जीत के बावजूद चार बार की चैम्पियन जर्मनी बाहर

जापान जीतकर और स्पेन हारकर भी अगले दौर में
दोहा।
चार बार की चैम्पियन टीम जर्मनी विश्वकप के ग्रुप-ई के मुकाबले में कोस्टारिका के खिलाफ 4-2 से जीत दर्ज करने के बाद भी टूर्नामेंट से बाहर हो गई। जर्मनी को नॉकआउट में पहुंचने के लिए जीत के साथ बेहतर गोल अंतराल की भी जरूरत थी। टीम ने जीत तो हासिल की पर टीम स्पेन से गोल अंतर से पीछे रह गई और तीसरे स्थान पर रही। जर्मनी और स्पेन के चार-चार अंक थे।
2018 के बाद जर्मनी लगातार दूसरी बार ग्रुप दौर से ही बाहर हो गया। जर्मनी के लिए ग्रेब्री (10वां मिनट), काई हावर्टज (73वां और 85वां), फुलक्रुग (89वां) ने गोल दागे। वहीं, कोस्टारिका के लिए तेजेदा (58वां) और जुआन (70वां) ने गोल किए। इसी तरह जापान ने विश्व कप के ग्रुप ई में स्पेन को 2-1 से हराकर अंतिम-16 टीमों के नॉकआउट दौर में प्रवेश कर लिया। स्पेन अल्वेरा मोराटा के गोल से 1-0 से आगे थी लेकिन रितसु (48वां मिनट) के गोल से जापान ने 1-1 से बराबरी कर ली। तनाका (51वां) के गोल से 2-1 की बढ़त भी हासिल कर ली। स्पेन-जर्मनी के एक समान 4 अंक थे पर स्पेन ने नौ गोल किए जबकि उसके खिलाफ 3 हुए थे। जर्मनी ने 6 गोल किए और 5 उसके खिलाफ हुए। ऐसे में स्पेन का गोल अंतराल बेहतर था। 
फुटबॉल विश्व कप के ग्रुप-एफ में गत उप विजेता क्रोएशिया ने बेल्जियम को 0-0 की बराबरी पर रोक दिया। इस ड्रॉ के बाद क्रोएशिया की टीम प्री-क्वार्टर फाइनल में पहुंच गई। उसने दुनिया की नंबर-2 टीम बेल्जियम को बाहर कर दिया। बेल्जियम पिछली बार विश्व कप में तीसरे स्थान पर रहा था। जापान ने स्पेन को 2-1 से हराया। दोनों टीमों ने अगले दौर के लिए क्वालीफाई किया। 
फीफा रैंकिंग में दूसरे स्थान पर काबिज बेल्जियम की टीम कतर में चल रहे फुटबॉल विश्व कप से बाहर हो गई। उसे क्रोएशिया ने ग्रुप-एफ में 0-0 की बराबरी पर रोक दिया। बेल्जियम को आगे बढ़ने के लिए किसी भी हाल में जीत और बेल्जियम को कम से कम ड्रॉ की आवश्यकता थी। बेल्जियम की टीम पिछले साल विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंची थी। वहां उसे फ्रांस ने हराया था। उसके बाद तीसरे स्थान के मैच में बेल्जियम ने इंग्लैंड को 2-0 से परास्त किया था।
बेल्जियम की इस टीम में कप्तान इडेन हेजार्ड, दुनिया के बेस्ट मिडफील्डर में से एक केविन डी ब्रुइन, स्टार स्ट्राइकर रोमेलू लुकाकू और गोलकीपर थिबाउट कोर्त्वा सहित कई स्टार खिलाड़ी हैं। इस कारण इस टीम को बेल्जियम की फुटबॉल इतिहास में 'गोल्डन जेनरेशन' कहा गया। उसी गोल्डन जेनरेशन' के एक सदस्य रोमेलू लुकाकू ने इस मुकाबले में कई गलतियां कीं। उन्होंने तीन आसान मौके गोल के गंवाए। बेल्जियम की इस 'गोल्डन जेनरेशन' टीम की उम्र हो चुकी है। इसे खुद केविन डी ब्रुइन ने स्वीकार किया था। इनमें से कई खिलाड़ी अगली बार विश्व कप में नहीं दिखेंगे। मैच के बाद सहायक कोच थियरे हेनरी के गले लगकर फूट-फूटकर रो रहे यह बेल्जियम के स्टार फुटबालर रोमेलु लुकाकू रहे जिन्होंने दूसरे हॉफ में गोल करने के चार बेहद आसान मौकों को गंवाया। लुकाकू तीन मौकों पर खाली गोल में गेंद को नहीं डाल पाए। 1998 के बाद बेल्जियम पहली बार ग्रुप दौर की बाधा पार नहीं कर पाया।
पहला हॉफ क्रोएशिया के नाम रहा। हालांकि 13वें मिनट में बेल्जियम के ड्राइस मर्टेंस की जोरदार किक गोल से कुछ इंच ऊपर बाहर निकल गई, लेकिन मैच का सबसे बड़ा मौका क्रोएशिया को 15वें मिनट में मिला। जब मोदरिच की फ्री किक पर करास्को ने बॉक्स में क्रैमरिच को गिरा दिया। रेफरी ने पेनल्टी दे दी। मोद्रिच पेनल्टी लेने पहुंच भी गए और गोलकीपर कोर्त्वा भी तैयार हो गए, लेकिन वार ने हस्तक्षेप करते हुए लोवरेन को हल्का से बाहर दिखाते हुए ऑफसाइड करार दिया और रेफरी ने पेनल्टी का फैसला वापस ले लिया। क्रोएशियाई खिलाडिय़ों ने विरोध भी किया।
46वें मिनट में बेल्जियम ने रोमेलु लुकाकू को मैदान में उतारा। उनके आते ही बेल्जियम ने हमलों की झड़ी लगा दी। बेल्जियम को मालूम था कि उन्हें अगर नॉकआउट में पहुंचना है तो हर हाल में जीतना होगा। 60वें मिनट में करास्को ने गोल के ठीक सामने निशाना साधा गेंद गोलकीपर से टकराकर लुकाकू के पास पहुंची। उन्हें सिर्फ गेंद गोल में डालनी थी लेकिन उनकी किक बार से टकराकर बाहर चली गई। 62वें मिनट में खाली गोल में उनका हेडर बाहर चला गया। 
87वें मिनट में गोल लाइन पर उन्हें बेहतरीन पास मिला, लेकिन उसे वह सही ढंग से ट्रैप नहीं कर पाए। उन्हें सिर्फ गेंद को गोल की दिशा देनी थी। 90वें मिनट में वह खाली गोल के सामने क्रास को ट्रैप नहीं कर पाए। लुकाकू जानते थे कि उनकी गलतियों का खामियाजा टीम ने भुगता है। उन्होंने गुस्से में हाथ को डगआउट में भी पटका। पिछले दो अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में बेल्जियम ने क्रोएशिया को हराया था। इनमें जीत के तीनों गोल लुकाकू ने किए थे। मोरक्को से हारने के बाद बेल्जियम में जमकर हिंसक घटनाएं हुई थीं। मीडिया रिपोर्टों को आधार मानें तो बेल्जियम खेमे में अंदरूनी झगड़े भी चल रहे थे, जिसका खामियाजा टीम को मैदान पर भुगतना पड़ा।

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