सवालों के घेरे में खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया का कामकाज

अध्यक्ष सुधांशु मित्तल और सचिव महेंद्र सिंह त्यागी के जलवे
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
इंडियन स्पोर्ट्स फेडरेशन के पदाधिकारियों के कामकाज को लेकर प्रायः उंगली उठती रहती हैं। खेल संगठन पदाधिकारियों का काम तो वैसे खेलों और खिलाड़ियों की भलाई होनी चाहिए लेकिन अधिकांश खेलनहार संगठनों को अपनी आरामतलबी और मौजमस्ती की सैरगाह समझते हैं। खेलप्रेमियों ने हैंडबॉल की दुर्दशा तो देख ही ली, खो-खो खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया भी कमोबेश उसी राह पर चल रहा है।
पांच जुलाई, 2021 को खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के चुनाव सम्पन्न हुए थे। तब खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के चुनाव में सुधांशु मित्तल अध्यक्ष और महेंद्र सिंह त्यागी निर्विरोध सचिव चुने गए। सुधांशु मित्तल को भारतीय खो खो महासंघ (केकेएफआई) का फिर से अध्यक्ष जबकि महेंद्र सिंह त्यागी को महासचिव चुना गया। इतना ही नहीं सुरेंद्र कुमार भुटियानी को कोषाध्यक्ष का पद मिला था। केकेएफआई की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में 2021 से 2025 के लिये सभी पदाधिकारियों का सर्वसम्मति से चुनाव किया गया था। इससे पहले 2017 में हुए चुनावों में भी मित्तल और त्यागी ही निर्विरोध अध्यक्ष और सचिव चुने गए थे। 
जुलाई, 2021 में खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया हुए चुनाव उत्तराखंड उच्च न्यायलय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश टंडन की देखरेख में कराये गए थे। तब भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के उपाध्यक्ष अनिल खन्ना आईओए की तरफ से पर्यवेक्षक के रूप में एजीएम में उपस्थित हुए थे। सुधांशु मित्तल की जहां तक बात है वे भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के भी उपाध्यक्ष हैं। 2021 में मित्तल ने भारत के स्वदेशी खेल खो-खो को एशियाई खेलों और ओलम्पिक खेलों में शामिल कराने की बात कही थी। 2017 में हुए निर्वाचन के बाद भी अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कहा था कि खो-खो को अंतरराष्ट्रीय पटल पर नई पहचान दिलाई जाएगी। इस खेल को अंतरराष्ट्रीय पहचान कितना मिली यह तो पदाधिकारी ही बता सकते हैं।
2021 से पहले 2017 में रामपुर रोड स्थित सोनिया होटल में खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के चुनाव कराए गए थे। तब चुनाव ऑब्जर्वर उत्तराखंड ओलम्पिक एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी डॉ. डी.के. सिंह और रिटर्निंग ऑफिसर रिटायर्ड जज आर.डी. पांडेय की देख-रेख में कराए गए थे। तब की कार्यकारिणी में अध्यक्ष पद पर सुधांशु मित्तल और सचिव पद पर महेंद्र सिंह त्यागी के साथ ही कोषाध्यक्ष पद पर वाई. श्रीनिवास तथा उपाध्यक्ष पद पर विरेश यादव, एम. सीतारामी रेड्डी, रानी तिवारी, गोकुलदास एस. शिरोड़कर, राजीव प्रकाश, महेश भाई पटेल, आर. मलिकार्जुन, कमलेश चटर्जी की ताजपोशी हुई थी।
संयुक्त सचिव पद पर चंद्रजीत बी. जाधव, जी.वी. पिल्लई, विनोद कुमार सिंह, एम. मधुसूदन सिंह का चुनाव हुआ था। हरभूषण गुलाटी, देवीदत्त तनवार, रविंद्र तलवार, भास्कर डी. मजूमदार, कमलजीत अरोरा, गिरीश सुले, आफताब हुसैन, सुभाष कुमार, राजन एम, प्रदुम्ना मिश्रा, कनाई लाल दास सदस्य चुने गए थे। तब नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कहा था कि देशभर में खो-खो को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके लिए कमेटी बनाकर काम किया जाएगा। चुनाव के समय भारतीय ओलम्पिक संघ के महासचिव राजीव मेहता, उपकार विर्क, डॉ. असगर अली, संजय ठुकराल आदि मौजूद रहे। 
सुधांशु मित्तल के अध्यक्ष बनने पर उम्मीद जताई गई थी कि खो-खो देश में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा लेकिन खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया की कार्यप्रणाली को देखें तो यहां खिलाड़ियों का शोषण होता है तथा खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल अवॉर्ड पाने के लिए खेलनहारों को खुश करना होता है। हम कह सकते हैं कि खेल पदाधिकारियों ने खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया को अपनी आरामतलबी और अय्याशी का माध्यम बना लिया है। 
 

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