दिव्यांग रेखा तंवर ने तलवार से खींची आदर्श रेखा

कॉमनवेल्थ फैंसिंग में कांसे समेत जीत चुकी हैं 25 पदक
खेलपथ संवाद
पलवल।
कहते हैं कि अगर हिम्मत और जज्बा हो तो कोई कार्य मुश्किल नहीं है। इसे साबित कर दिखाया है पलवल के गांव खूजरका के एक मजदूर के घर जन्मी दिव्यांग बेटी रेखा तंवर ने। लंदन में आयोजित कॉमनवेल्थ फैंसिंग चैम्पियनशिप (ह्वीलचेयर तलवारबाजी) में कांस्य पदक विजेता रेखा तंवर आज पलवल ही नहीं बल्कि हरियाणा में दिव्यांग बच्चों के लिए एक आदर्श बनकर उभरी हैं। 
बिना किसी सरकारी मदद के उन्होंने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 25 पदक जीतकर पलवल जिले का नाम देश में रोशन किया है। अब उनका लक्ष्य एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने का है, जिसके लिए वह दिन-रात प्रैक्टिस में जुटी हैं। खजूरका निवासी लखनपाल और द्रौपदी देवी के घर जन्मी रेखा को बचपन में हुए पोलियाे ने एक पैर से 70 प्रतिशत दिव्यांग बना दिया लेकिन, उन्होंने कभी अपनी दिव्यांगता को अभिशाप नहीं माना। बीए-जेबीटी तक शिक्षा प्राप्त कर चुकी रेखा अपनी कामयाबी का सबसे ज्यादा श्रेय अपने कोच राजीव व सतबीर देशवाल को देती हैं। रेखा कहती हैं कि राजीव सर की प्रेरणा व तकनीक ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की है। रेखा कहती हैं कि यदि सरकारी मदद सही समय पर मिले तो ग्रामीण अंचल में ऐसी कई प्रतिभाएं छिपी हैं, जो देश के लिए बहुत कुछ कर सकती हैं।

रिलेटेड पोस्ट्स