ की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सिंथैटिक टर्फ में से एक के तौर पर होती है। विशेषज्ञ यहां तक दावा करते हैं कि भविष्य में कभी भारत में ओलम्पिक गेम्स आयोजित हुए तो मुमकिन है कि हॉकी के मुकाबले भुवनेश्वर में खेले जाएं।
जैसा कि आप ऊपर पढ़ चुके हैं कि इस बार वर्ल्ड कप के मुकाबले भुवनेश्वर के साथ-साथ ओडिशा के ही राउरकेला में मौजूद बिरसा मुंडा स्टेडियम में भी हुए हैं। भविष्य में कुछ टूर्नामेंट ऐसे भी होंगे जिसके सारे मैच राउरकेला में खेले जाएं। 46 एकड़ में फैले इस स्टेडियम में 20 हजार दर्शकों के बैठने की सुविधा है। यहां का एयरपोर्ट भी स्टेडियम कैम्पस से ही जुड़ा हुआ है। ऐसे में खिलाड़ियों को एयरपोर्ट से स्टेडियम तक पहुंचने के दौरान शहर के ट्रैफिक का सामना नहीं करना पड़ता। इस स्टेडियम में स्वीमिंग पूल, आधुनिक मशीनों से लैस जिम और खिलाड़ियों के लिए हॉस्टल भी है। फाइव स्टार होटल के साथ यहां टीमों की प्रैक्टिस के लिए पांच एस्ट्रोटर्फ मैदान मौजूद हैं।
भुवनेश्वर के स्टेडियम में 2014 में पहली बार एफआईएच की चैम्पियंस ट्रॉफी आयोजित कराई गई। इसके बाद से यहां बड़े टूर्नामेंट आयोजित होने की बाढ़ सी आ गई। भारत में पहले हॉकी के अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट दिल्ली में होते थे लेकिन एक बार भुवनेश्वर का स्वाद चखने के बाद एफआईएच भारत तो छोड़िए दुनिया में किसी अन्य शहर का रुख जल्दी नहीं कर रहा।
ओडिशा में नवीन पटनायक की अगुआई वाली सरकार सिर्फ बड़े टूर्नामेंट आयोजित करने पर जोर नहीं दे रही है। वहां ग्रासरूट लेवल पर खिलाड़ियों के लिए ऐसी सुविधाएं विकसित हो रही हैं जो देश के किसी अन्य राज्य में नहीं है। हॉकी इंडिया के आंकड़ों के मुुताबिक देश में 95 एस्ट्रोटर्फ हैं। इनमें से 35 ओडिशा में हैं। 15 तो अकेले सुंदरगढ़ जिले में ही हैं। यहां 6 एस्ट्रोटर्फ और बन रहे हैं। जिले के सभी 17 ब्लॉक में फुल और मिनी साइज के एस्ट्रोटर्फ बनाए जा रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि ताकि यहां के युवा खिलाड़ियों को शुरुआत से ही टर्फ पर खेलने का मौका मिले और उनकी स्किल बेहतर हो सके।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और पूर्व ओलम्पियन दिलीप तिर्की ने बताया कि ओडिशा सरकार हॉकी इंडिया की चीफ स्पॉन्सर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हॉकी को सिर्फ खेल नहीं मिशन की तरह देखते हैं। खिलाड़ियों को अपने जिले में ट्रेनिंग दिलाने की कोशिश होती है। राज्य भर में होने वाले सैकड़ों छोटे-बड़े टूर्नामेंट के लिए टैलेंट की तलाश होती है। फिर पानपोश हॉकी एकेडमी में इन्हें हाई लेवल ट्रेनिंग दी जाती है। नेशनल और इंटरनेशल लेवल के खिलाड़ियों को ओडिशा में सरकारी नौकरी भी मिल जाती है। तिर्की ने कहा कि दूसरे राज्यों की सरकारों से भी हॉकी को बढ़ावा देने के लिए बातचीत की जा रही है। अब तक ओडिशा जैसा सपोर्ट कहीं नहीं मिला है।