सौरव दादा के साथ आखिर नाइंसाफी क्यों?
क्या बीसीसीआई को चाहिए काठ का उल्लू
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को लगता है अब विशेषज्ञ क्रिकेट के जानकार नहीं बल्कि काठ के उल्लू चाहिए। सौरव गांगुली के साथ जैसा व्यवहार किया गया वह क्षम्य नहीं कहा जा सकता। सौरव दादा अपने करिअर में उसूलों पर चले उन्हें कभी कोई डरा-धमका नहीं सका। उनकी छवि हमेशा एक लड़ाका खिलाड़ी की रही। उन्होंने ही टीम इंडिया के खिलाड़ियों को प्रतिद्वंद्वी की आंख में आंख डालकर लड़ना सिखाया है। अब उनका बीसीसीआई से इस तरह विदा होना क्रिकेटप्रेमियों को शायद ही रास आया हो।
सौरव गांगुली बीसीसीआई के पहले ऐसे अध्यक्ष थे, जो खुद खिलाड़ी रह चुके थे। उनकी एंट्री के बाद यह उम्मीद जगी थी कि एक खिलाड़ी के खेल प्रशासक बनने के बाद चीजें बदलेंगी। सौरव गांगुली ने अपनी तेज-तर्रार छवि के अनुरूप काम करने का प्रयास भी किया, लेकिन यह तेजी ही शायद उनके खिलाफ चली गई। बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है और उन्हें विस्तार नहीं मिला है। इसे लेकर तमाम तरह के कयास लग रहे हैं और कोई भी खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है। लेकिन चर्चाएं हैं कि विराट कोहली से खुलेआम मतभेद के चलते उनकी छवि खराब हुई और बीसीसीआई में इसे गलत माना गया। उन्हें जय शाह और एन. श्रीनिवासन गुट के चलते जगह मिली थी, लेकिन कामकाज के चलते इन लोगों से ही गांगुली के मतभेद होने की खबर है।
इसके अलावा सेलेक्शन कमेटी की बैठकों में शामिल होने के आरोपों से भी उनकी छवि प्रभावित हुई है। इस बीच बीसीसीआई ने उनके स्थान पर कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे रोजर बिन्नी को मौका देने का फैसला लिया है। उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर दिया है और 18 अक्टूबर को बीसीसीआई की आमसभा की बैठक होने वाली है। उसमें रोजर बिन्नी का चुना जाना तय माना जा रहा है। इसके अलावा राजीव शुक्ला उपाध्यक्ष बने रहेंगे और कोषाध्यक्ष के तौर पर भाजपा नेता और मुंबई के अध्यक्ष आशीष शेलार को मौका मिलने वाला है।
सौवर गांगुली के भविष्य पर कयास, आईसीसी अध्यक्ष बनेंगे या नहीं!
इस बीच सौरव गांगुली के भविष्य को लेकर भी कयास लग रहे हैं। कई दिनों से चर्चाएं थीं कि उन्हें बीसीसीआई के अध्यक्ष पद की बजाय आईसीसी के अध्यक्ष का चुनाव लड़ाया जा सकता है। लेकिन अब जानकारी सामने आई है कि बीसीसीआई की ओर से उन्हें आईसीसी अध्यक्ष बनाने पर भी विचार नहीं चल रहा है। हालांकि अभी आईसीसी अध्यक्ष पद के नामांकन के लिए वक्त बचा है और वह 20 अक्टूबर तक पर्चा दाखिल कर सकते हैं। फिर भी उन्हें मौका मिलना मुश्किल है। बीसीसीआई सूत्रों ने इससे साफ इंकार किया है। वहीं जय शाह सचिव पद पर बने रहने वाले हैं और राजीव शुक्ला भी उपाध्यक्ष बने रहेंगे।
बीसीसीआई में चल रही उठापटक पर राजनीति भी शुरू हो गई है। सौरव गांगुली बंगाल से आते हैं और इसे भुनाते हुए टीएमसी ने भाजपा पर हमला बोला है। टीएमसी ने कहा कि यदि अमित शाह के बेटे को लगातार दूसरी बार मौका मिल सकता है तो सौरव गांगुली क्यों नहीं पद पर बने रह सकते। इस पर भाजपा ने जवाब दिया कि टीएमसी खेलों में भी राजनीति करती है। इसीलिए आज बंगाल खेल के मामले में पिछड़ गया है, जो कभी अग्रणी राज्य हुआ करता था। बहरहाल आईपीएल चेयरमैन के तौर पर भी बदलाव होने जा रहा है। अब अरुण धूमल आईपीएल के चेयरमैन होंगे, जो खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई हैं।