अपने कृत्यों पर पर्दा डाल एमपी की छवि खराब कर रहे बाहरी प्रशिक्षक

तीरंदाजी कोच रिचपाल सिंह मामले में हाईकोर्ट ने खेल विभाग को जारी किया नोटिस

प्रमुख सचिव खेल और संचालक खेल से चार सप्ताह में जवाब तलब

खेलपथ संवाद

जबलपुर। मध्य प्रदेश की राज्य खेल एकेडमियों में सेवारत बाहरी प्रशिक्षक अपने कृत्यों पर पर्दा डाल न केवल सेवा कर रहे हैं बल्कि प्रदेश की साफ-सुथरी छवि को भी बट्टा लगा रहे हैं। एक के बाद एक विचित्र मामले सामने आने के बाद प्रदेश की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया न केवल परेशान हैं बल्कि जवाबदेह अधिकारियों की क्लास भी लगा रही हैं। ताजे मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी के सलाहकार मुख्य प्रशिक्षक रिचपाल सिंह सलारिया मामले में प्रमुख सचिव खेल और संचालक खेल को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।  

गौरतलब यह कि जबलपुर में संचालित मध्य प्रदेश राज्य तीरंदाजी एकेडमी के सलाहकार मुख्य प्रशिक्षक रिचपाल सिंह सलारिया सेवा-नियमों को बलाएताक रख नौकरी कर रहे हैं। इस मामले में रिचपाल सिंह सलारिया को बर्खास्त करने की याचिका विनय जी. डेविड द्वारा जबलपुर उच्च न्यायालय में दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य खेल एवं युवा कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव, संचालक एवं अन्य को चार हफ्तों में जवाब देने का निर्देश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 27 फरवरी, 2023 को होगी।

हाईकोर्ट में दायर याचिका में विनय जी. डेविड ने कहा है कि मध्य प्रदेश राज्य तीरंदाजी एकेडमी जबलपुर में तीरंदाजी प्रशिक्षक रिचपाल सिंह सलारिया पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। उक्त प्रकरण की जानकारी छिपाकर रिचपाल शासकीय नौकरी पर काबिज है। यह खेल एवं युवा कल्याण अनुबंध सेवा भर्ती (नियोजन एवं सेवा की शर्तें) नियम 2017 शासकीय नियमों का सरासर उल्लंघन है। विभाग के आलाधिकारियों को इस मामले में रिचपाल को सेवा से बर्खास्त किए जाने की कार्रवाई करनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

इस मामले में जिस तरह की लीपापोती हुई उससे तो यही सिद्ध होता है कि रिचपाल सिंह प्रमुख सचिव खेल और संचालक खेल की कृपा से ही लगातार मध्यप्रदेश तीरंदाजी एकेडमी में नियम विरुद्ध तरीके से पदस्थ हैं। सवाल यह उठता है कि प्रशिक्षक रिचपाल सिंह सलारिया ने अपराधिक प्रकरण की जानकारी छिपाते हुए खेल विभाग में मुख्य प्रशिक्षक की संविदा नौकरी कैसे हासिल कर ली। दरअसल, रिचपाल ने आपराधिक प्रकरण दर्ज होने और न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने की जानकारी, अपने आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी छिपाकर ही विभाग के साथ अनुबंध किया है। संविदा नियम के अनुसार खेल विभाग को नियुक्ति दिनांक से 15 दिवस के अंदर कोच रिचपाल सिंह सलारिया का चरित्र सत्यापन करवाना अनिवार्य था, जिसे विभाग ने नहीं किया और उसे नियम विरुद्ध तरीके से नौकरी पर रख लिया। प्रस्तुत याचिका में कहा गया है कि संविदा नियम में ऐसे आपराधिक प्रकरण वाले आरोपियों को नौकरी से बर्खास्त किए जाने का प्रावधान है परंतु विभाग के आला अधिकारियों ने नियमों के विपरीत नियुक्ति पाने वाले प्रशिक्षक रिचपाल सिंह सलारिया को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया।

पुलिस डायरी के अनुसार रिचपाल पर लॉर्डगंज थाने में 12 जनवरी, 2021 को अपराध क्रमांक 38 / 2021 धारा 294, 223, 506 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ, मुकदमा दर्ज होने के बाद रिछपाल सिंह सलारिया की गिरफ्तारी हुई एवं उसके खिलाफ माननीय न्यायालय कोर्ट नम्बर और जज 22 - सिविल जज क्लास-I और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक प्रताप सिंह की अदालत में 23 जून, 2021 को आरसीटी 3314 / 2021 चालान पेश किया गया। यह मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है। यह जानकारी रिचपाल द्वारा छिपाते हुए खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक के साथ 19 मई, 2021 को अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस आपराधिक प्रकरण में 4 नवम्बर, 2022 को माननीय न्यायालय में सुनवाई हुई एवं अब आगामी फरवरी माह में पेशी नियत है।

याचिकाकर्ता ने न्यायालय से प्रार्थना की है कि रिचपाल सिंह सलारिया का अनुबंध कोच/तकनीकी विशेषज्ञ के पद से हटाने/समाप्त करने के लिए संचालक खेल एवं युवा कल्याण विभाग को निर्देशित किया जाए तथा अनुबंध समझौते को रद्द कर दिया जाए। इतना ही नहीं इस मामले की निष्पक्ष जांच हो तथा नियम विरुद्ध तरीके से नौकरी प्राप्त करने वाले रिछपाल सिंह सलारिया पर कानूनी कार्रवाई करते हुए उससे अब तक आहरित राशि की वसूली भी की जाए। इस मामले में उच्च न्यायालय जबलपुर के माननीय न्यायाधीश आनंद पाठक ने मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक एवं प्रमुख सचिव तथा अन्य को 4 सप्ताह में जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने की।

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